राज्यों के खजाने पर दोतरफा असर करेगी यूनीफाइड पेंशन स्कीम; यूपी और महाराष्ट्र जैसे राज्य होंगे ज्यादा प्रभावित
राज्यों के खजाने पर दोतरफा असर करेगी यूनीफाइड पेंशन स्कीम; यूपी और महाराष्ट्र जैसे राज्य होंगे ज्यादा प्रभावित
भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की। इसके चलते राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के लिए मौजूदा नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के साथ यूपीएस को भी लागू कर सकते हैं। बता दें कि राज्य पहले से ही पुरानी पेंशन योजना के बोझ में दबे जा रहे हैं। इससे यूपी राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र जैसे राज्य ज्यादा प्रभावित होंगे।
भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की। इसके चलते राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के लिए मौजूदा नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के साथ यूपीएस को भी लागू कर सकते हैं। बता दें कि राज्य पहले से ही पुरानी पेंशन योजना के बोझ में दबे जा रहे हैं। इससे यूपी राजस्थान मध्य प्रदेश महाराष्ट्र जैसे राज्य ज्यादा प्रभावित होंगे।
यूनीफाइड पेंशन स्कीम का राज्यों पर होगा कैसा असर
पिछले शनिवार को केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की। अब गेंद राज्यों के पाले में है कि वह भी अपने कर्मचारियों के लिए मौजूदा नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के साथ यूपीएस को भी लागू कर सकते हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को अपनी कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला भी कर लिया है। संकेत इस बात के हैं कि भाजपा शासित राज्य धीरे-धीरे केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक ही यूपीएस को अपनाने की शुरूआत कर सकते हैं।
ऐसा होने पर यूपीएस के तहत अभी से ही राज्यों को कुल फंड में सरकार की बढ़ी हुई हिस्सेदारी (मौजूदा 14 फीसद से बढ़ा कर 18.5 फीसद) के तहत अतिरिक्त राशि अपने राजस्व संग्रह से देने होंगे बल्कि भविष्य के बढ़े हुए दायित्व के हिसाब से आवश्यक फंड की व्यवस्था पर अभी से सोचना होगा।
यूपीएस या ओपीएस लागू करने का फैसला
कांग्रेस ने अभी इस बारे में अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लिहाजा उनके राज्यों का क्या फैसला होगा यह अभी भविष्य के गर्त में है। लेकिन यह तय है कि यूपीएस या ओपीएस लागू करने का फैसला राज्यों के वित्तीय खजाने पर बहुत भारी असर डालने वाला साबित होगा।
जो आंकलन सामने आ रहा है कि उसके मुताबिक यूपीएस लागू करने का असर राज्यों के वित्तीय प्रबंधन पर वर्ष 2037-38 के बाद काफी प्रभाव डालने वाला होगा। वजह यह है कि अभी वर्ष 2004 के बाद सेवा में आने वाले और एनपीएस लेने वाले राज्य कर्मचारियों में से 20 फीसद वर्ष 2037 तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसके बाद के 15 वर्षों (वर्ष 2038-2052) के बीच ऐसे 60 फीसद कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे।
एनपीएस के तहत इन कर्मचारियों व सरकार के योगदान से निर्मित फंड से जो राशि बनती उससे ही इनके पेंशन का भुगतान किया जाता। लेकिन अगर केंद्र की यूपीएस योजना को राज्य लागू करते हैं तो सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सुनिश्चित राशि बतौर पेंशन (अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत का 50 फीसद ) देना होगा।
बाद में इसमें हर छह माह पर महंगाई भत्ता के जोड़ और ग्रेच्यूटी के अतिरिक्त एकमुश्त राशि का संयुक्त बोझ भी उठाना होगा। इसका राज्यों पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा, इसका अभी कोई आकलन सामने नहीं आया है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि उसके 23 लाख कर्मचारियों के लिए यूपीएस के तहत निर्मित फंड में अतिरिक्त 4.5 फीसद का योगदान (14 फीसद से बढ़ा कर 18.5 फीसद करने के कारण) सिर्फ वर्ष 2025-26 में 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
किन राज्यो पर होगा ज्यादा असर
उन राज्यों पर ज्यादा असर होगा जहां सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारियों ने NPS लिया हुआ है। इस मामले में पांच सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ हैं। यूपी व राजस्थान दो ऐसे राज्य हैं जहां एनपीएस वाले कर्मचारियों की संख्या 5-5 लाख से ज्यादा है।
जाहिर है कि यूपीएस में जाने पर इन राज्यों पर ज्यादा असर होगा। सितंबर, 2023 में आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश अपने कुल राजस्व का 28 फीसद, राजस्थान 23 फीसद, मध्य प्रदेश 18 फीसद, महाराष्ट्र 13 फीसद और छत्तीसगढ़ 18 फीसद खर्च सिर्फ पेंशन भुगतान (पुरानी पेंशन योजना) के तहत करते हैं। यह उन्हें दिया जा रहा है रिटायर हो चुके हैं या फिर 2004 से पहले सर्विस ज्वाइन कर चुके थे।
