'सड़क किनारे के पेड़ तभी काटे जाएं जब लोगों की सुरक्षा को खतरा हो', हाई कोर्ट ने कहा वे हमारी ऑक्सीजन का जरिया
सड़क किनारे के पेड़ तभी काटे जाएं जब लोगों की सुरक्षा को खतरा हो', हाई कोर्ट ने कहा वे हमारी ऑक्सीजन का जरिया
केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सड़कों के किनारे कोई भी पेड़ सिर्फ इसलिए नहीं काटा जाए कि वे व्यवसायिक गतिविधियों में बाधा डालते हैं। अदालत ने कहा कि पेड़ों को तभी काटा जा सकता है जब वे क्षतिग्रस्त स्थिति में हों और परिणामस्वरूप लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालते हों।
केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सड़कों के किनारे कोई भी पेड़ सिर्फ इसलिए नहीं काटा जाए कि वे व्यवसायिक गतिविधियों में बाधा डालते हैं। अदालत ने कहा कि पेड़ों को तभी काटा जा सकता है जब वे क्षतिग्रस्त स्थिति में हों और परिणामस्वरूप लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालते हों।
हाई कोर्ट ने कहा पेड़ हमारी ऑक्सीजन का जरिया
पीटीआई, कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सड़कों के किनारे कोई भी पेड़ सिर्फ इसलिए नहीं काटा जाए कि वे व्यवसायिक गतिविधियों में बाधा डालते हैं। अदालत ने कहा कि पेड़ों को तभी काटा जा सकता है जब वे क्षतिग्रस्त स्थिति में हों और परिणामस्वरूप लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालते हों।
जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि इस संबंध में फैसला सरकारी जमीनों पर उगे पेड़ों को काटने एवं उनके निस्तारण के नियमन से संबंधित 2010 के सरकारी आदेश के मुताबिक गठित समिति द्वारा लिया जाना चाहि
अदालत ने कही ये बात
अदालत ने 22 मई के अपने आदेश में कहा, 'बिना ऐसे किसी फैसले के अधिकारियों द्वारा सड़क के किनारे के किसी भी पेड़ को काटा या हटाया नहीं जाएगा। केरल सरकार को यह देखना चाहिए कि बिना किसी उचित कारण के सड़क किनारे के पेड़ों को काटने और हटाने के किसी भी अनुरोध को अनुमति नहीं दी जाए। पेड़ ठंडी छाया, शुद्ध ऑक्सीजन और पक्षियों व पशुओं को आश्रय देते हैं।'
पेड़ों को काटने का आवेदन खारिज
अदालत ने यह फैसला उन याचिकाओं को खारिज करते हुए सुनाया जिसमें वन विभाग के फैसले को चुनौती दी गई थी। वन विभाग ने पलक्कड़-पोन्नानी रोड से सटी वाणिज्यिक संपत्ति के अवलोकन में बाधा डालने वाले पेड़ों को काटने का आवेदन खारिज कर दिया था, जबकि लोकनिर्माण विभाग ने इसकी अनुमति दे दी थी।
पीटीआई, कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सड़कों के किनारे कोई भी पेड़ सिर्फ इसलिए नहीं काटा जाए कि वे व्यवसायिक गतिविधियों में बाधा डालते हैं। अदालत ने कहा कि पेड़ों को तभी काटा जा सकता है जब वे क्षतिग्रस्त स्थिति में हों और परिणामस्वरूप लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालते हों।
जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि इस संबंध में फैसला सरकारी जमीनों पर उगे पेड़ों को काटने एवं उनके निस्तारण के नियमन से संबंधित 2010 के सरकारी आदेश के मुताबिक गठित समिति द्वारा लिया जाना चाहि
अदालत ने कही ये बात
अदालत ने 22 मई के अपने आदेश में कहा, 'बिना ऐसे किसी फैसले के अधिकारियों द्वारा सड़क के किनारे के किसी भी पेड़ को काटा या हटाया नहीं जाएगा। केरल सरकार को यह देखना चाहिए कि बिना किसी उचित कारण के सड़क किनारे के पेड़ों को काटने और हटाने के किसी भी अनुरोध को अनुमति नहीं दी जाए। पेड़ ठंडी छाया, शुद्ध ऑक्सीजन और पक्षियों व पशुओं को आश्रय देते हैं।'
पेड़ों को काटने का आवेदन खारिज
अदालत ने यह फैसला उन याचिकाओं को खारिज करते हुए सुनाया जिसमें वन विभाग के फैसले को चुनौती दी गई थी। वन विभाग ने पलक्कड़-पोन्नानी रोड से सटी वाणिज्यिक संपत्ति के अवलोकन में बाधा डालने वाले पेड़ों को काटने का आवेदन खारिज कर दिया था, जबकि लोकनिर्माण विभाग ने इसकी अनुमति दे दी थी।
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