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दूसरी श्वेत क्रांति का आगाज, डेयरी समितियों से बदलेगी एक लाख गांवों की किस्मत

दूसरी श्वेत क्रांति का आगाज, डेयरी समितियों से बदलेगी एक लाख गांवों की किस्मत

सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने के लिए दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस कर रही है। यह काम युद्ध स्तर पर किया जाएगा और इसे दूसरी श्वेत क्रांति की तरह देखा जा रहा है। अगले पांच साल में 56 हजार 586 नई डेयरी सहकारी समितियों और मिल्क पूलिंग प्वाइंट्स की स्थापना होनी है। इसमें ऐसे गांवों पर फोकस रहेगा जहां अभी डेयरी समितियां नहीं बन पाई हैं।


 ग्रामीण अर्थतंत्र को रफ्तार देने के लिए देश में दूसरी श्वेत क्रांति की शुरुआत एक लाख गांवों से होने जा रही है। पांच वर्षों के दौरान 56 हजार 586 नई डेयरी सहकारी समितियों और मिल्क पूलिंग प्वाइंट्स की स्थापना होनी है। इसमें ऐसे गांवों को कवर किया जाना है, जहां अभी डेयरी समितियां नहीं बन पाई हैं। लगभग साढ़े पांच दशक के अंतराल पर प्रारंभ दूसरी श्वेत क्रांति के तहत पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, संग्रहण एवं निर्यात पर फोकस किया जा रहा है।

अभी देश के एक लाख 59 हजार से ज्यादा गांवों में डेयरी से जुड़ी सहकारी समितियां क्रियाशील हैं, जिनके जरिए प्रतिदिन औसतन 590 लाख लीटर दूध की खरीद हो रही है। अगले पांच वर्षों में इसे 50 प्रतिशत बढ़ाते हुए लगभग एक हजार लाख लीटर करना है। अभी देश में दूध संग्रहण में प्रतिवर्ष लगभग छह प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। इसे बढ़ाकर नौ प्रतिशत तक करना है।

साल के हिसाब से दूध संग्रह का लक्ष्य
साल मात्रा (लाख लीटर में)
2024-25 720
2025-26 780
2026-27 847
2027-28 923
2028-29 1007


ग्राम स्तर पर पहले से क्रियाशील 46 हजार डेयरी समितियों को भी समृद्ध करना है। उन गांवों में उच्च स्तर की दूध संकलन इकाई, बल्क मिल्क कूलर, डेटा प्रोसेसर एवं परीक्षण आदि उपकरण लगाने हैं। इससे प्राथमिक डेयरी सहकारिता के नेटवर्क के विस्तार में मदद मिलेगी। महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। छोटे गोपालकों के घर तक बाजार की पहुंच होगी तो उन्हें लाभकारी मूल्य भी मिल सकेगा।
दुग्ध क्षेत्र को संगठित करने की तैयारी

देश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा तो घरेलू मांग की आपूर्ति हो सकेगी और निर्यात करने की क्षमता में भी वृद्धि होगी। एनडीडीबी की ओर से कराए गए एक सर्वे में बताया गया है कि दूध में अभी भी असंगठित क्षेत्र का ही प्रभुत्व है। इससे गुणवत्ता को नियंत्रित करने में दिक्कत होती है, लेकिन जब सहकारिता के जरिए गांव-गांव से अधिक मात्रा में दूध का संकलन होने लगेगा तो संगठित डेयरी उद्योग को व्यापक प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके बाद उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध भी मिल सकेगा।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को योजना तैयार करने की जिम्मेवारी दी गई है। इसके तहत गांव और पंचायत स्तर पर आसान ऋण एवं अन्य सारी सहूलियतों की व्यवस्था की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट पर काम प्रारंभ भी कर दिया गया है। एक हजार बहुउद्देश्यीय प्राथमिक साख समितियों (एम-पैक्स) को डेयरी विकास की आधारभूत संरचना के लिए एनडीडीबी द्वारा 40-40 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा। प्रयोग सफल हुआ तो सभी डेयरी सहकारी समितियों को इसके दायरे में लाया जाएगा।
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