'दुनिया को बदलना होगा भारत के प्रति नजरिया', कांची पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने कहा- सनातन ही देश का मूल आधार
दुनिया को बदलना होगा भारत के प्रति नजरिया', कांची पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने कहा- सनातन ही देश का मूल आधार
कांची पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में कहा कि राजनीति यह न भूले कि सनातन ही भारत का मूल आधार है। 2018 में शंकराचार्य के पद पर आसीन होने के बाद यह उनका पहला मीडिया साक्षात्कार है जिसमें उन्होंने धर्म-संस्कृति आर्थिक-सामाजिक महिला सशक्तीकरण युवा पीढ़ी की चुनौतियों जैसे विषयों पर अपनी राय रखी। पढ़िए पूरी बातचीत-
कांची पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में कहा कि राजनीति यह न भूले कि सनातन ही भारत का मूल आधार है। 2018 में शंकराचार्य के पद पर आसीन होने के बाद यह उनका पहला मीडिया साक्षात्कार है जिसमें उन्होंने धर्म-संस्कृति आर्थिक-सामाजिक महिला सशक्तीकरण युवा पीढ़ी की चुनौतियों जैसे विषयों पर अपनी राय रखी। पढ़िए पूरी बातचीत-
अयोध्या में राम मंदिर बनना केवल एक मंदिर का निर्माण नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और मानवीय मूल्यों का भी निर्माण है। अब अयोध्या को सांस्कृतिक केंद्र बनना चाहिए, क्योंकि यह धरती की शक्तिपीठ और मोक्षपुरी है। इसके लिए समय, संदर्भ और संहिता का संतुलित दृष्टिकोण लेकर चलना और आडंबर से बचना होगा।
यह कहना है कांची कामकोटि पीठ के 70वें शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती का, जिन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा से एक दिन पहले अयोध्या जाकर वैदिक विधि-विधान से प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व की पूजा-अर्चना संपन्न करा शंकराचार्यों की भागीदारी को लेकर जताई गई आशंकाओं को खत्म किया। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह कि हम सभी भारतीय एक राष्ट्र के रूप में एकसाथ रहें। शांति और एकता इसके लिए अनिवार्य है। इसलिए हमें अन्य आस्थाओं को अलग नजरिये से नहीं देखना चाहिए, लेकिन राजनीति को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत का मूल सनातन धर्म और संस्कृति ही है और यही विश्व में हमारी पहचान भी।
यह कहना है कांची कामकोटि पीठ के 70वें शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती का, जिन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा से एक दिन पहले अयोध्या जाकर वैदिक विधि-विधान से प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व की पूजा-अर्चना संपन्न करा शंकराचार्यों की भागीदारी को लेकर जताई गई आशंकाओं को खत्म किया। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह कि हम सभी भारतीय एक राष्ट्र के रूप में एकसाथ रहें। शांति और एकता इसके लिए अनिवार्य है। इसलिए हमें अन्य आस्थाओं को अलग नजरिये से नहीं देखना चाहिए, लेकिन राजनीति को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत का मूल सनातन धर्म और संस्कृति ही है और यही विश्व में हमारी पहचान भी।
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