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सात माह में 1246 सैंपल : 580 की जांच, 83 घटिया, बेसन में चावल आटा, बिरयानी में सिंथेटिक कलर और पनीर भी फेल

सात माह में 1246 सैंपल : 580 की जांच, 83 घटिया, बेसन में चावल आटा, बिरयानी में सिंथेटिक कलर और पनीर भी फेल


पिछले सात माह के सैंपलों की आधी-अधूरी जांच में पता चला है कि बेसन, पनीर, नमकीन, मिठाई की खरीदी में भी खतरा है। कई सैंपल अमानक पाए गए हैं।



विकास शर्मा - रायपुर। राजधानी समेत राज्य के कई शहरों में मिलावटी खाद्य सामग्री लोगों की सेहत बिगाड़ रही है। जांच की सीमित साधन के बावजूद सैंपल के जो नतीजे सामने आ रहे हैं, वह चिंता में डालने वाले हैं पिछले सात माह के सैंपलों की आधी-अधूरी जांच में पता चला है कि बेसन, पनीर, नमकीन, मिठाई की खरीदी में भी खतरा है। कई सैंपल अमानक पाए गए हैं। पता चला है, बेसन में चावल आटा और हल्दी मिलाया जा रहा है। होटल की बिरयानी में अधिक मात्रा में सिथेंटिक कलर डाला जा रहा है। मिठाई दुकानों में बिकने वाले लड्डु और चमचम में फैट ज्यादा है तो नमकीन मिक्चर बनाने घटिया तेल का उपयोग किया जा रहा है।
चार महीने पहले होली के त्यौहार के दौरान प्रदेश में बिकने वाले खाने-पीने के सामानों में जमकर मिलावट की गई थी। उस दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम द्वारा अपने सीमित संसाधन की मदद से रेंडम चेकिंग कर सैंपल उठाए गए थे, जिसकी रिपोर्ट कुछ समय पहले ही आई है। इसमें खाद्य पदार्थों के अमानक होने की पुष्टि हुई है। त्यौहार के अलावा सामान्य दिनों में भी बिकने वाले खाने-पीने के सामान गुणवत्ताहीन हैं। इन पर लगाम कसने के लिए विभागीय स्तर पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बीते सात महीने में जांच के लिए 1246 सैंपल लिए गए, जिनमें से 580 की जांच पूरी हो चुकी है। इनमें से 83 सैंपल अमानक पाए गए हैं। 666 सैंपलों की रिपोर्ट परखने का काम अभी प्रक्रियाधीन है। मुख्यालय के अफसरों के अनुसार जांच में जो सैंपल अमानक पाए गए हैं उस संस्था को संबंधित जिला स्तर पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।

सुनवाई के लिए पेंडिंग मामले

खाद्य औषधि प्रशासन द्वारा अपने सीमित टीम के साथ कार्यवाही तो करती है मगर सब स्टैण्डर्ड पाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के मामले में कारोबारियों के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई की वजह से अधूरी रह जाती है। आंकड़ों के अनुसार अभी एडीएम कोर्ट लगभग 300 और सीजेएम के व्यायालय में 230 प्रकरण सुनवाई के लिए पेंडिंग पड़े हुए हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों में जुर्माने से लेकर तीन साल तक सजा का भी प्रावधान है।

वेज-नॉनवेज एक किचन में हाल ही में

राजधानी के अशोक बिरयानी सेंटर में वेज-नानवेज एक ही जगह रखने और दोनों के मिक्स होने का मामला सामने आया था। इस मामले में खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है और किचन को अलग कराने की कार्यवाही पूरी की है। इसकी जांच रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।

तेल का दोबारा उपयोग रोकने अभियान

तेल का दोबारा उपयोग रोकने के लिए भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कारोबारी को एक निर्धारित शुल्क का भुगतान कर रीयूज्ड तेल संग्रहित किया जा रहा है। अफसरों के अनुसार छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 9407646904 या 7880161532 पर संस्थान की पूरी जानकारी के साथ कॉल या व्हाट्सएप मैसेज कर सकते हैं। इसके लिये टोल फ्री नंबर 18008903841 भी जारी किया गया है।

बीमारियों का खतरा

हार्ट सर्जन डॉ कृष्णकांत साहू के अनुसार, खराब तेल के उपयोग से बनाये जाने वाले फूड नसों में ब्लॉकेज का कारण बन सकते हैं। खाद्य पदार्थ को चमकदार एवं आकर्षक दिखाने रंगों का उपयोग किडनी और लिवर को नुकसान पहुँचाता है। एमडी चिकित्सक डॉ विनय वर्मा के अनुसार मिल्क प्रोडक्ट में मिलने वाले फैट कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है। इससे बीपी-शुगर की समस्या सहित केंसर का जोखिम भी हो सकता है।

गुणवत्ता पूर्ण खाद्य

गुणवत्ता पूर्ण खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की कोशिश खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक कुलदीप शर्मा ने आम जनता को गुणवत्ता पूर्ण खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए विभाग द्वारा लगातार जांच की जा रही है। इसके अलावा वेंडरों सहित अन्य लोगों को इसके बारे ट्रेनिंग भी दी जा रही है। सैंपल की रिपोर्ट में जो मामले अमानक पाए गए हैं उन्हें संबंधित न्यायालय में पेश किया जाएगा। कोशिश यह भी की जा रही है कि प्रकरणों की सुनवाई पेडिंग ना रहे। खाद्य तेलों के लगातार उपयोग से विभिन्न बीमारी होने का खतरा होता है इसलिए रुको के माध्यम से ऐसे तेल को संग्रहित करने का प्रयास कर रहा है।

मसालों में राहत

केंद्र सरकार के निर्देश पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने प्रदेशभर से गरम मसाला, धनिया पावडर, चिली पावडर, सब्जी मसाला, जीरा, चाट मसाला सहित विभिन्न तरीके के मसालों के 103 सेंपल लेकर जांच के लिए हैदराबाद भेजे थे। इनकी रिपोर्ट राहत देने वाली है कि इनमें किसी तरह के अमानक तत्व नहीं पाए गए है।

■ रायपुर जिले से लिए गए बेसन की सैंपल जांच में हल्दी पावडर और चावल आटा मिलाने की पुष्टि। कोरबा में भी आर्गेनिक बेसन में स्टार्च होने होने का पता चला।


■ रायपुर जिले के ग्रामीण इलाके के एक होटल से मिक्चर में मिलाने तैयार गाठिया के सैंपल लिए गए। जांच के बाद बनाने के लिए खराब तेल का इस्तेमाल करने का पता चला।


■ अंबिकापुर के डेयरी में बिकने वाले दही की जांच में फैट की मात्रा तय मानक से अधिक होने की पुष्टि हुई।


■ कोंडागांव के होटल में बिक रही वेज बिरयानी सब स्टैण्डर्ड मिला। जांच में सिथेंटिक कलर होने का पता चला।


■ कबीरधाम की किराना दुकान में बिकने वाली अरहर दाल के सैंपल जांच में नमी की मात्रा अधिक पाई गई।

■ राजनांदगांव के होटल में दाल फ्राई की जांच। रिपोर्ट में पता चला दाल शुद्ध नहीं, धूल ही धूल।

■ मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के मिठाई दुकान चमचम के सैंपल बीआर रीडिंग में अमानक इसमें फैट की मात्रा ज्यादा निकली।

■ गरियाबंद के होटल से पनीर का सैंपल, जांच में मिल्क फैट अधिक होने की जानकारी मिली।
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