भोजशाला मामले में आज SC में सुनवाई, ASI सर्वे को लेकर याचिकाकर्ता रखेंगे नए तर्क; क्या बदलेगा रुख?
भोजशाला मामले में आज SC में सुनवाई, ASI सर्वे को लेकर याचिकाकर्ता रखेंगे नए तर्क; क्या बदलेगा रुख?
भोजशाला मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी जहां याचिकाकर्ता एएसआई सर्वे रिपोर्ट पर लगी रोक हटाने की मांग करेंगे। याचिका में नए तर्क दिए जाएंगे। इस मामले में याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहाभोजशाला में एएसआई सर्वेक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक को हटाया जाए और एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए।
मध्य प्रदेश में धार भोजशाला मामले में होगी सुनवाई (फाइल फोटो)
HIGHLIGHTSधार में भोजशाला विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
'एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए।'
भोजशाला मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी जहां याचिकाकर्ता एएसआई सर्वे रिपोर्ट पर लगी रोक हटाने की मांग करेंगे। याचिका में नए तर्क दिए जाएंगे। इस मामले में याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहाभोजशाला में एएसआई सर्वेक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक को हटाया जाए और एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए।
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HIGHLIGHTSधार में भोजशाला विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
'एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए।'
मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद परिसर के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इस मामले में याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहा, 'आज सुप्रीम कोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होनी है।
याचिकाकर्ता ने कहा, हमने मांग की है कि भोजशाला में एएसआई सर्वेक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक को हटाया जाए और एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए।
क्या बोले याचिकाकर्ता?याचिकाकर्ता ने आगे कहा,
1991 में पूजा स्थल अधिनियम लागू हुआ लेकिन एएसआई द्वारा संरक्षित स्थलों पर इसे लागू नहीं किया गया। जैसा कि हमने देखा है, अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में इस अधिनियम को लागू नहीं किया गया, इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि इसे भोजशाला परिसर में भी लागू न किया जाए।'
'काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है भोजशाला का मुद्दा'इसमें याचिकाकर्ता आशीष गोयल और अन्य नए तर्कों के साथ सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे।
जिसमें बताया जाएगा कि भोजशाला का मुद्दा और इस परिसर का स्वरूप काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है।
इसका धर्म स्थल उपासना अधिनियम 1991 से कोई लेना-देना नहीं है। यह एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा संरक्षित इमारत है।
इसलिए मूल याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए। सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक भी हटाई जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा, हमने मांग की है कि भोजशाला में एएसआई सर्वेक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक को हटाया जाए और एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए।
क्या बोले याचिकाकर्ता?याचिकाकर्ता ने आगे कहा,
1991 में पूजा स्थल अधिनियम लागू हुआ लेकिन एएसआई द्वारा संरक्षित स्थलों पर इसे लागू नहीं किया गया। जैसा कि हमने देखा है, अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में इस अधिनियम को लागू नहीं किया गया, इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि इसे भोजशाला परिसर में भी लागू न किया जाए।'
'काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है भोजशाला का मुद्दा'इसमें याचिकाकर्ता आशीष गोयल और अन्य नए तर्कों के साथ सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे।
जिसमें बताया जाएगा कि भोजशाला का मुद्दा और इस परिसर का स्वरूप काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है।
इसका धर्म स्थल उपासना अधिनियम 1991 से कोई लेना-देना नहीं है। यह एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा संरक्षित इमारत है।
इसलिए मूल याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए। सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक भी हटाई जानी चाहिए।
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