IPL में अनूठा रिकॉर्ड बनाने वाले अंपायर ने खोले कई राज, इस नई तकनीक के फायदे भी बताए
IPL में अनूठा रिकॉर्ड बनाने वाले अंपायर ने खोले कई राज, इस नई तकनीक के फायदे भी बताए
नितिन मेनन भारत के एकमात्र अंपायर हैं जो आईसीसी एलीट पैनल में शामिल हैं। नितिन मेनन के नाम छह आईपीएल फाइनल में अंपायरिंग करने का अनूठा रिकॉर्ड दर्ज है। नितिन मेनन अब टी20 वर्ल्ड कप 2024 में अंपायरिंग के लिए अमेरिका और वेस्टइंडीज जाएंगे। मेनन ने इंटरव्यू के दौरान अपने करियर से जुड़े कई राज खोले और एक तकनीक के बारे में भी बताया।
नितिन मेनन भारत के एकमात्र अंपायर हैं जो आईसीसी एलीट पैनल में शामिल हैं। नितिन मेनन के नाम छह आईपीएल फाइनल में अंपायरिंग करने का अनूठा रिकॉर्ड दर्ज है। नितिन मेनन अब टी20 वर्ल्ड कप 2024 में अंपायरिंग के लिए अमेरिका और वेस्टइंडीज जाएंगे। मेनन ने इंटरव्यू के दौरान अपने करियर से जुड़े कई राज खोले और एक तकनीक के बारे में भी बताया।
पिछले पांच सत्रों से आईपीएल में टीमें बदलती रहीं, खिलाड़ी बदलते रहे, शहर बदलते रहे, लेकिन एक चेहरा ऐसा है जो हर फाइनल में मैदान में खड़ा रहा। नितिन लगातार छह आईपीएल फाइनल में बतौर मैदानी अंपायर होने का अनूठा रिकॉर्ड बना चुके हैं। आईसीसी एलीट पैनल में शामिल देश के एकमात्र अंपायर नितिन से कपीश दुबे ने खास चर्चा की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :-
सवाल - लगातार 6 आईपीएल फाइनल में अंपायरिंग करना कैसा अनुभव है?
जवाब - यह यात्रा के एक पड़ाव की तरह है। हर मैच में अंपायर के फैसले पर दुनिया की निगाह होती है, इसलिए जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हालांकि इस बार का फाइनल इतना चुनौतीपूर्ण नहीं रहा। वर्ष 2019 और 2023 के फाइनल में निर्णय अंतिम गेंद पर हुआ था। इस तरह के मैच रोमांच बढ़ाते हैं। मगर मैं हर मैच को पूरी गंभीरता से लेता हूं और पूरी तैयारी के साथ मैदान पर कदम रखता हूं।
सवाल - इतने सटीक फैसलों के पीछे कौनसा मंत्र छिपा है?
जवाब - मैं भी इंसान हूं और गलती की गुंजाइश सभी से होती है। मैं अपनी गलतियों से सीखता हूं। पूरी एकाग्रता से अपनी जिम्मेदारी निभाने का प्रयास करता हूं। मेरे पिता नरेन्द्र मेनन भी पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर रहे हैं। उनसे सीखा है कि हमेशा गेंद पर निगाह रखो, खिलाड़ी पर नहीं। इसलिए मैं कभी भी दबाव में नहीं आता। स्वयं को शांत रखते हुए अपने फैसले देता हूं।
सवाल - कभी जब डीआरएस पर फैसला बदल जाता है तो दबाव महसूस करते हैं?
जवाब - तकनीक के जमाने में गलती की महीन सी गुंजाइश बनी रहती है। मगर सौभाग्य से मेरे अधिकांश फैसले सही ही होते हैं। मैं इसके लिए मेहनत करता हूं। यदि कभी फैसला बदलता भी है तो मैं अगली गेंद पर ध्यान देता हूं। यह ऐसा ही है जैसे किसी क्षेत्ररक्षक से कैच छूटने के बाद वह फिर क्षेत्ररक्षण के लिए तैयार हो जाता है।
सवाल - इस सत्र से आपने क्या सीखा?
जवाब - इस बार स्मार्ट रिप्ले तकनीक का इस्तेमाल हुआ। हमने बाल ट्रेकिंग तकनीक के लिए सभी खिलाड़ियों की कमर तक का ऊंचाई पहले नापी थी। इससे फुलटॉस पर नो बॉल देने में बड़ा अंतर समझ आया। मुझे बहुत सीखने को मिला क्योंकि आमतौर पर देखने में हमें ऊंचाई का सही अंदाजा नहीं हो पाता था। मैंने समझा कि तकनीक किस तरह काम करती है। इससे मेरी अंपायरिंग बेहतर हुई।
सवाल - क्या डीआरएस लेने के बाद खिलाड़ी निर्णय को लेकर चर्चा करते हैं?
