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नगरी में भाजपा का कब्ज़ा : तमाम चुनौतियों के बावजूद जीतने में हुए सफल, कुशल रणनीति ने कांग्रेस के समीकरण को किया फेल

नगरी में भाजपा का कब्ज़ा : तमाम चुनौतियों के बावजूद जीतने में हुए सफल, कुशल रणनीति ने कांग्रेस के समीकरण को किया फेल


नगरी नगर पंचायत में वरिष्ठ भाजपा नेताओं की निष्क्रियता और चुनाव के दौरान आई चुनौतियों के बाद भी भाजपा ने यहां जीत का परचम लहराया है। भाजपा की कुशल रणनीति ने जीत दिलाई।


नगरी नगर पंचायत में भाजपा की हुई जीत

 छत्तीसगढ़ के नगर पंचायत नगरी के चुनाव में भाजपा ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस की सामाजिक समीकरण आधारित रणनीति पूरी तरह फेल हो गई। कांग्रेस ने पूरे चुनाव के दौरान विभिन्न समाजों के मतदाताओं को जोड़कर जीत की कोशिश की। लेकिन जनता ने इस गणित को नकारते हुए भाजपा को समर्थन दिया।

भाजपा की इस जीत में सबसे अहम भूमिका सही प्रत्याशी चयन, सशक्त प्रचार-प्रसार और व्यक्तिगत जनसंपर्क अभियान की रही। भाजपा प्रत्याशी बलजीत छाबड़ा ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। घर- घर जाकर मतदाताओं से सीधा संवाद किया। इसके साथ ही भाजपा जिला अध्यक्ष प्रकाश बैस और नगरी नगर चुनाव प्रभारी महेंद्र पंडित की प्रभावी रणनीति ने जीत का मार्ग प्रशस्त किया। राज्य और केंद्र सरकार की जनहितकारी योजनाओं का असर भी जनता पर साफ दिखा।जीत के बाद बलजीत छाबड़ा

भाजपा के भीतर ही दिखी गुटबाजी

भाजपा की इस जीत में कई मुश्किलें भी आईं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और चर्चित कार्यकर्ता चुनावी मैदान में सक्रिय नजर नहीं आए। कुछ कार्यकर्ताओं ने तटस्थ रवैया अपनाया। जिससे बलजीत छाबड़ा को प्रचार के दौरान अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी। चुनाव के दौरान यह साफ देखा गया कि कई भाजपा नेताओं ने वह सक्रियता नहीं दिखाई, जिनकी जरुरत थी।

कांग्रेस के दांव हुए फेल

कांग्रेस ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंकते हुए विभिन्न समाजों का समर्थन जुटाने की रणनीति अपनाई थी। उसके वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता पूरी एकजुटता से मैदान में उतरे थे। लेकिन भाजपा के मजबूत संगठन और प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि और मेहनत ने कांग्रेस की रणनीति पर पानी फेर दिया।

मतदाताओं ने विकास पर दिया जोर

इस चुनाव ने यह संदेश दे दिया कि, अब केवल सामाजिक समीकरणों के सहारे जीत हासिल करना संभव नहीं है। जनता अब नेतृत्व क्षमता, कार्यकुशलता और विकास को प्राथमिकता दे रही है। भाजपा की यह जीत दिखाती है कि अगर सही प्रत्याशी चुना जाए और जमीनी स्तर पर मेहनत की जाए, तो गुटबाजी जैसी चुनौतियों के बावजूद सफलता हासिल की जा सकती है।
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