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अंतिम चेतावनी : दो दर्जन निकायों ने ऑडिट आपत्तियों का नहीं दिया जवाब

अंतिम चेतावनी : दो दर्जन निकायों ने ऑडिट आपत्तियों का नहीं दिया जवाब

राज्य के नगरीय निकायों में ऑडिट का काम छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा द्वारा किया जाता है। ये मामला वर्ष 2021-22 की ऑडिट रिपोर्ट से संबंधित है।


इंद्रावती भवन

रायपुर। छत्तीसगढ़ के तीन नगर निगमों समेत दो दर्जन नगरीय निकायों ने बड़ी संख्या में ऑडिट आपत्तियों पर सरकार को अपना जवाब नहीं भेजा है। इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए इन निकायों को अंतिम स्मरण पत्र के रूप में अंतिम चेतवानी जारी की गई है। निकायों से कहा गया है वे तुरंत ऑडिट आपत्तियों का जवाब पेश करें। निकायों को पिछले साल दिसंबर में आवश्यक अभिलेख देने कहा गया था, फोन पर भी जानकारी दी गई थी,लेकिन जवाब नहीं मिलने को अत्यंत खेद जनक माना गया है।
राज्य के नगरीय निकायों में ऑडिट का काम छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा द्वारा किया जाता है। ये मामला वर्ष 2021-22 की ऑडिट रिपोर्ट से संबंधित है। इसकी वार्षिक रिपोर्ट पिछले साल मार्च में संपरीक्षा कार्यालय द्वारा विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत की जा चुकी है। इस रिपोर्ट में 624 ऑडिट आपत्तियों का उल्लेख है। इस रिपोर्ट में आई आपत्तियों पर विभागीय ज्ञापन शासन और विधानसभा को भेजा जाना है। इसके साथ ही विभागीय सचिव को विधानसभा में साक्ष्य के लिए प्रस्तुत होना है। लेकिन निकायों ने इसे अब तक गंभीरता से नहीं लिया है।
इन निकायों को कराना है आपत्तियों का निराकरण

संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा इस मामले में उन निकायों को अंतिम स्मरण पत्र जारी किया गया है जिन निकायों ने अब तक आपत्तियों का निराकरण नहीं कराया है। इनमें नगर पालिका धमतरी, दुर्ग, बिलासपुर, नगर पालिका परिषद बेमेतरा, कुम्हारी, नगर पंचायत कुरां, माना कैंप, राजिम, आमदी, गीदम, पखांजूर, परपोड़ी, मारो, डौंडी, थानखम्हरिया, बेरला, साजा, देवकर, उत्तई, डोंगरगांव, पांडातराई, चिकलाकसा, तुमगांव, लवन और पलारी शामिल हैं।
डेढ़ साल से नहीं दिया है जवाब

इन निकायों को संचालनालय ने पिछले साल दिसंबर में पत्र भेजकर जवाब देने कहा था। इसके साथ ही विभागीय वेबसाइट पर भी निर्देश प्रसारित किए गए थे। यही नहीं दूरभाष पर भी इन निकायों से संपर्क कर जवाब देने कहा जा रहा था। लेकिन निकायों के चाही गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, इसकी वजह से विभागीय उत्तर तैयार नहीं हो सका। विभागीय उत्तर उपलब्ध कराने के लिए शासन, विधानसभा सचिवालय से संचालनालय को लगातार स्मरण पत्र आ रहे हैं। निकायों को बार बार याद दिलाने के बाद भी जवाब न मिल पाने पर संचालनालय ने इसे अत्यंत खेदजनक माना है। निकायों को संचालनालय ने यह भी याद दिलाय है कि उनसे कहा गया था कि ऑडिट आपत्तियों के निराकरण कर पालन प्रतिवेदन तैयार रखने एवं समिति के समक्ष साक्ष्य आयोजित होने की स्थिति में संपूर्ण जवाबदारी आपकी यानी निकाय प्रमुखों की होगी। इसके बाद भी संचालनालय को जवाब उपलब्ध नहीं कराया गया।
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