नई पद्धति : सड़न से दांतों में होने वाले इंफेक्शन का बिना सर्जरी उपचार संभव
नई पद्धति : सड़न से दांतों में होने वाले इंफेक्शन का बिना सर्जरी उपचार संभव
उपचार की इस नई पद्धति की सफलता को जानने करीब पांच साल में डेढ़ सौ मरीजों का अध्ययन किया गया।
बचपन में लगने वाली चोट अथवा सड़न की वजह से दांतों में होने वाले इंफेक्शन का उपचार अब बिना सर्जरी के संभव है। लंबे अध्ययन और अच्छी सफलता के बाद शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजीव कुन्हप्पन ने इलाज की नई पद्धति को पेटेंट कराया है। राज्य के एकमात्र शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडॉन्टिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव ने बताया कि दांतों में किसी कारण चोट लगने या सड़न होने पर होने वाले इंफेक्शन, जिसको पेरी एपीकल लीजन कहा जाता है, यह धीरे धीरे जबड़े की हड्डी में फैलने लगता है, जिसका सही समय पर उपचार न होने के वजह से हड्डी गलने लगती है। पूर्व में इसका उपचार सर्जरी द्वारा ही किया जाता था।
ऑपरेशन की इस प्रक्रिया से मरीज को परेशानी होती थी। ऑपरेशन के दौरान अत्याधिक खून निकलना संक्रमित के साथ बगल वाले दांतों को भी बाहर निकलना पड़ता था। अब बिना सर्जरी के अत्याधुनिक पद्धति ट्रिपल एंटीबायोटिक पेस्ट व एमटीए का उपयोग करके रूट कैनाल ट्रीटमेंट से इलाज किया जाता है। उपचार की इस नई पद्धति की सफलता को जानने करीब पांच साल में डेढ़ सौ मरीजों का अध्ययन किया गया। इस तरीके से इलाज के लिए शासकीय डेंटल कालेज छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे भारत में इस पद्धति से उपचार के लिए अपनी पहचान बना चुका है और दूर-दूर से मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। बिना सर्जरी के इस उपचार की सफल पद्धति की खोज डॉ. संजीव कुन्हप्पन द्वारा की गई है। इसे भारत सरकार के कार्यालय के माध्यम से डॉ संजीव द्वारा पेटेंट करा लिया गया है। इसे राज्य के एकमात्र शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के लिए गर्व का विषय माना गया है।
उपचार की इस नई पद्धति की सफलता को जानने करीब पांच साल में डेढ़ सौ मरीजों का अध्ययन किया गया।
बचपन में लगने वाली चोट अथवा सड़न की वजह से दांतों में होने वाले इंफेक्शन का उपचार अब बिना सर्जरी के संभव है। लंबे अध्ययन और अच्छी सफलता के बाद शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजीव कुन्हप्पन ने इलाज की नई पद्धति को पेटेंट कराया है। राज्य के एकमात्र शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडॉन्टिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव ने बताया कि दांतों में किसी कारण चोट लगने या सड़न होने पर होने वाले इंफेक्शन, जिसको पेरी एपीकल लीजन कहा जाता है, यह धीरे धीरे जबड़े की हड्डी में फैलने लगता है, जिसका सही समय पर उपचार न होने के वजह से हड्डी गलने लगती है। पूर्व में इसका उपचार सर्जरी द्वारा ही किया जाता था।
ऑपरेशन की इस प्रक्रिया से मरीज को परेशानी होती थी। ऑपरेशन के दौरान अत्याधिक खून निकलना संक्रमित के साथ बगल वाले दांतों को भी बाहर निकलना पड़ता था। अब बिना सर्जरी के अत्याधुनिक पद्धति ट्रिपल एंटीबायोटिक पेस्ट व एमटीए का उपयोग करके रूट कैनाल ट्रीटमेंट से इलाज किया जाता है। उपचार की इस नई पद्धति की सफलता को जानने करीब पांच साल में डेढ़ सौ मरीजों का अध्ययन किया गया। इस तरीके से इलाज के लिए शासकीय डेंटल कालेज छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे भारत में इस पद्धति से उपचार के लिए अपनी पहचान बना चुका है और दूर-दूर से मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। बिना सर्जरी के इस उपचार की सफल पद्धति की खोज डॉ. संजीव कुन्हप्पन द्वारा की गई है। इसे भारत सरकार के कार्यालय के माध्यम से डॉ संजीव द्वारा पेटेंट करा लिया गया है। इसे राज्य के एकमात्र शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के लिए गर्व का विषय माना गया है।
Labels
States
Post A Comment
No comments :