GST दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं जीओएम, 9 सितंबर को होने वाली है मीटिंग
GST दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं जीओएम, 9 सितंबर को होने वाली है मीटिंग
गुरुवार को नई दिल्ली में जीओएम की बैठक हुई थी जिसमें जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर चर्चा की गई। सात राज्यों के वित्त मंत्रियों का समूह (जीओएम) जीएसटी स्लैब के बदलाव के पक्ष में नहीं आ पा रहे हैं। अन्य वित्त मंत्री भी इस पक्ष में दिखे कि अभी जीएसटी दरों में बदलाव की की जरूरत नहीं है।
गुरुवार को नई दिल्ली में जीओएम की बैठक हुई थी जिसमें जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर चर्चा की गई। सात राज्यों के वित्त मंत्रियों का समूह (जीओएम) जीएसटी स्लैब के बदलाव के पक्ष में नहीं आ पा रहे हैं। अन्य वित्त मंत्री भी इस पक्ष में दिखे कि अभी जीएसटी दरों में बदलाव की की जरूरत नहीं है।
सात राज्यों के वित्त मंत्रियों का समूह (जीओएम) जीएसटी दर या स्लैब के बदलाव के पक्ष में फिलहाल नहीं दिख रहा है। इसके साथ ही यह तय हो गया कि आगामी नौ सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में दरों में बदलाव को लेकर कोई फैसला नहीं होगा।
गुरुवार को नई दिल्ली में जीओएम की बैठक हुई थी जिसमें जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर चर्चा की गई। जीओएम के संयोजक बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी है जिन्होंने बताया कि जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर आगे की बैठकों में विस्तृत चर्चा की जाएगी।
बैठक में नहीं हुआ कोई फैसला
गुरुवार की बैठक में इस मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ। अन्य वित्त मंत्री भी इस पक्ष में दिखे कि अभी जीएसटी दरों में बदलाव की की जरूरत नहीं है। गत जून में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में दरों में बदलाव पर विचार करने के लिए चौधरी के नेतृत्व में जीओएम का गठन किया गया था। इस समूह में पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान व गोवा के वित्त मंत्री भी शामिल है।
जून में काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि जीओएम की सिफारिश के आधार पर जीएसटी स्लैब में बदलाव पर काउंसिल की आगामी बैठक में विचार किया जाएगा। अभी जीएसटी की पांच दरें हैं। इनमें शून्य, पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत शामिल हैं। इसके अलावा सोने पर तीन प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है।
लाइफ व हेल्थ इंश्योरेंस पर GST भी है मुद्दा
पिछले कुछ समय से यह चर्चा चल रही है कि जिन वस्तुओं का इस्तेमाल अधिकतर लोग करते हैं और अगर उस वस्तु पर 12 प्रतिशत जीएसटी है तो उस वस्तु को पांच प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक जीओएम की बैठक में लाइफ व हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी का भी मुद्दा उठा। लेकिन इस पर भी कोई सहमति नहीं बनी।
कुछ दिन पहले बजट पर अपने जवाब में वित्त मंत्री ने संसद में विपक्षी दलों से कहा था कि इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को हटाने के लिए वे अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों से क्यों नहीं मांग करते हैं। इससे मिलने वाले राजस्व से केंद्र से अधिक राज्यों को फायदा होता है।
गुरुवार को नई दिल्ली में जीओएम की बैठक हुई थी जिसमें जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर चर्चा की गई। जीओएम के संयोजक बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी है जिन्होंने बताया कि जीएसटी की दरों में बदलाव को लेकर आगे की बैठकों में विस्तृत चर्चा की जाएगी।
बैठक में नहीं हुआ कोई फैसला
गुरुवार की बैठक में इस मामले में कोई निर्णय नहीं हुआ। अन्य वित्त मंत्री भी इस पक्ष में दिखे कि अभी जीएसटी दरों में बदलाव की की जरूरत नहीं है। गत जून में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में दरों में बदलाव पर विचार करने के लिए चौधरी के नेतृत्व में जीओएम का गठन किया गया था। इस समूह में पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान व गोवा के वित्त मंत्री भी शामिल है।
जून में काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि जीओएम की सिफारिश के आधार पर जीएसटी स्लैब में बदलाव पर काउंसिल की आगामी बैठक में विचार किया जाएगा। अभी जीएसटी की पांच दरें हैं। इनमें शून्य, पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत शामिल हैं। इसके अलावा सोने पर तीन प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है।
लाइफ व हेल्थ इंश्योरेंस पर GST भी है मुद्दा
पिछले कुछ समय से यह चर्चा चल रही है कि जिन वस्तुओं का इस्तेमाल अधिकतर लोग करते हैं और अगर उस वस्तु पर 12 प्रतिशत जीएसटी है तो उस वस्तु को पांच प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक जीओएम की बैठक में लाइफ व हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी का भी मुद्दा उठा। लेकिन इस पर भी कोई सहमति नहीं बनी।
कुछ दिन पहले बजट पर अपने जवाब में वित्त मंत्री ने संसद में विपक्षी दलों से कहा था कि इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को हटाने के लिए वे अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों से क्यों नहीं मांग करते हैं। इससे मिलने वाले राजस्व से केंद्र से अधिक राज्यों को फायदा होता है।
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