एक दिवसीय कार्यशाला : एसपी और डीएसपी ने नए कानूनों को लेकर दी जानकारी, नहीं चलेंगे अब पुराने नियम
एक दिवसीय कार्यशाला : एसपी और डीएसपी ने नए कानूनों को लेकर दी जानकारी, नहीं चलेंगे अब पुराने नियम
देश में 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होने के बाद बलौदाबाजार एसपी कार्यालय के सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
नए कानूनों की जानकारी देते एसपी और डीएसपी
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। देश में 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होने के बाद आज बलौदाबाजार एसपी कार्यालय के सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिले भर के पत्रकार उपस्थित थे। इस कानून के बारे में बलौदा बाजार जिला के पुलिस उप अधीक्षक ने पत्रकारों को कानून में जो भी बदलाव हुए हैं उनके बारे में जानकारी दी गई।
उल्लेखनीय है कि, देशभर में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए है। जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे और पुराने चले आ रहे कानूनों का अंत हो जाएगा। ये कानून हैं- 1. भारतीय न्याय संहिता, 2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं। उप पुलिस अधीक्षक ने बताया कि, नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। जिसमें ‘जीरो एफआईआर', पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस' (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।
अब होंगी 358 धाराएं
पूर्व में भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 हैं। दरअसल ‘ओवरलैप' धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया तथा उन्हें सरलीकृत किया गया है. जिससे भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होंगी।
जीरो FIR' के तहत केस दर्ज
‘जीरो एफआईआर' से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा।
45 दिन के भीतर आएगा फैसला
नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। वही दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी। नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
बच्चों को खरीदना- बेचना होगा जघन्य अपराध
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। पुलिस उप अधीक्षक ने बताया कि शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं। लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं। ये तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित हैं।
इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से भी होंगी रिपोर्ट दर्ज
नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा तथा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। नए कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा. इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे।
दो महीने में होगी पूरी जांच
नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।
देश में 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होने के बाद बलौदाबाजार एसपी कार्यालय के सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
नए कानूनों की जानकारी देते एसपी और डीएसपी
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। देश में 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होने के बाद आज बलौदाबाजार एसपी कार्यालय के सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें जिले भर के पत्रकार उपस्थित थे। इस कानून के बारे में बलौदा बाजार जिला के पुलिस उप अधीक्षक ने पत्रकारों को कानून में जो भी बदलाव हुए हैं उनके बारे में जानकारी दी गई।
उल्लेखनीय है कि, देशभर में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए है। जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे और पुराने चले आ रहे कानूनों का अंत हो जाएगा। ये कानून हैं- 1. भारतीय न्याय संहिता, 2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं। उप पुलिस अधीक्षक ने बताया कि, नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। जिसमें ‘जीरो एफआईआर', पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस' (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।
अब होंगी 358 धाराएं
पूर्व में भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 हैं। दरअसल ‘ओवरलैप' धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया तथा उन्हें सरलीकृत किया गया है. जिससे भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होंगी।
जीरो FIR' के तहत केस दर्ज
‘जीरो एफआईआर' से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा।
45 दिन के भीतर आएगा फैसला
नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। वही दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी। नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
बच्चों को खरीदना- बेचना होगा जघन्य अपराध
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। पुलिस उप अधीक्षक ने बताया कि शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं। लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं। ये तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित हैं।
इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से भी होंगी रिपोर्ट दर्ज
नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा तथा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। नए कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा. इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा। जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे।
दो महीने में होगी पूरी जांच
नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।
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