अब इन राज्यों को ओपीएस के साथ साथ यूपीएस की बढ़ी हुई राशि का भी बोझ भी उठाना होगा। आनंज राठी शेयर एंड स्टाक ब्रोकर्स की प्रमुख (बिजनेस व स्ट्रेटजी) तन्वी कंचन का कहना है कि, “लंबी अवधि में मुझे लगता है कि राज्यों को अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।
'' क्रिसिल के प्रमुख अर्थविद डी के जोशी का कहना है, “मेरा मानना है कि राज्य धीरे धीरे यूपीएस को स्वीकार करेंगे। निश्चित तौर पर राज्यों के वित्त पर असर होगा। जिस राज्य में ज्यादा पेंशनभोगियों की संख्या ज्यादा होगी वहां ज्यादा बोझ पड़ने की संभावना है। लेकिन अभी इसका आकलन किया जाना शेष है।'
पिछले शनिवार को केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की। अब गेंद राज्यों के पाले में है कि वह भी अपने कर्मचारियों के लिए मौजूदा नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के साथ यूपीएस को भी लागू कर सकते हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को अपनी कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला भी कर लिया है। संकेत इस बात के हैं कि भाजपा शासित राज्य धीरे-धीरे केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक ही यूपीएस को अपनाने की शुरूआत कर सकते हैं।
ऐसा होने पर यूपीएस के तहत अभी से ही राज्यों को कुल फंड में सरकार की बढ़ी हुई हिस्सेदारी (मौजूदा 14 फीसद से बढ़ा कर 18.5 फीसद) के तहत अतिरिक्त राशि अपने राजस्व संग्रह से देने होंगे बल्कि भविष्य के बढ़े हुए दायित्व के हिसाब से आवश्यक फंड की व्यवस्था पर अभी से सोचना होगा।
यूपीएस या ओपीएस लागू करने का फैसला
कांग्रेस ने अभी इस बारे में अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लिहाजा उनके राज्यों का क्या फैसला होगा यह अभी भविष्य के गर्त में है। लेकिन यह तय है कि यूपीएस या ओपीएस लागू करने का फैसला राज्यों के वित्तीय खजाने पर बहुत भारी असर डालने वाला साबित होगा।
जो आंकलन सामने आ रहा है कि उसके मुताबिक यूपीएस लागू करने का असर राज्यों के वित्तीय प्रबंधन पर वर्ष 2037-38 के बाद काफी प्रभाव डालने वाला होगा। वजह यह है कि अभी वर्ष 2004 के बाद सेवा में आने वाले और एनपीएस लेने वाले राज्य कर्मचारियों में से 20 फीसद वर्ष 2037 तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसके बाद के 15 वर्षों (वर्ष 2038-2052) के बीच ऐसे 60 फीसद कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे।
एनपीएस के तहत इन कर्मचारियों व सरकार के योगदान से निर्मित फंड से जो राशि बनती उससे ही इनके पेंशन का भुगतान किया जाता। लेकिन अगर केंद्र की यूपीएस योजना को राज्य लागू करते हैं तो सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सुनिश्चित राशि बतौर पेंशन (अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत का 50 फीसद ) देना होगा।
बाद में इसमें हर छह माह पर महंगाई भत्ता के जोड़ और ग्रेच्यूटी के अतिरिक्त एकमुश्त राशि का संयुक्त बोझ भी उठाना होगा। इसका राज्यों पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा, इसका अभी कोई आकलन सामने नहीं आया है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि उसके 23 लाख कर्मचारियों के लिए यूपीएस के तहत निर्मित फंड में अतिरिक्त 4.5 फीसद का योगदान (14 फीसद से बढ़ा कर 18.5 फीसद करने के कारण) सिर्फ वर्ष 2025-26 में 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
किन राज्यो पर होगा ज्यादा असर
उन राज्यों पर ज्यादा असर होगा जहां सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारियों ने NPS लिया हुआ है। इस मामले में पांच सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ हैं। यूपी व राजस्थान दो ऐसे राज्य हैं जहां एनपीएस वाले कर्मचारियों की संख्या 5-5 लाख से ज्यादा है।
जाहिर है कि यूपीएस में जाने पर इन राज्यों पर ज्यादा असर होगा। सितंबर, 2023 में आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश अपने कुल राजस्व का 28 फीसद, राजस्थान 23 फीसद, मध्य प्रदेश 18 फीसद, महाराष्ट्र 13 फीसद और छत्तीसगढ़ 18 फीसद खर्च सिर्फ पेंशन भुगतान (पुरानी पेंशन योजना) के तहत करते हैं। यह उन्हें दिया जा रहा है रिटायर हो चुके हैं या फिर 2004 से पहले सर्विस ज्वाइन कर चुके थे।
अब इन राज्यों को ओपीएस के साथ साथ यूपीएस की बढ़ी हुई राशि का भी बोझ भी उठाना होगा। आनंज राठी शेयर एंड स्टाक ब्रोकर्स की प्रमुख (बिजनेस व स्ट्रेटजी) तन्वी कंचन का कहना है कि, “लंबी अवधि में मुझे लगता है कि राज्यों को अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी।
'' क्रिसिल के प्रमुख अर्थविद डी के जोशी का कहना है, “मेरा मानना है कि राज्य धीरे धीरे यूपीएस को स्वीकार करेंगे। निश्चित तौर पर राज्यों के वित्त पर असर होगा। जिस राज्य में ज्यादा पेंशनभोगियों की संख्या ज्यादा होगी वहां ज्यादा बोझ पड़ने की संभावना है। लेकिन अभी इसका आकलन किया जाना शेष है।'
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