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खाने-पीने की वस्तुओं पर जीएसटी को लेकर भ्रम, अन्नपूर्णा एमडी विवाद के बाद फिर छिड़ी नई बहस

खाने-पीने की वस्तुओं पर जीएसटी को लेकर भ्रम, अन्नपूर्णा एमडी विवाद के बाद फिर छिड़ी नई बहस

तमिलनाडु की अन्नपूर्णा रेस्टोरेंट चेन के एमडी और वित्त मंत्री के बीच हुए सवाल जबाव के बाद विवाद हो गया है। वहीं जीएसटी के जानकारों के मुताबिक खाने-पीने के मामले में जीएसटी दरों को लेकर भ्रम की स्तिथि है। रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो उस पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है लेकिन खाने के बाद आइसक्रीम मंगवा लिया तो उस पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लगेगा।


खाने-पीने की वस्तुओं पर जीएसटी को लेकर भ्रम, जीएसटी को तर्कसंगत बनाने की जरूरत

 बन में क्रीम लगाने के बाद इस पर लगने वाले जीएसटी को लेकर तमिलनाडु की अन्नपूर्णा रेस्टोरेंट चेन के एमडी की तरफ से वित्त मंत्री से पूछे गए सवाल के बाद भले ही उसे राजनीतिक रंग दे दिया गया हो, लेकिन जीएसटी के जानकारों का मानना है कि ऐसे कई आइटम है जिस पर लगने वाली जीएसटी दरों को तार्किक करने की जरूरत है।

अन्नपूर्णा के एमडी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक परिचर्चा के दौरान कहा कि बन पर कोई जीएसटी नहीं है और बन में क्रीम भर देने से उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसलिए हमारे ग्राहक कहते हैं कि हमें बन दे दो, हम क्रीम अलग से लगा लेंगे। क्रीम पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की अतार्किक दरों की वजह से बिलिंग करने में भी दिक्कत आती है।

अन्नपूर्णा चेन के एमडी ने मांगी माफी

बाद में अन्नपूर्णा चेन के एमडी का एक वीडियो जारी किया गया जिसमें वे वित्त मंत्री से माफी मंगाते दिखाए गए जिसे लेकर राजनीतिक वाद-विवाद चला। जीएसटी के जानकारों के मुताबिक खाने-पीने के मामले में जीएसटी दरों की तस्वीर साफ नहीं है और कई बार भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो उस पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है, लेकिन खाने के बाद आइसक्रीम मंगवा लिया तो उस पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लगेगा।

अगर परिवार के किसी सदस्य ने वर्जिन मोजितो जैसी गैर अल्कोहलिक बेवरेज मंगवा लिया तो उस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। ऐसे में, रेस्टोरेंट वाले को भी जीएसटी दर अलग-अलग हो जाने से अलग-अलग तरीके से बिलिंग करनी होगी और भुगतान करने वालों को यह शक हो सकता है कि कहीं रेस्टोरेंट वाला उनसे अधिक शुल्क तो नहीं वसूल रहा है।

एसटी के रुलिंग पर भी काफी चर्चा हुई

वैसे ही पैकेज्ड मिनरल वाटर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है तो सोया मिल्क, फल आधारित जूस पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। चार-पांच लोग एक साथ रेस्टोरेंट में खाने के लिए जाए और अलग-अलग पेयपदार्थ का ऑर्डर कर दे तो बिलिंग में परेशानी होती है। कुछ साल पहले अथॉरिटी ऑफ एडवांस रुलिंग (एएआर) की तरफ से पराठा पर 18 प्रतिशत तो रोटी पर पांच प्रतिशत जीएसटी के रुलिंग पर भी काफी चर्चा हुई थी।
दरों को तार्किक बनाना आसान नहीं

कंपनी किसी वस्तु के जीएसटी पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए एएआर के पास जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों को तार्किक करने की मांग लगातार उठती रही है और सरकार की तरफ इसे लेकर मंत्रियों के समूह का गठन (जीओएम) का गठन भी कर दिया गया है। परंतु जानकारों का मानना है कि दरों को तार्किक बनाना आसान नहीं है क्योंकि इससे जीएसटी से मिलने वाले राजस्व का संग्रह प्रभावित हो सकता है। राज्य अपने राजस्व से समझौता करके दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए तैयार नहीं होंगे।
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