बारूद फैक्ट्री हादसा : दो माह पहले बजी थी शहनाई वहां अब मातम, चला गया चार बेटियां का इकलौता कमाने वाला पिता
बारूद फैक्ट्री हादसा : दो माह पहले बजी थी शहनाई वहां अब मातम, चला गया चार बेटियां का इकलौता कमाने वाला पिता
दो माह पहले ही सेवक ने अपनी दो बेटियों की शादी की थी। बारुद फैक्ट्री ब्लास्ट की चपेट में आने वाले सेवक राम साहू मौत हो गई ।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
भिलाई। दो माह पहले जिस घर में दो बेटियों की शादी की शहनाई बजी थी, वहां आज मातम पसरा हुआ है। बारुद फैक्ट्री ब्लास्ट की चपेट में आने वाले सेवक राम साहू ही वह श्रमिक है, जिसकी मौत की सबसे पहले पुष्टि हुई। सेवक राम फैक्ट्री के ही पास ग्राम पिरदा का निवासी था। दो माह पहले ही सेवक ने अपनी दो बेटियों की शादी की थी। शनिवार की सुबह सेवकराम अपने घर से 7.30 बजे निकला था और आधे घंटे बाद ही बारूद फैक्ट्री में ब्लास्ट की सूचना पर परिजनों तुरंत मौके पर पहुंचे। जहां खबर मिली कि सेवक राम अब दुनिया में नहीं रहे। सूचना पाकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
मृतक का भतीजा युवराज साहू ने बताया कि, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि खुशियों के बाद मातम भी देखना पड़ेगा। सेवक 4 बेटियों के पिता, एकमात्र कमाने वाला था। 20 साल से उनके चाचा सेवक राम इस फैक्ट्री में काम कर रहे थे। लेकिन इस हादसे में हुई मौत के बाद फैक्ट्री वालों ने जानकारी तक नहीं दी। परिजन खुद से अपनों की खैर-खबर लेने पहुंचे तब उन्हें पता चला कि सेवक राम की हादसे में जान जा चुकी है। ब्लास्ट के समय वे घटना स्थल से दूर थे लेकिन विस्फोट के बाद उछला बड़ा पत्थर सेवक के सिर पर आ गिरा और मौके पर उसकी मौत हो गई।
हेलमेट तक नहीं था
परिजनों ने बताया कि, फैक्ट्री में सुरक्षा इंतजाम नहीं थे। सेवकराम साहू को बारूद फैक्ट्री प्रबंधन ने सिर पर लगाने के लिए हेलमेट तक नहीं दिया था। जब ब्लास्ट हुआ तो सीधे उसके सिर पर भारी पत्थर गिरने से गंभीर चोट आई इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
कॉल के बाद भी नहीं मिल रही थी जानकारी
सेवक की पत्नी ने रोते हुए बताया कि शनिवार की सुबह वह काम पर निकले। वह फैक्ट्री में मंजन कर रहे थे, तभी अचानक धमाके से उड़ा पत्थर उनके सिर पर गिरा। सेवक को अस्पताल उपचार के लिए ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। ब्लास्ट होने तक किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। परिवार के लोग परेशान होकर अलग-अलग मोबाइल नंबर पर कॉल कर सेवक की जानकारी लेते रहे, मगर किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। सेवक के घर में कमाने वाला कोई नहीं है। उसके चले जाने के बाद परिवार को संभालने वाला कोई नहीं है।
फैक्ट्री के गेट पर डटे हुए हैं ग्रामीण
लापता मजदूरों के परिजन और ग्रामीण गुस्से से भरे हुए हैं। रविवार की सुबह से ही ग्रामीण फैक्ट्री के गेट पर तंबू तानकर धरने में बैठे हुए है। ग्रामीणों की मांग है कि मृतक के परिजनों को 50 लाख और आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए। प्रशासन ने ग्रामीणों को समझाईश देने का पूरा प्रयास किया लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है।
दो माह पहले ही सेवक ने अपनी दो बेटियों की शादी की थी। बारुद फैक्ट्री ब्लास्ट की चपेट में आने वाले सेवक राम साहू मौत हो गई ।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
भिलाई। दो माह पहले जिस घर में दो बेटियों की शादी की शहनाई बजी थी, वहां आज मातम पसरा हुआ है। बारुद फैक्ट्री ब्लास्ट की चपेट में आने वाले सेवक राम साहू ही वह श्रमिक है, जिसकी मौत की सबसे पहले पुष्टि हुई। सेवक राम फैक्ट्री के ही पास ग्राम पिरदा का निवासी था। दो माह पहले ही सेवक ने अपनी दो बेटियों की शादी की थी। शनिवार की सुबह सेवकराम अपने घर से 7.30 बजे निकला था और आधे घंटे बाद ही बारूद फैक्ट्री में ब्लास्ट की सूचना पर परिजनों तुरंत मौके पर पहुंचे। जहां खबर मिली कि सेवक राम अब दुनिया में नहीं रहे। सूचना पाकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
मृतक का भतीजा युवराज साहू ने बताया कि, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि खुशियों के बाद मातम भी देखना पड़ेगा। सेवक 4 बेटियों के पिता, एकमात्र कमाने वाला था। 20 साल से उनके चाचा सेवक राम इस फैक्ट्री में काम कर रहे थे। लेकिन इस हादसे में हुई मौत के बाद फैक्ट्री वालों ने जानकारी तक नहीं दी। परिजन खुद से अपनों की खैर-खबर लेने पहुंचे तब उन्हें पता चला कि सेवक राम की हादसे में जान जा चुकी है। ब्लास्ट के समय वे घटना स्थल से दूर थे लेकिन विस्फोट के बाद उछला बड़ा पत्थर सेवक के सिर पर आ गिरा और मौके पर उसकी मौत हो गई।
हेलमेट तक नहीं था
परिजनों ने बताया कि, फैक्ट्री में सुरक्षा इंतजाम नहीं थे। सेवकराम साहू को बारूद फैक्ट्री प्रबंधन ने सिर पर लगाने के लिए हेलमेट तक नहीं दिया था। जब ब्लास्ट हुआ तो सीधे उसके सिर पर भारी पत्थर गिरने से गंभीर चोट आई इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
कॉल के बाद भी नहीं मिल रही थी जानकारी
सेवक की पत्नी ने रोते हुए बताया कि शनिवार की सुबह वह काम पर निकले। वह फैक्ट्री में मंजन कर रहे थे, तभी अचानक धमाके से उड़ा पत्थर उनके सिर पर गिरा। सेवक को अस्पताल उपचार के लिए ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। ब्लास्ट होने तक किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। परिवार के लोग परेशान होकर अलग-अलग मोबाइल नंबर पर कॉल कर सेवक की जानकारी लेते रहे, मगर किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। सेवक के घर में कमाने वाला कोई नहीं है। उसके चले जाने के बाद परिवार को संभालने वाला कोई नहीं है।
फैक्ट्री के गेट पर डटे हुए हैं ग्रामीण
लापता मजदूरों के परिजन और ग्रामीण गुस्से से भरे हुए हैं। रविवार की सुबह से ही ग्रामीण फैक्ट्री के गेट पर तंबू तानकर धरने में बैठे हुए है। ग्रामीणों की मांग है कि मृतक के परिजनों को 50 लाख और आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए। प्रशासन ने ग्रामीणों को समझाईश देने का पूरा प्रयास किया लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है।
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