WTO पड़ रहा कमजोर... वित्त मंत्री ने क्यों कही ये बात, क्या है भारत का नया ट्रेड प्लान
WTO पड़ रहा कमजोर... वित्त मंत्री ने क्यों कही ये बात, क्या है भारत का नया ट्रेड प्लान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को व्यापार और निवेश के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होगा क्योंकि बहुपक्षीय संस्थान कमजोर हो रहे हैं। वैश्विक व्यापार का पुनर्गठन हो रहा है और WTO का प्रभाव घट रहा है। भारत ने यूके अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं शुरू की हैं। सरकार वित्तीय अनुशासन और ऋण प्रबंधन पर ध्यान दे रही है।
ब्रिटेन और अमेरिका सहित कई देशों के साथ भारत द्विपक्षीय व्यापार वार्ता कर रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि भारत को व्यापार और निवेश के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि दुनिया में बड़े बदलाव हो रहे हैं और द्विपक्षीय सहयोग अब एक नया प्रभावी तरीका बनता जा रहा है। उन्होंने गुरुवार को BS Manthan कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि ये समय दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण हैं और सरकार भारत को वैश्विक वृद्धि का एक प्रमुख इंजन बनाने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा, "द्विपक्षीय सहयोग अब प्रमुख एजेंडे में शामिल हो रहा है... हमें व्यापार और निवेश के अलावा रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कई देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना होगा। बहुपक्षीय सहयोग (Multilateralism) अब धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। हालांकि, मैं इसे पूरी तरह खत्म नहीं कहूंगी, लेकिन द्विपक्षीय सहयोग ही वह प्रभावी तरीका है, जिसका उपयोग किया जा सकता है।"
बहुपक्षीय संस्थाओं की घटती भूमिकानिर्मला सीतारमण ने कहा कि बहुपक्षीय संस्थान (Multilateral Institutions) धीरे-धीरे बेअसर होते जा रहे हैं। उन्हें रिवाइव करने की कोशिश से भी मनचाहा नतीजा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, "ऐसे मुद्दे जिनका प्रभाव सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं है, उन्हें हल करने के लिए अब कोई प्रभावी मंच नहीं बचा है... बहुपक्षीय संस्थानों का योगदान धीरे-धीरे घटता जा रहा है। कम से कम निकट भविष्य में इन्हें प्रभावी बनाने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।"
वैश्विक व्यापार में बदलाव और WTO की कमजोर स्थिति
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार पूरी तरह से पुनर्गठित (Reset) हो रहा है। उन्होंने कहा, "जिस ढांचे और नियमों के तहत हम अब तक व्यापार कर रहे थे, विशेष रूप से विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत, वे अब प्रभावी नहीं रहे।"
उन्होंने कहा कि "Most Favoured Nation (MFN)" का कॉन्सेप्ट पर प्रासंगिक नहीं रहा। हरेक देश चाहता है कि उसे विशेष दर्जा मिले और यह तय किया जाए कि यह दर्जा अपनेआप न मिले, बल्कि उसके रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए मिले। अगर WTO कमजोर हो रहा है और बहुपक्षीय संस्थान प्रभावी नहीं हैं, तो व्यापार के मामले में द्विपक्षीय समझौते अब प्राथमिकता बन जाएंगे।"
भारत के द्विपक्षीय व्यापार वार्ता और समझौते
भारत ने इस नए वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए ब्रिटेन और अमेरिका सहित कई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं शुरू कर दी हैं। भारत यूरोपीय संघ (EU) के 27 देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत कर रहा है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि "नए ग्लोबल ऑर्डर (Global Order) में भारत को व्यापार, निवेश और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना होगा।" उन्होंने कहा कि भारत के पास तकनीक और प्रतिभा का एक विशाल भंडार है, जिससे यह वैश्विक वृद्धि का इंजन बन सकता है।
ग्लोबल इकोनॉमिक में भारत की अहम भूमिकासीतारमण ने कहा, "मुझे लगता है कि ये समय बहुत दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण हैं... भारत को वैश्विक पुनर्गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। साथ ही हमें अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधारनी होगी, जिससे भारत प्रति व्यक्ति आय के मामले में आगे बढ़े और एक प्रमुख व्यापार और निवेश केंद्र बने। हमें ऐसा देश बनना होगा जहां प्रतिभा और पूंजी दोनों आसानी से प्रवाहित हो सकें, जिससे हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति दे सकें।"
सुधारों पर सरकार का ध्यानवित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय अनुशासन (Fiscal Prudence) बनाए रखना और ऋण प्रबंधन (Debt Management) सुधारना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा। उन्होंने कहा कि सुधार केवल केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि राज्य सरकारों को भी इसे गंभीरता से अपनाना होगा।
