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देश की बढ़ती आबादी के लिए दूध की जरूरत को पूरा करेगा अब बायो मिल्क

देश की बढ़ती आबादी के लिए दूध की जरूरत को पूरा करेगा अब बायो मिल्क

इस दूध जुटाने के लिए देश में 30 करोड़ अधिक गाय भैंस के साथ दो करोड़ से अधिक भेड़ बकरी आदि पशुओं को पाला गया है। आने वाले दिनों देश की बढ़ती आबादी के लिए दूध का और जरूरत बढ़ेगी लेकिन इसकी पूर्ति और अधिक पशुओं को पालने से नहीं पूरी होगी। बल्कि इसके लिए बायो मिल्क जैसे विकल्प को ही अपनाना होगा। यह दूध बायो उत्पादों से तैयार होगा।

मौजूदा समय में दुनिया का करीब 25 प्रतिशत दूध ही देश में उत्पादित होता है।


 बायो-टेक्नोलाजी के क्षेत्र में भविष्य की जरूरतों को पूरा करने से जुड़ी संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने का फैसला लिया है। इसके तहत सरकार ने देश की पहली बायो ई3 (इकोनॉमी, इनवायरोमेंट, इम्प्लायमेंट) पॉलिसी जारी की है। जिसके तहत दूध, खाद्यान्न, पर्यावरण सहित आम जनजीवन के सामने खड़ी होने वाली प्रत्येक चुनौती से निपटने का तैयारी है।

फिलहाल, इस नए क्षेत्र के विस्तार से लोगों को आने वाले दिनों में जो बड़ा लाभ मिलेगा, वह बायो मिल्क होगा। जो न सिर्फ बढ़ती आबादी के लिए दूध की जरूरत को पूरा करेगा बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को देश की पहली बायो ई3 पॉलिसी को जारी किया और कहा कि दुनिया में नई औद्योगिक क्रांति बायो टेक्नोलाजी और बायो-मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में होगी। जिसकी अगुवाई भारत करेगा।

उन्होंने कहा कि आईटी क्रांति की तरह बायो मिल्क व बायो एग्रीफूड की बात अभी भले ही लोगों को एक चौंकाने वाली बात लग रही लेकिन, भविष्य की जरूरतें इससे ही पूरा होगी। अगले पांच से दस सालों में यह दिखने भी लगेगा। बायो-टेक्नोलाजी विभाग के मुताबिक, मौजूदा समय में दुनिया का करीब 25 प्रतिशत दूध ही देश में उत्पादित होता है। ऐसे में देश की करीब 140 करोड़ आबादी के लिए इसकी उपलब्धता 459 ग्राम प्रति दिन प्रति व्यक्ति है।



इस दूध जुटाने के लिए देश में 30 करोड़ अधिक गाय, भैंस के साथ दो करोड़ से अधिक भेड़ बकरी आदि पशुओं को पाला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों देश की बढ़ती आबादी के लिए दूध का और जरूरत बढ़ेगी, लेकिन इसकी पूर्ति और अधिक पशुओं को पालने से नहीं पूरी होगी। बल्कि इसके लिए बायो मिल्क जैसे विकल्प को ही अपनाना होगा। यह दूध बायो उत्पादों से तैयार होगा। इसमें किसी भी तरीके से केमिकल का कोई इस्तेमाल नहीं होगा। देश की खाद्य जरूरतों के साथ ही नीति का मुख्य फोकस देश को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से भी बाहर निकालना है।

ऐसे में प्लास्टिक की जगह बायो-प्लास्टिक तैयार करने पर जोर दिया है। जो आसानी से नष्ट हो जाएगी। साथ ही वह पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुचाएगी। इसके साथ ही नीति का फोकस दवाओं के निर्माण में तेजी लाने, कार्बन को अवशोषित करके उससे जुड़े उत्पाद तैयार करने आदि पर फोकस किया गया है। नीति के तहत देश में बायोमैन्यूफैक्चरिंग के लिए नया माहौल पैदा करने, उससे जुड़े नियम-कायदे तैयार करने व इस क्षेत्र में कदम रखने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
335 लाख करोड़ से अधिक होगा बायोमैन्यूफैक्चरिंग उद्योग

नीति के मुताबिक बायोमैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भविष्य को लेकर जिस तरह की संभावनाएं दिख रही है, उनमें यह उद्योग आने वाले दिनों में करीब 335 लाख करोड़ से अधिक का होगा। फिलहाल बायो टेक्नालाजी के क्षेत्र को गति देने नीति ने अपने दायरे में 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल है। इनमें आइटी मंत्रालय भी शामिल है। जो बायो टेक्नोलाजी के क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा।
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