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'मुस्लिमों और सिखों की तरह...', तिरुपति लड्डू विवाद से नाराज श्री श्री रविशंकर ने दी खास सलाह

'मुस्लिमों और सिखों की तरह...', तिरुपति लड्डू विवाद से नाराज श्री श्री रविशंकर ने दी खास सलाह

Tirumala Tirupati Laddu Case तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में मिलावट की बात से हर कोई नाराज है। लड्डू में जानवरों की चर्बी मिले होने की बात पर हंगामा मचा है। इस बीच लड्डू विवाद पर आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का बयान सामने आया है। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि इस लड्डू से हिंदुओं की भावनाएं कितनी आहत हुई हैं।

Tirumala Tirupati Laddu Case तिरुपति लड्डू विवाद से श्री श्री रविशंकर नाराज।

Tirumala Tirupati Laddu Case आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में मिलावट की बात से हर कोई नाराज है। लड्डू में जानवरों की चर्बी मिले होने की बात पर हंगामा मचा है। इस बीच लड्डू विवाद पर आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का बयान सामने आया है।
विवाद पर गहरी नाराजगी जताई

श्री श्री रविशंकर ने विवाद पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा,

हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि 1857 में सिपाही विद्रोह कैसे हुआ था और अब हम देखते हैं कि इस लड्डू से हिंदुओं की भावनाएं कितनी आहत हुई हैं। यह ऐसी चीज है जिसे माफ नहीं किया जा सकता।
ये लालच की पराकाष्ठा, दोषियों को मिले कड़ी सजा

श्री श्री रविशंकर ने कहा कि जिसने भी यहा काम किया है, वो दुर्भावनापूर्ण है। इस मिलावट के कार्य में शामिल लोगों के लालच की पराकाष्ठा है। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जानी चाहिए और जो भी इस प्रक्रिया में दूर-दूर तक शामिल है, उसे जेल में डाल दिया जाना चाहिए।

हर खाद्य उत्पाद की जांच करने की जरूरत

आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि हमें सिर्फ लड्डू ही नहीं बल्कि हर खाद्य उत्पाद की जांच करने की जरूरत है। बाजार में उपलब्ध घी की भी। उन्होंने पूछा कि क्या कोई जांच कर रहा है कि कंपनियां घी में क्या डाल रही हैं? जो लोग भोजन में मिलावट करते हैं और उस पर शाकाहारी होने का ठप्पा लगाते हैं और उसमें किसी भी तरह का मांसाहारी पदार्थ डालते हैं, उन्हें बहुत कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

श्री श्री रविशंकर ने दी खास सलाहश्री श्री रविशंकर ने कहा कि मंदिर प्रबंधन के लिए हमें यह देखने की जरूरत है कि यह संतों, स्वामियों और आध्यात्मिक नेताओं की निगरानी में हो। हमें एक समिति बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि उत्तर और दक्षिण दोनों में आध्यात्मिक लीडर को ही मंदिर की देखरेख करनी चाहिए।
सरकार की ओर से भी एक व्यक्ति होना चाहिए, लेकिन उसे छोटी भूमिका निभानी होगी।

आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि मंदिर के बड़े फैसले, पर्यवेक्षण और सब कुछ दूसरे धार्मिक बोर्डों की तरह जैसे सिखों के एसजीपीसी, मुस्लिम निकाय, ईसाई निकाय की तरह होने चाहिए।
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