ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत को कितना होगा नुकसान? सरकार कर रही कैलकुलेशन
ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत को कितना होगा नुकसान? सरकार कर रही कैलकुलेशन
केंद्र सरकार अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क से भारत पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन कर रही है। ये जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में दी। बता दें कि ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है। कुछ लोगों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति अमेरिका के लिए ही गले का फांस बन सकती है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में दी जानकारी (फाइल फोटो)
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि सरकार स्टील और एल्युमीनियम आयात पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रही है।
मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा के अनुसार अमेरिकी सरकार ने 12 मार्च से आयात शुल्क लगाया है। उन्होंने कहा, जैसा कि वाणिज्य विभाग द्वारा बताया गया है भारत पर उपरोक्त घोषणाओं के प्रभाव का आकलन किया जा रहा है।
भारत की रेटिंग बेहतरएक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की 40 सिफारिशों में से 37 में भारत को अनुपालन या काफी हद तक अनुपालन रेटिंग मिली है। तीन सिफारिशों में इसे आंशिक रूप से अनुपालन रेटिंग प्राप्त हुई तथा किसी को भी गैर-अनुपालन रेटिंग नहीं दी गई।
भारत को रेगुलर फॉलो अप श्रेणी में रखा गया, जो कि एफएटीएफ के तहत मूल्यांकन किए जा रहे किसी भी देश को दी जाने वाली सर्वोत्तम संभव रेटिंग है। जी- 20 के केवल तीन अन्य देश हैं जिन्हें यह रेटिंग प्राप्त है। यह भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
अमेरिका को भी होगा नुकसानकुछ लोगों का मानना ये भी है कि भारत के खिलाफ ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकताहै क्योंकि अमेरिका में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। लाखों अमेरिकियों को अपनी दवा के लिए अधिक रकम चुकानी पड़ सकती है।
कंसल्टिंग फर्म 'आईक्यूवीआईए' के एक अध्ययन के अनुसार, केवल 2022 में ही भारतीय जेनेरिक दवाओं से 219 बिलियन डॉलर की बचत हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापार समझौते के बिना ट्रंप के टैरिफ कुछ भारतीय जेनेरिक दवाओं को अव्यवहारिक बना सकते हैं। इससे कंपनियों को बाजार से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है और मौजूदा दवा की कमी और बढ़ सकती है।
केंद्र सरकार अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क से भारत पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन कर रही है। ये जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में दी। बता दें कि ट्रंप ने स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है। कुछ लोगों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति अमेरिका के लिए ही गले का फांस बन सकती है।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि सरकार स्टील और एल्युमीनियम आयात पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रही है।
मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा के अनुसार अमेरिकी सरकार ने 12 मार्च से आयात शुल्क लगाया है। उन्होंने कहा, जैसा कि वाणिज्य विभाग द्वारा बताया गया है भारत पर उपरोक्त घोषणाओं के प्रभाव का आकलन किया जा रहा है।
भारत की रेटिंग बेहतरएक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की 40 सिफारिशों में से 37 में भारत को अनुपालन या काफी हद तक अनुपालन रेटिंग मिली है। तीन सिफारिशों में इसे आंशिक रूप से अनुपालन रेटिंग प्राप्त हुई तथा किसी को भी गैर-अनुपालन रेटिंग नहीं दी गई।
भारत को रेगुलर फॉलो अप श्रेणी में रखा गया, जो कि एफएटीएफ के तहत मूल्यांकन किए जा रहे किसी भी देश को दी जाने वाली सर्वोत्तम संभव रेटिंग है। जी- 20 के केवल तीन अन्य देश हैं जिन्हें यह रेटिंग प्राप्त है। यह भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
अमेरिका को भी होगा नुकसानकुछ लोगों का मानना ये भी है कि भारत के खिलाफ ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकताहै क्योंकि अमेरिका में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। लाखों अमेरिकियों को अपनी दवा के लिए अधिक रकम चुकानी पड़ सकती है।
कंसल्टिंग फर्म 'आईक्यूवीआईए' के एक अध्ययन के अनुसार, केवल 2022 में ही भारतीय जेनेरिक दवाओं से 219 बिलियन डॉलर की बचत हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापार समझौते के बिना ट्रंप के टैरिफ कुछ भारतीय जेनेरिक दवाओं को अव्यवहारिक बना सकते हैं। इससे कंपनियों को बाजार से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है और मौजूदा दवा की कमी और बढ़ सकती है।
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