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हाथ प्रत्यारोपण के लिए पहली बार शुरू हुई रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, किन मामलो में किया जा सकता है दान?

हाथ प्रत्यारोपण के लिए पहली बार शुरू हुई रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, किन मामलो में किया जा सकता है दान?

देश में हाथ प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए पहली बार एक रजिस्ट्री स्थापित की गई है। जरूरतमंद मरीज राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय रजिस्ट्री में रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आता है। वर्तमान में देश में हाथ प्रत्यारोपण के लिए नौ अस्पताल पंजीकृत हैं। इनमें अब तक 36 मरीजों को हाथ मिले हैं।



 देश में हाथ प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए पहली बार एक रजिस्ट्री स्थापित की गई है। अधिकारियों ने कहा कि इससे पारदर्शी तरीके से और प्राथमिकता के आधार पर दान किए गए अंग का जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपण किया जा सकेगा।

इसके लिए जरूरतमंद मरीज राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय रजिस्ट्री में रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे, जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आता है। केरल के कोच्चि स्थित अमृता हास्पिटल एंड स्कूल आफ मेडिसिन में प्रोफेसर डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर ने कहा कि रजिस्ट्री की स्थापना तथा प्राथमिकता के आधार पर पूरे भारत में हाथों का आवंटन करने से दान को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही दान किए गए हाथों का उचित उपयोग भी होगा।

राज्यों को दी गई जानकारी

डॉ. अय्यर ने 2015 में भारत में पहला हाथ प्रत्यारोपण करने वाली टीम का नेतृत्व किया था। एनओटीटीओ के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने हाल ही में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर रजिस्ट्री के बारे में जानकारी दी और अनुपालन के लिए सभी हाथ प्रत्यारोपण केंद्रों और अस्पतालों तक इसकी जानकारी पहुंचाने को कहा।

डॉ. कुमार ने कहा कि देश में हाथ का प्रत्यारोपण बढ़ रहा है। अधिकाधिक केंद्रों में हाथ का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। एनओटीटीओ के मुताबिक, वर्तमान में देश में हाथ प्रत्यारोपण के लिए नौ अस्पताल पंजीकृत हैं। इनमें अब तक 36 मरीजों को हाथ मिले हैं। डॉ. अय्यर ने कहा कि आमतौर पर अंग दान 'ब्रेन डेथ' के बाद किया जाता है, लेकिन हाथ दान 'ब्रेन डेथ' के साथ-साथ हृदय के काम करना बंद करने से मौत के बाद भी किया जा सकता है।

अधिक संख्या में हो रहे हैं दान

हृदयाघात से मृत्यु की स्थिति में हृदय के काम करना बंद करने के आधे घंटे के भीतर हाथ दान कर दिया जाना चाहिए और यह कार्य अस्पताल के भीतर नियंत्रित वातावरण में किया जाना चाहिए। डॉ. अय्यर ने कहा कि हाथ 'कंपोजिट टिशू' की श्रेणी में आते हैं और अब जागरूकता बढ़ने के कारण अधिक से अधिक मरीज हाथ प्रत्यारोपण की मांग कर रहे हैं तथा अधिक संख्या में दान हो रहे हैं। इसलिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

डॉ. कुमार ने कहा कि इससे एनओटीटीओ को हाथ प्रत्यारोपण के लिए आवंटन प्रक्रिया और दाताओं तथा प्राप्तकर्ताओं के डाटा प्रबंधन में मदद मिलेगी। देश में अब जागरूकता बढ़ रही है। साथ ही हाथ प्रत्यारोपण करने वाले अस्पतालों की संख्या भी बढ़ रही है। बताते चलें, भारत में हाथ प्रत्यारोपण की शुरुआत 2015 में हुई थी, जब एक 29 वर्षीय व्यक्ति के दोनों हाथों का प्रत्यारोपण किया गया था।
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