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तकनीक से जोड़ती है सनातन संस्कृति की ज्ञान परंपरा : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

तकनीक से जोड़ती है सनातन संस्कृति की ज्ञान परंपरा : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों से सतर्क रहना आवश्यक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारत की प्राचीन सनातन संस्कृति हमें सुख, संतोष, आनंद और मोक्ष का रास्ता दिखाती है। हमारी संस्कृति की गहराइयों में ज्ञान परंपरा हमेशा से विद्यमान रही है। आध्यात्म और दर्शन की दृष्टि से भारत ने हर काल में आचार्यों, ऋषियों और मुनियों से प्राप्त ज्ञान, बुद्धि और मेधा के आधार पर जीवन के नियम बनाए और इनका पालन किया है। आधुनिक दौर में अधिक आवश्यक हो गया है कि नवीनतम ज्ञान और तकनीक की दिशा में आगे बढ़ा जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हमेशा नवीनतम तकनीक का स्वागत करते हैं और तकनीक की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी नई तकनीक के फायदे के साथ खतरे भी होते हैं जिसके लिए सतर्कता बरतना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने बताया कि भारतीय कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करते हैं, परंतु अन्याय से सावधान रहना भी ज़रूरी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘सोशल इंप्लीकेशन्स ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ विषय पर 12वें नानाजी स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि भारत रत्न नानाजी देशमुख ने भारतीय संस्कृति, सर्वहित और समाज परिवर्तन के संकल्प के साथ दीनदयाल उपाध्याय के जीवनदर्शन को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संस्था द्वारा आयोजित नानाजी स्मृति व्याख्यान में एक राजनेता के रूप में विचार रखना उनके लिए अलग अनुभव रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने व्याख्यान माला में उपस्थित सभी श्रोताओं को आगामी 12 से 14 अप्रैल 2025 तक दिल्ली में आयोजित होने वाले सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि इस महानाट्य के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य की वीरता, दानशीलता, सहनशीलता को जीवंत करने का प्रयास किया जाएगा। इससे दर्शकों को विक्रमादित्य के दर्शन को जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा मिलेगी।

कार्यक्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने व्याख्यानमाला में मुख्य व्याख्यान दिया तथा दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन ने स्वागत अभिभाषण दिया। इसमें संगठन सचिव श्री अभय महाजन भी उपस्थित थे।

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