जवाब - अक्सर क्षेत्ररक्षक पूछते हैं कि क्या गेंद बल्ले से टकराई थी, आपको क्या लगता है। बल्लेबाज ज्यादातर मौकों पर सवाल नहीं करते। अंतिम ओवरों में जरूर खिलाड़ी अकारण ही डीआरएस ले लेते हैं और यह भी कहते हैं कि ओवर खत्म हो रहे हैं, डीआरएस बचाकर क्या करेंगे।
सवाल - विश्व कप में भी आपको जिम्मेदारी सौंपी है, नया देश, नया माहौल कैसी तैयारी है?
जवाब - मैं वेस्टइंडीज में वर्ष 2018 में महिला विश्व कप में अंपायरिंग कर चुका हूं। वर्ष 2023 में भी वेस्टइंडीज बनाम इंग्लैंड सीरिज में मैंने अंपायरिंग की थी। वहां के माहौल में अंपायरिंग करने का अनुभव है।
सवाल - लगातार 6 आईपीएल फाइनल में अंपायरिंग करना कैसा अनुभव है?
जवाब - यह यात्रा के एक पड़ाव की तरह है। हर मैच में अंपायर के फैसले पर दुनिया की निगाह होती है, इसलिए जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हालांकि इस बार का फाइनल इतना चुनौतीपूर्ण नहीं रहा। वर्ष 2019 और 2023 के फाइनल में निर्णय अंतिम गेंद पर हुआ था। इस तरह के मैच रोमांच बढ़ाते हैं। मगर मैं हर मैच को पूरी गंभीरता से लेता हूं और पूरी तैयारी के साथ मैदान पर कदम रखता हूं।
सवाल - इतने सटीक फैसलों के पीछे कौनसा मंत्र छिपा है?
जवाब - मैं भी इंसान हूं और गलती की गुंजाइश सभी से होती है। मैं अपनी गलतियों से सीखता हूं। पूरी एकाग्रता से अपनी जिम्मेदारी निभाने का प्रयास करता हूं। मेरे पिता नरेन्द्र मेनन भी पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर रहे हैं। उनसे सीखा है कि हमेशा गेंद पर निगाह रखो, खिलाड़ी पर नहीं। इसलिए मैं कभी भी दबाव में नहीं आता। स्वयं को शांत रखते हुए अपने फैसले देता हूं।
सवाल - कभी जब डीआरएस पर फैसला बदल जाता है तो दबाव महसूस करते हैं?
जवाब - तकनीक के जमाने में गलती की महीन सी गुंजाइश बनी रहती है। मगर सौभाग्य से मेरे अधिकांश फैसले सही ही होते हैं। मैं इसके लिए मेहनत करता हूं। यदि कभी फैसला बदलता भी है तो मैं अगली गेंद पर ध्यान देता हूं। यह ऐसा ही है जैसे किसी क्षेत्ररक्षक से कैच छूटने के बाद वह फिर क्षेत्ररक्षण के लिए तैयार हो जाता है।
सवाल - इस सत्र से आपने क्या सीखा?
जवाब - इस बार स्मार्ट रिप्ले तकनीक का इस्तेमाल हुआ। हमने बाल ट्रेकिंग तकनीक के लिए सभी खिलाड़ियों की कमर तक का ऊंचाई पहले नापी थी। इससे फुलटॉस पर नो बॉल देने में बड़ा अंतर समझ आया। मुझे बहुत सीखने को मिला क्योंकि आमतौर पर देखने में हमें ऊंचाई का सही अंदाजा नहीं हो पाता था। मैंने समझा कि तकनीक किस तरह काम करती है। इससे मेरी अंपायरिंग बेहतर हुई।
सवाल - क्या डीआरएस लेने के बाद खिलाड़ी निर्णय को लेकर चर्चा करते हैं?
जवाब - अक्सर क्षेत्ररक्षक पूछते हैं कि क्या गेंद बल्ले से टकराई थी, आपको क्या लगता है। बल्लेबाज ज्यादातर मौकों पर सवाल नहीं करते। अंतिम ओवरों में जरूर खिलाड़ी अकारण ही डीआरएस ले लेते हैं और यह भी कहते हैं कि ओवर खत्म हो रहे हैं, डीआरएस बचाकर क्या करेंगे।
सवाल - विश्व कप में भी आपको जिम्मेदारी सौंपी है, नया देश, नया माहौल कैसी तैयारी है?
जवाब - मैं वेस्टइंडीज में वर्ष 2018 में महिला विश्व कप में अंपायरिंग कर चुका हूं। वर्ष 2023 में भी वेस्टइंडीज बनाम इंग्लैंड सीरिज में मैंने अंपायरिंग की थी। वहां के माहौल में अंपायरिंग करने का अनुभव है।
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