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सीजीएमएससी का एक और कारनामा : बिना डिमांड डीके अस्पताल में आईवी फ्लूड सप्लाई, 32 लाख की दवा एक्सपायर

सीजीएमएससी का एक और कारनामा : बिना डिमांड डीके अस्पताल में आईवी फ्लूड सप्लाई, 32 लाख की दवा एक्सपायर


डीके अस्पताल में मई में एक्सपायरी हो गई इन दवाओं का ढेर लगा हुआ है और अस्पताल प्रबंधन इन्हें बेकार घोषित कर नष्ट करने के लिए कमेटी बनाकर प्रक्रिया पूरी करने में लगा है।
 


दवा एक्सपायर
रायपुर। निजी एजेंसियों को लाभ पहुंचाने सरकारी अस्पताल में गैर जरूरी और आवश्यकता से अधिक दवाओं की खपत का खेल जारी है। सीजीएमएससी द्वारा दो साल पहले बिना डिमांड डीके अस्पताल को 57 लाख की कैल्शियम वाली आईवी फ्लूड की सप्लाई कर दी गई थी। इसमें से लगभग 25 लाख की दवा का उपयोग हो पाया और 32 लाख की दवा बिना उपयोग के एक्सपायरी हो गई। डीके अस्पताल में मई में एक्सपायरी हो गई इन दवाओं का ढेर लगा हुआ है और अस्पताल प्रबंधन इन्हें बेकार घोषित कर नष्ट करने के लिए कमेटी बनाकर प्रक्रिया पूरी करने में लगा है।

सूत्रों के अनुसार, अस्पताल की ओर से दवाओं की जरूरतों के हिसाब से सालभर में एक बार दवाओं की डिमांड भेजी जाती है, जिसके आधार पर सीजीएमएससी इसकी खरीदी करता है। वर्ष 2022 में अफसरों द्वारा बनाए गए डीके अस्पताल के आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर के मरीजों को लगने ऑपरेशन थियेटर के मरीजों को लगने वाली आईवी फ्लूड की सप्लाई पुश मैकेनिज्म के तहत की गई थी। लगभग 57 लाख की दवा उन्हें भेजी गई, जिसकी डिमांड ही नहीं थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसमें से 16 हजार यानी 25 लाख रुपए की दवा का उपयोग किया जा सका और 20 हजार बोतल जीवन रक्षक प्लाज्मा बिना उपयोग के खराब हो गई। अस्पताल प्रबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इन दवाओं का उपयोग कम मात्रा में होता है, इसलिए एक्सपायरी होने की मात्रा अधिक हो गई।

रीएजेंट मामले में जांच जारी

सीजीएमएससी के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्रों में की गई रीएजेंट की सप्लाई की गड़बड़ी के मामले में संबंधित सप्लायर मोक्षित कंपनी के खिलाफ विभागीय स्तर पर जांच जारी है। इस मामले में आने वाले दिनों में हाई लेवल की मीटिंग होने वाली है, जिसमें कंपनी को किए जाने वाले भुगतान पर भी चर्चा होगी। सीजीएमएससी के अधिकारियों पर भी इस मामले में अंगुली उठ रही है, क्योंकि बिना जरूरतों का आकलन किए उनके द्वारा उन हेल्थ सेंटरों में भी रीएजेंट पहुंचा दिया गया था, जहां उनकी कोई जरूरत ही नहीं थी। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के कार्यकलाप पर भी अंगुली उठाई जा रही है।

लोकल पर्चेस रोकने सिस्टम

सूत्रों के अनुसार सीजीएमएससी के पुराने अधिकारियों द्वारा अस्पतालों में लोकल पर्चेस की प्रक्रिया को कम करने और दवाओं की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए पुश मैकेनिज्म का सिस्टम बनाया गया था। उन अफसरों के जाने के बाद यह सिस्टम सप्लायर एजेंसियों को फायदा पहुंचाने का तरीका बन गया और अस्पतालों को अंधाधुंध तरीके से बिना डिमांड के ही दवाओं की सप्लाई की जाने लगी। दवाओं का उपयोग एक निश्चित मात्रा में हुआ और बड़ी मात्रा में दवाएं कालातीत होने लगीं, मगर सप्लाई करने वाली एजेंसियों को इसका लाभ जरूर मिलता गया।

कम उपयोग, ज्यादा सप्लाई

डीके हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. शिप्रा शर्मा ने बताया कि, संबंधित आईवी प्लूड का उपयोग कम होता है और सीजीएमएससी द्वारा लगभग दो साल पहले इसकी ज्यादा मात्रा में सप्लाई कर दी गई थी। मई में काफी आईवी फ्लूड एक्सपायरी हो गई है। इसे बेकार घोषित कर नष्टीकरण के लिए कमेटी बनाई गई है।
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