धरती की ओर आ रहा ताजमहल से दोगुने आकार का एस्टेरॉयड, NASA ने किस बात की दी चेतावनी?
धरती की ओर आ रहा ताजमहल से दोगुने आकार का एस्टेरॉयड, NASA ने किस बात की दी चेतावनी?
नासा ने विशाल एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह 2014 TN17 को लेकर चेतावनी जारी की है जो पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह क्षुद्रग्रह आने वाले दिनों में हमारे ग्रह के करीब से गुजरने वाला है। 540 फीट (165 मीटर) चौड़ाई वाला क्षुद्रग्रह 2014 TN17 ताजमहल के आकार का लगभग दोगुना है। यह विशाल अंतरिक्ष चट्टान 77282 किमी/घंटा की आश्चर्यजनक गति से पृथ्वी की ओर आ रही है।
एस्टेरॉयड 2014 TN17 को लेकर NASA की चेतावनी
नासा ने विशाल एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह 2014 TN17 को लेकर चेतावनी जारी की है जो पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह क्षुद्रग्रह आने वाले दिनों में हमारे ग्रह के करीब से गुजरने वाला है। 540 फीट (165 मीटर) चौड़ाई वाला क्षुद्रग्रह 2014 TN17 ताजमहल के आकार का लगभग दोगुना है। यह विशाल अंतरिक्ष चट्टान 77282 किमी/घंटा की आश्चर्यजनक गति से पृथ्वी की ओर आ रही है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विशाल एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह 2014 TN17 को लेकर चेतावनी जारी की है, जो पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह क्षुद्रग्रह आने वाले दिनों में हमारे ग्रह के करीब से गुजरने वाला है।
हालांकि धरती से इसकी दूरी पर्याप्त है, फिर भी नासा ने इसे संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह (PHA) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 540 फीट (165 मीटर) चौड़ाई वाला क्षुद्रग्रह 2014 TN17, ताजमहल के आकार का लगभग दोगुना है।
77,282 किमी/घंटा की गति से आ रहानासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह विशाल अंतरिक्ष चट्टान 77,282 किमी/घंटा की आश्चर्यजनक गति से पृथ्वी की ओर आ रही है। आकार और गति को देखते हुए नासा द्वारा इस पर कड़ी नजर रखी गई है। इन क्षुद्रग्रहों को उनके बड़े आकार और पृथ्वी से निकटता के कारण भविष्य के लिए संभावित खतरा माना जाता है।
कब होगा पृथ्वी के सबसे करीब?विशेषज्ञों ने आश्वस्त किया है कि यह क्षुद्रग्रह धरती से नहीं टकराएगा, लेकिन यह अंतरिक्ष में छिपे संभावित खतरों की याद दिलाता है।
क्षुद्रग्रह 2014 TN17, 26 मार्च, 2025 को शाम 5:04 बजे IST पर पृथ्वी के सबसे करीब होगा। हालांकि क्षुद्रग्रह पृथ्वी से लगभग 50 लाख किलोमीटर की सुरक्षित दूरी से गुजरेगा। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 13 गुना है।
सुरक्षित दूरी के बावजूद इसे एक खतरनाक क्षुद्रग्रह के रूप में इसके वर्गीकरण का मतलब है कि वैज्ञानिक इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं। 2014 TN17 जैसे अपोलो क्षुद्रग्रहों की कक्षाएं पृथ्वी के पथ को पार करती हैं। जबकि उनमें से अधिकांश बिना किसी घटना के गुजरते हैं।
NASA ने दी जानकारी
NASA का Near-Earth Object Studies Center (CNEOS) लगातार इन एस्टेरॉयड्स की निगरानी कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल कोई भी एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराने वाला नहीं है, लेकिन छोटे-से कक्षीय बदलाव से भविष्य में खतरा उत्पन्न हो सकता है।
अगर कोई 540 फुट चौड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता, तो इसका प्रभाव सुनामी, भूकंप और वायुमंडलीय बदलाव ला सकता था। यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार इन खगोलीय पिंडों पर रिसर्च कर रहे हैं, ताकि समय रहते किसी भी खतरे से निपटा जा सके।
हालांकि धरती से इसकी दूरी पर्याप्त है, फिर भी नासा ने इसे संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह (PHA) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 540 फीट (165 मीटर) चौड़ाई वाला क्षुद्रग्रह 2014 TN17, ताजमहल के आकार का लगभग दोगुना है।
77,282 किमी/घंटा की गति से आ रहानासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह विशाल अंतरिक्ष चट्टान 77,282 किमी/घंटा की आश्चर्यजनक गति से पृथ्वी की ओर आ रही है। आकार और गति को देखते हुए नासा द्वारा इस पर कड़ी नजर रखी गई है। इन क्षुद्रग्रहों को उनके बड़े आकार और पृथ्वी से निकटता के कारण भविष्य के लिए संभावित खतरा माना जाता है।
कब होगा पृथ्वी के सबसे करीब?विशेषज्ञों ने आश्वस्त किया है कि यह क्षुद्रग्रह धरती से नहीं टकराएगा, लेकिन यह अंतरिक्ष में छिपे संभावित खतरों की याद दिलाता है।
क्षुद्रग्रह 2014 TN17, 26 मार्च, 2025 को शाम 5:04 बजे IST पर पृथ्वी के सबसे करीब होगा। हालांकि क्षुद्रग्रह पृथ्वी से लगभग 50 लाख किलोमीटर की सुरक्षित दूरी से गुजरेगा। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 13 गुना है।
सुरक्षित दूरी के बावजूद इसे एक खतरनाक क्षुद्रग्रह के रूप में इसके वर्गीकरण का मतलब है कि वैज्ञानिक इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं। 2014 TN17 जैसे अपोलो क्षुद्रग्रहों की कक्षाएं पृथ्वी के पथ को पार करती हैं। जबकि उनमें से अधिकांश बिना किसी घटना के गुजरते हैं।
NASA ने दी जानकारी
NASA का Near-Earth Object Studies Center (CNEOS) लगातार इन एस्टेरॉयड्स की निगरानी कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल कोई भी एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराने वाला नहीं है, लेकिन छोटे-से कक्षीय बदलाव से भविष्य में खतरा उत्पन्न हो सकता है।
अगर कोई 540 फुट चौड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता, तो इसका प्रभाव सुनामी, भूकंप और वायुमंडलीय बदलाव ला सकता था। यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार इन खगोलीय पिंडों पर रिसर्च कर रहे हैं, ताकि समय रहते किसी भी खतरे से निपटा जा सके।
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