आत्मानंद स्कूलों में सूखा : फंड नहीं मिल रहा, क्लास रूम में कहीं प्लास्टर उखड़ रहा तो कहीं पंखे बं
आत्मानंद स्कूलों में सूखा : फंड नहीं मिल रहा, क्लास रूम में कहीं प्लास्टर उखड़ रहा तो कहीं पंखे बंद
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं। उड़नदस्तों को दशकों पहले की तरह नकल प्रकरण तो नहीं मिल रहे हैं, लेकिन अजीबो-गरीब तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं।

Atmanand school
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं। उड़नदस्तों को दशकों पहले की तरह नकल प्रकरण तो नहीं मिल रहे हैं, लेकिन अजीबो-गरीब तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। ऐसी समस्याएं जिनका निराकरण सामान्यतः बोर्ड परीक्षाओं के पूर्व विद्यालय स्तर पर कर दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार यह संभव नहीं हो सका। यह स्थिति प्रदेशभर के स्वामी आत्मानंद विद्यालयों की है। सत्ता परिवर्तन के बाद इन विद्यालयों को पूर्व की तरह फंड नहीं मिल रहा है।
गौरतलब है कि, पूर्व में आत्मानंद विद्यालयों को पांच लाख की राशि अनुदान के रुप में प्रतिवर्ष प्राप्त होती थी। इस वर्ष प्रथम किस्त के रूप में 80 हजार ही दिए गए। इसके बाद एक लाख रुपए की राशि जनवरी में प्रदान की गई। इस राशि से बिजली बिल, चॉक-डस्टर सहित अन्य अत्यंत मूलभत कार्य पूर्ण किए गए। इसके अतिरिक्त अन्य कार्यों पर पैसे खर्च नहीं किए जा सके। इसके चलते उखड़े हुए प्लास्टर, बेंच की टूट-फूट, ब्लैकबोर्ड की मरम्मत जैसे काम नहीं हो सके हैं। दसवीं-बारहवीं की परीक्षा के दौरान आत्मानंद विद्यालयों को भी परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। निरीक्षण के लिए पहुंच रही उड़नदस्ते की टीम को यहां नकल प्रकरण की बजाय बदहाली की शिकायतें मिल रही हैं। छत्तीसगढ़ में अभी 279 स्वामी आत्मानंद विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 247 अंग्रेजी माध्यम और 32 हिंदी माध्यम के स्कूल शामिल हैं।
मंडल सदस्य ने पूछा तो कहा-पैसे नहीं
बीते दिनों माध्यमिक शिक्षा मंडल की एक टीम निरीक्षण के लिए नरहदा पहुंची। यहां के स्वामी आत्मानंद विद्यालय में प्लास्टर और जमीन के टाइल्स उखड़े हुए मिले। मंडल टीम ने जब इसे बच्चों के लिए खतरनाक बताते हुए व्यवस्था ठीक नहीं किए जाने का कारण पूछा तो प्रबंधन ने पैसे नहीं होने का हवाला दिया। कई अन्य स्कूलों में यही स्थिति रही। ना सिर्फ राजधानी बल्कि अन्य जिलों के स्कूलों में भी यही हालात हैं। परीक्षा के दौरान वॉशरूम की उचित व्यवस्था ना होने की शिकायत भी विद्यार्थी प्रबंधन से कर चुके हैं।
वार्षिकोत्सव आवेदन का ढेर
इधर, रायपुर सहित अन्य जिला शिक्षा कार्यालयों में वार्षिकोत्सव आयोजित कराने के लिए फंड संबंधित आवेदनों के ढेर लगे हुए हैं। चूंकि अब परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए ये अर्जी बेकार चली जाएंगी। आत्मानंद विद्यालयों में मिलने वाले फंड के माध्यम से वार्षिकोत्सव का आयोजन कराया जाता था। राशि नहीं मिलने 80 प्रतिशत स्कूलों में वार्षिकोत्सव का आयोजन भी नहीं हो सका है। जिन 20 प्रतिशत स्कूलों में आयोजन हुए हैं, वहां यो छोटे स्तर पर वार्षिकोत्सव हुए हैं अथवा शिक्षकों ने फंड जुटाकर आयोजन किया है। गौरतलब है कि स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में छात्रों से फीस नहीं लिए जाने का प्रावधान है। जबकि अन्य शासकीय विद्यालयों में छात्रों से फीस ली जाती है। इससे प्राप्त राशि से ही विद्यालय के अन्य खर्च वहन होते हैं।
प्राचार्यों का खत- फीस लेने दें
स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में फीस नहीं लिए जाने के कारण सर्वाधिक दिक्कतों से सामना प्राचार्यों को करना पड़ रहा है। वे अपने स्तर पर कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। राजधानी रायपुर सहित कई जिलों के प्राचार्यों द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय को खत लिखा जा चुका है। इसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें यदि अनुदान प्रदान नहीं किया जा रहा है तो कम से कम फीस लेने की अनुमति प्रदान की जाए ताकि मूलभूत व्यवस्थाएं की जा सकें।
