ऊंची उड़ान चाहती है ड्रोन इंडस्ट्री, क्या बजट में मिलेगा प्रोत्साहन?
ऊंची उड़ान चाहती है ड्रोन इंडस्ट्री, क्या बजट में मिलेगा प्रोत्साहन?
फिक्की और ईएंडवाई की संयुक्त रिपोर्ट में ड्रोन उद्योग का आकार वर्ष 2025 में 81600 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है और वर्ष 2030 तक इसके 2.50 लाख करोड़ रुपये हो जाने की बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के अलावा कृषि बीमा हेल्थ और खुदरा कारोबार में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सकता है।
फिक्की और ईएंडवाई की संयुक्त रिपोर्ट में ड्रोन उद्योग का आकार वर्ष 2025 में 81600 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है और वर्ष 2030 तक इसके 2.50 लाख करोड़ रुपये हो जाने की बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के अलावा कृषि बीमा हेल्थ और खुदरा कारोबार में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सकता है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक देश को वैश्विक ड्रोन उद्योग के केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही कहा है कि तब तक देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ड्रोन उद्योग की 1.5 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी। ड्रोन उद्योग भी मानता है कि यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को अगले आम बजट में कुछ प्रोत्साहन भी देने होंगे।
खास तौर पर आत्मनिर्भर बनने के लिए ड्रोन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का घरेलू स्तर पर निर्माण करने को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन की कीमतें भी घटाने में मदद मिलेगी और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि वर्ष 2021 में ड्रोन उद्योग में उदारीकरण की नीति लागू की गई थी, अब इसके दूसरे चरण की शुरुआत होनी चाहिए।
फिक्की और ईएंडवाई की संयुक्त रिपोर्ट में ड्रोन उद्योग का आकार वर्ष 2025 में 81,600 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है और वर्ष 2030 तक इसके 2.50 लाख करोड़ रुपये हो जाने की बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के अलावा कृषि, बीमा, हेल्थ और खुदरा कारोबार में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सकता है।
ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत
वैसे भारत में ड्रोन का बाजार काफी छोटा है। लेकिन शुरुआती दौर में ही इस उद्योग में 300 से ज्यादा स्टार्टअप काम करने लगे हैं और इससे हजारों युवाओं को रोजगार का अवसर मिला है। इसकी संभावनाओं को देखकर ही केंद्र सरकार ने ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की है, जो कृषि क्षेत्र में महिलाओं की एक बड़ी भागीदारी सुनिश्चित करने का रास्ता साफ कर सकती है।
ड्रोन उद्योग के विशेषज्ञ बताते हैं कि सरकार का अगला कदम देश के विभिन्न इलाकों में प्रशिक्षण केंद्र और औद्योगिक कलस्टर विकसित करने को लेकर होना चाहिए। दक्ष ड्रोन के वाइस प्रेसिडेंट जी रवि चंद का कहना है कि सरकार को तकनीक आधारित प्रोत्साहन देने पर विचार करना चाहिए। भावी मांग को देखते हुए देश में कई इनक्यूबेशन केंद्र भी खोले जाने चाहिए।
किसानों के लिए मदगार ड्रोन
आप्टिमस इन्फ्राकॉम के चेयरमैन अशोक गुप्ता का कहना है कि भारतीय ड्रोन कंपनियां वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनने की क्षमता रखती हैं। सरकार से इस संबंध में जो भी मदद मिलेगी, उससे पूरी इकोनमी को फायदा होगा। सरकार को वैश्विक स्तर पर सस्ती दर पर उपकरण खरीदने में मदद करने चाहिए। यह उद्योग के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा।
यह उद्योग पीएम नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया विजन के अनुरूप काम कर रहा है। कृषि ड्रोन 2.25 लाख रुपये में बाजार में उपलब्ध है जिससे किसान सिर्फ सात मिनट में एक एकड़ खेत में उर्वरक छिड़काव कर सकता है। यह किसानों की आय दोगुनी करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