उन्होंने कहा, "मैं चाहूंगी कि राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, जहां हर राज्य यह कहे कि उसकी अर्थव्यवस्था अन्य राज्यों से बेहतर है।"
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को व्यापार और निवेश के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होगा क्योंकि बहुपक्षीय संस्थान कमजोर हो रहे हैं। वैश्विक व्यापार का पुनर्गठन हो रहा है और WTO का प्रभाव घट रहा है। भारत ने यूके अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं शुरू की हैं। सरकार वित्तीय अनुशासन और ऋण प्रबंधन पर ध्यान दे रही है।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि भारत को व्यापार और निवेश के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि दुनिया में बड़े बदलाव हो रहे हैं और द्विपक्षीय सहयोग अब एक नया प्रभावी तरीका बनता जा रहा है। उन्होंने गुरुवार को BS Manthan कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि ये समय दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण हैं और सरकार भारत को वैश्विक वृद्धि का एक प्रमुख इंजन बनाने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा, "द्विपक्षीय सहयोग अब प्रमुख एजेंडे में शामिल हो रहा है... हमें व्यापार और निवेश के अलावा रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कई देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना होगा। बहुपक्षीय सहयोग (Multilateralism) अब धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। हालांकि, मैं इसे पूरी तरह खत्म नहीं कहूंगी, लेकिन द्विपक्षीय सहयोग ही वह प्रभावी तरीका है, जिसका उपयोग किया जा सकता है।"
बहुपक्षीय संस्थाओं की घटती भूमिकानिर्मला सीतारमण ने कहा कि बहुपक्षीय संस्थान (Multilateral Institutions) धीरे-धीरे बेअसर होते जा रहे हैं। उन्हें रिवाइव करने की कोशिश से भी मनचाहा नतीजा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, "ऐसे मुद्दे जिनका प्रभाव सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं है, उन्हें हल करने के लिए अब कोई प्रभावी मंच नहीं बचा है... बहुपक्षीय संस्थानों का योगदान धीरे-धीरे घटता जा रहा है। कम से कम निकट भविष्य में इन्हें प्रभावी बनाने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।"
वैश्विक व्यापार में बदलाव और WTO की कमजोर स्थिति
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार पूरी तरह से पुनर्गठित (Reset) हो रहा है। उन्होंने कहा, "जिस ढांचे और नियमों के तहत हम अब तक व्यापार कर रहे थे, विशेष रूप से विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत, वे अब प्रभावी नहीं रहे।"
उन्होंने कहा कि "Most Favoured Nation (MFN)" का कॉन्सेप्ट पर प्रासंगिक नहीं रहा। हरेक देश चाहता है कि उसे विशेष दर्जा मिले और यह तय किया जाए कि यह दर्जा अपनेआप न मिले, बल्कि उसके रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए मिले। अगर WTO कमजोर हो रहा है और बहुपक्षीय संस्थान प्रभावी नहीं हैं, तो व्यापार के मामले में द्विपक्षीय समझौते अब प्राथमिकता बन जाएंगे।"
भारत के द्विपक्षीय व्यापार वार्ता और समझौते
भारत ने इस नए वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए ब्रिटेन और अमेरिका सहित कई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं शुरू कर दी हैं। भारत यूरोपीय संघ (EU) के 27 देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर बातचीत कर रहा है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि "नए ग्लोबल ऑर्डर (Global Order) में भारत को व्यापार, निवेश और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना होगा।" उन्होंने कहा कि भारत के पास तकनीक और प्रतिभा का एक विशाल भंडार है, जिससे यह वैश्विक वृद्धि का इंजन बन सकता है।
ग्लोबल इकोनॉमिक में भारत की अहम भूमिकासीतारमण ने कहा, "मुझे लगता है कि ये समय बहुत दिलचस्प लेकिन चुनौतीपूर्ण हैं... भारत को वैश्विक पुनर्गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। साथ ही हमें अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधारनी होगी, जिससे भारत प्रति व्यक्ति आय के मामले में आगे बढ़े और एक प्रमुख व्यापार और निवेश केंद्र बने। हमें ऐसा देश बनना होगा जहां प्रतिभा और पूंजी दोनों आसानी से प्रवाहित हो सकें, जिससे हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति दे सकें।"
सुधारों पर सरकार का ध्यानवित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय अनुशासन (Fiscal Prudence) बनाए रखना और ऋण प्रबंधन (Debt Management) सुधारना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा। उन्होंने कहा कि सुधार केवल केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि राज्य सरकारों को भी इसे गंभीरता से अपनाना होगा।
उन्होंने कहा, "मैं चाहूंगी कि राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, जहां हर राज्य यह कहे कि उसकी अर्थव्यवस्था अन्य राज्यों से बेहतर है।"
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