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं। उड़नदस्तों को दशकों पहले की तरह नकल प्रकरण तो नहीं मिल रहे हैं, लेकिन अजीबो-गरीब तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं।

Atmanand school
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं। उड़नदस्तों को दशकों पहले की तरह नकल प्रकरण तो नहीं मिल रहे हैं, लेकिन अजीबो-गरीब तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। ऐसी समस्याएं जिनका निराकरण सामान्यतः बोर्ड परीक्षाओं के पूर्व विद्यालय स्तर पर कर दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार यह संभव नहीं हो सका। यह स्थिति प्रदेशभर के स्वामी आत्मानंद विद्यालयों की है। सत्ता परिवर्तन के बाद इन विद्यालयों को पूर्व की तरह फंड नहीं मिल रहा है।
गौरतलब है कि, पूर्व में आत्मानंद विद्यालयों को पांच लाख की राशि अनुदान के रुप में प्रतिवर्ष प्राप्त होती थी। इस वर्ष प्रथम किस्त के रूप में 80 हजार ही दिए गए। इसके बाद एक लाख रुपए की राशि जनवरी में प्रदान की गई। इस राशि से बिजली बिल, चॉक-डस्टर सहित अन्य अत्यंत मूलभत कार्य पूर्ण किए गए। इसके अतिरिक्त अन्य कार्यों पर पैसे खर्च नहीं किए जा सके। इसके चलते उखड़े हुए प्लास्टर, बेंच की टूट-फूट, ब्लैकबोर्ड की मरम्मत जैसे काम नहीं हो सके हैं। दसवीं-बारहवीं की परीक्षा के दौरान आत्मानंद विद्यालयों को भी परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। निरीक्षण के लिए पहुंच रही उड़नदस्ते की टीम को यहां नकल प्रकरण की बजाय बदहाली की शिकायतें मिल रही हैं। छत्तीसगढ़ में अभी 279 स्वामी आत्मानंद विद्यालय संचालित हैं, जिनमें 247 अंग्रेजी माध्यम और 32 हिंदी माध्यम के स्कूल शामिल हैं।
मंडल सदस्य ने पूछा तो कहा-पैसे नहीं
बीते दिनों माध्यमिक शिक्षा मंडल की एक टीम निरीक्षण के लिए नरहदा पहुंची। यहां के स्वामी आत्मानंद विद्यालय में प्लास्टर और जमीन के टाइल्स उखड़े हुए मिले। मंडल टीम ने जब इसे बच्चों के लिए खतरनाक बताते हुए व्यवस्था ठीक नहीं किए जाने का कारण पूछा तो प्रबंधन ने पैसे नहीं होने का हवाला दिया। कई अन्य स्कूलों में यही स्थिति रही। ना सिर्फ राजधानी बल्कि अन्य जिलों के स्कूलों में भी यही हालात हैं। परीक्षा के दौरान वॉशरूम की उचित व्यवस्था ना होने की शिकायत भी विद्यार्थी प्रबंधन से कर चुके हैं।
वार्षिकोत्सव आवेदन का ढेर
इधर, रायपुर सहित अन्य जिला शिक्षा कार्यालयों में वार्षिकोत्सव आयोजित कराने के लिए फंड संबंधित आवेदनों के ढेर लगे हुए हैं। चूंकि अब परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए ये अर्जी बेकार चली जाएंगी। आत्मानंद विद्यालयों में मिलने वाले फंड के माध्यम से वार्षिकोत्सव का आयोजन कराया जाता था। राशि नहीं मिलने 80 प्रतिशत स्कूलों में वार्षिकोत्सव का आयोजन भी नहीं हो सका है। जिन 20 प्रतिशत स्कूलों में आयोजन हुए हैं, वहां यो छोटे स्तर पर वार्षिकोत्सव हुए हैं अथवा शिक्षकों ने फंड जुटाकर आयोजन किया है। गौरतलब है कि स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में छात्रों से फीस नहीं लिए जाने का प्रावधान है। जबकि अन्य शासकीय विद्यालयों में छात्रों से फीस ली जाती है। इससे प्राप्त राशि से ही विद्यालय के अन्य खर्च वहन होते हैं।
प्राचार्यों का खत- फीस लेने दें
स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में फीस नहीं लिए जाने के कारण सर्वाधिक दिक्कतों से सामना प्राचार्यों को करना पड़ रहा है। वे अपने स्तर पर कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। राजधानी रायपुर सहित कई जिलों के प्राचार्यों द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय को खत लिखा जा चुका है। इसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें यदि अनुदान प्रदान नहीं किया जा रहा है तो कम से कम फीस लेने की अनुमति प्रदान की जाए ताकि मूलभूत व्यवस्थाएं की जा सकें।
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