PIL योजना का हो विस्तार
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व में लागू प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PIL) स्कीम का भी विस्तार होना चाहिए। PIL के तहत अभी तक ड्रोन उद्योग से जुड़ी कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। ड्रोन उद्योग के लिए नीति बनाने वाले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि उन्होंने अपनी तरफ से वित्त मंत्रालय को बजट के संदर्भ में सुझाव दे दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक प्रमुख मांग यह है कि ड्रोन उद्योग से जुड़े उपकरणों के निर्माण के लिए आम बजट से और ज्यादा राशि आवंटित की जाए।
खास तौर पर आत्मनिर्भर बनने के लिए ड्रोन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का घरेलू स्तर पर निर्माण करने को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन की कीमतें भी घटाने में मदद मिलेगी और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि वर्ष 2021 में ड्रोन उद्योग में उदारीकरण की नीति लागू की गई थी, अब इसके दूसरे चरण की शुरुआत होनी चाहिए।
फिक्की और ईएंडवाई की संयुक्त रिपोर्ट में ड्रोन उद्योग का आकार वर्ष 2025 में 81,600 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है और वर्ष 2030 तक इसके 2.50 लाख करोड़ रुपये हो जाने की बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के अलावा कृषि, बीमा, हेल्थ और खुदरा कारोबार में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सकता है।
ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत
वैसे भारत में ड्रोन का बाजार काफी छोटा है। लेकिन शुरुआती दौर में ही इस उद्योग में 300 से ज्यादा स्टार्टअप काम करने लगे हैं और इससे हजारों युवाओं को रोजगार का अवसर मिला है। इसकी संभावनाओं को देखकर ही केंद्र सरकार ने ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की है, जो कृषि क्षेत्र में महिलाओं की एक बड़ी भागीदारी सुनिश्चित करने का रास्ता साफ कर सकती है।
ड्रोन उद्योग के विशेषज्ञ बताते हैं कि सरकार का अगला कदम देश के विभिन्न इलाकों में प्रशिक्षण केंद्र और औद्योगिक कलस्टर विकसित करने को लेकर होना चाहिए। दक्ष ड्रोन के वाइस प्रेसिडेंट जी रवि चंद का कहना है कि सरकार को तकनीक आधारित प्रोत्साहन देने पर विचार करना चाहिए। भावी मांग को देखते हुए देश में कई इनक्यूबेशन केंद्र भी खोले जाने चाहिए।
किसानों के लिए मदगार ड्रोन
आप्टिमस इन्फ्राकॉम के चेयरमैन अशोक गुप्ता का कहना है कि भारतीय ड्रोन कंपनियां वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनने की क्षमता रखती हैं। सरकार से इस संबंध में जो भी मदद मिलेगी, उससे पूरी इकोनमी को फायदा होगा। सरकार को वैश्विक स्तर पर सस्ती दर पर उपकरण खरीदने में मदद करने चाहिए। यह उद्योग के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा।
यह उद्योग पीएम नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया विजन के अनुरूप काम कर रहा है। कृषि ड्रोन 2.25 लाख रुपये में बाजार में उपलब्ध है जिससे किसान सिर्फ सात मिनट में एक एकड़ खेत में उर्वरक छिड़काव कर सकता है। यह किसानों की आय दोगुनी करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
PIL योजना का हो विस्तार
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व में लागू प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PIL) स्कीम का भी विस्तार होना चाहिए। PIL के तहत अभी तक ड्रोन उद्योग से जुड़ी कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। ड्रोन उद्योग के लिए नीति बनाने वाले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि उन्होंने अपनी तरफ से वित्त मंत्रालय को बजट के संदर्भ में सुझाव दे दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक प्रमुख मांग यह है कि ड्रोन उद्योग से जुड़े उपकरणों के निर्माण के लिए आम बजट से और ज्यादा राशि आवंटित की जाए।
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