बस्तर में सांपों का कहर : 6 माह में सर्पदंश के 453 मामले, 10 लोगों की गई जान, बस्तर व बीजापुर जिले में ज्यादा केस
बस्तर में सांपों का कहर : 6 माह में सर्पदंश के 453 मामले, 10 लोगों की गई जान, बस्तर व बीजापुर जिले में ज्यादा केस
उप स्वास्थ्य केन्द्रों में सर्पदंश का एंटी डोज नहीं होने से लोगों को भटकना पड़ता है। कई बार इसी के चलते देर हो जाती है।
आयुष आरोग्य मंदिर
महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बारिश का मौसम भले ही भीषण गर्मी से राहत दिलाता हो, लेकिन इसमें सांप के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। कारण, बरसाती पानी बिलों में भरने से सांप बाहर निकल आते हैं। ऐसे में ज्यादातर खेतों में काम करने वाले लोग सांपों का शिकार बनते हैं। बस्तर संभाग के सातों जिलों के अस्पताल में 6 माह में ही सांप काटने के 453 पीड़ित आए, जिसमें से 443 लोगों का उपचार होने से स्वस्थ्य हुए औश्र 10 लोगों की मौत हो गई। संभाग के ज्यादातर बीजापुर जिले में 149 एवं बस्तर जिले में 118 सर्पदंश के मरीज मिले, साथ ही बस्तर एवं बीजापुर जिले में ही 3-3 लोगों की मौत हो चुकी है। सर्प मित्र
उप स्वास्थ्य केन्द्रों में फ्रिज नहीं
बताया जा रहा है कि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से उप स्वास्थ्य केन्द्र को फ्रिज नहीं देते, जिसके चलते उप स्वास्थ्य केन्द्र में सर्पदंश की दवाएं नहीं रखा जाता है। इस क्षेत्र के गांव में सर्पदंश के मरीजों को जिला अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रेफर किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि बीमार होने से वे लोग उप स्वास्थ्य केन्द्र भरोसे नहीं रहते, बल्कि एम्बुलेंस एवं अपनी वाहनों की सुविधा कर परिवार के मरीजों को निकट स्थित अस्पताल ले जाते हैं। बताया जा रहा है कि बस्तर जिले के लगभग 282 स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हैं, जिसमें से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 8, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 40 एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र 234 स्थापित किए गए हैं।
झाड़-फूंक कराने से बचें
डॉक्टर के अनुसार सांप काटने पर कई लोग मरीज को झाड़ फूंक कराते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी को सांप काटता है तो झाड़ फूंक न कराएं। जितनी जल्दी हो सके अस्तपाल तक मरीज को लेकर आए। क्योंकि सांप काटने के बाद शुरूआती समय काफी कीमती होता है। अगर मरीज के समय पर वैक्सीन लग जाए तो जान बचाई जा सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा मामले
स्नेक कैचर अशीष यादव ने बताया कि इन दिनों सांप काटने के सबसे ज्यादा मामले ग्रामीण क्षेत्रों से आ रहे हैं, शहरी क्षेत्रों में सांप काटने के मामले काफी कम सामने आ रहे हैं। एक दिन में लगभग 2-3 सांप पकड़ कर जंगल छोड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि सांप दो तरह के होते हैं, जहरीले सांप के काटने पर में आंखे बंद हो जाती है, सांस लेने में काफी परेशानी आने लगती है। वहीं बिना जहरीले वाले से कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता है। कभी कभी लोगों के शरीर में सूजन आ जाती है।
मरीजों का ध्यान दें: केके नाग
स्वास्थ्य सेवाएं बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक केके नाग ने बताया कि बारिश के दिनों में सांप के मामले बढ़ जाते हैं, इसमें सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के मामले आए हैं। इसलिए सातों जिलों के सीएमएचओ को निर्देश दिए कि सर्पदंश वाले मरीजों का ध्यान दें, जिससे उपचार हो सके।
उप स्वास्थ्य केन्द्रों में सर्पदंश का एंटी डोज नहीं होने से लोगों को भटकना पड़ता है। कई बार इसी के चलते देर हो जाती है।
आयुष आरोग्य मंदिर
महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बारिश का मौसम भले ही भीषण गर्मी से राहत दिलाता हो, लेकिन इसमें सांप के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। कारण, बरसाती पानी बिलों में भरने से सांप बाहर निकल आते हैं। ऐसे में ज्यादातर खेतों में काम करने वाले लोग सांपों का शिकार बनते हैं। बस्तर संभाग के सातों जिलों के अस्पताल में 6 माह में ही सांप काटने के 453 पीड़ित आए, जिसमें से 443 लोगों का उपचार होने से स्वस्थ्य हुए औश्र 10 लोगों की मौत हो गई। संभाग के ज्यादातर बीजापुर जिले में 149 एवं बस्तर जिले में 118 सर्पदंश के मरीज मिले, साथ ही बस्तर एवं बीजापुर जिले में ही 3-3 लोगों की मौत हो चुकी है। सर्प मित्र
उप स्वास्थ्य केन्द्रों में फ्रिज नहीं
बताया जा रहा है कि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से उप स्वास्थ्य केन्द्र को फ्रिज नहीं देते, जिसके चलते उप स्वास्थ्य केन्द्र में सर्पदंश की दवाएं नहीं रखा जाता है। इस क्षेत्र के गांव में सर्पदंश के मरीजों को जिला अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रेफर किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि बीमार होने से वे लोग उप स्वास्थ्य केन्द्र भरोसे नहीं रहते, बल्कि एम्बुलेंस एवं अपनी वाहनों की सुविधा कर परिवार के मरीजों को निकट स्थित अस्पताल ले जाते हैं। बताया जा रहा है कि बस्तर जिले के लगभग 282 स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हैं, जिसमें से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 8, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 40 एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र 234 स्थापित किए गए हैं।
झाड़-फूंक कराने से बचें
डॉक्टर के अनुसार सांप काटने पर कई लोग मरीज को झाड़ फूंक कराते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी को सांप काटता है तो झाड़ फूंक न कराएं। जितनी जल्दी हो सके अस्तपाल तक मरीज को लेकर आए। क्योंकि सांप काटने के बाद शुरूआती समय काफी कीमती होता है। अगर मरीज के समय पर वैक्सीन लग जाए तो जान बचाई जा सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों से ज्यादा मामले
स्नेक कैचर अशीष यादव ने बताया कि इन दिनों सांप काटने के सबसे ज्यादा मामले ग्रामीण क्षेत्रों से आ रहे हैं, शहरी क्षेत्रों में सांप काटने के मामले काफी कम सामने आ रहे हैं। एक दिन में लगभग 2-3 सांप पकड़ कर जंगल छोड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि सांप दो तरह के होते हैं, जहरीले सांप के काटने पर में आंखे बंद हो जाती है, सांस लेने में काफी परेशानी आने लगती है। वहीं बिना जहरीले वाले से कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता है। कभी कभी लोगों के शरीर में सूजन आ जाती है।
मरीजों का ध्यान दें: केके नाग
स्वास्थ्य सेवाएं बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक केके नाग ने बताया कि बारिश के दिनों में सांप के मामले बढ़ जाते हैं, इसमें सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के मामले आए हैं। इसलिए सातों जिलों के सीएमएचओ को निर्देश दिए कि सर्पदंश वाले मरीजों का ध्यान दें, जिससे उपचार हो सके।
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