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नई शिक्षा नीति : स्नातकोत्तर में उत्तीर्ण होने अब 36 नहीं बल्कि चाहिए 40 फीसदी अंक, परसेंटेज की जगह मिलेंगे ग्रेड

नई शिक्षा नीति : स्नातकोत्तर में उत्तीर्ण होने अब 36 नहीं बल्कि चाहिए 40 फीसदी अंक, परसेंटेज की जगह मिलेंगे ग्रेड


नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने में मात्र 15 दिन ही शेष है। इसके पहले ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए ऑर्डिनेंस में किए जाने वाले बदलाव संबंधित प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।



राष्ट्रीय शिक्षा नीति
रायपुर। नवीन शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने में मात्र 15 दिन ही शेष है। इसके पहले ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए ऑर्डिनेंस में किए जाने वाले बदलाव संबंधित प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। विश्वविद्यालयों द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप नवीन अध्यादेश तैयार किए जा रहे हैं। रविवि में भी अध्यादेश में संशोधन संबंधित आपातकालीन बैठक मौजूदा सप्ताह में आयोजित की गई। इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर विभिन्न प्रावधानों में बदलाव संबंधित नियम पारित किए गए हैं। यह प्रस्ताव अब शासन को भेजा जाएगा।

■ एक साल पीजी की पढ़ाई के बाद ले सकेंगे बाद ब्रेक, एक वर्ष मिलेगा पोस्ट ग्रेज्यूएट डिप्लोमा

पारित किए गए प्रस्ताव के मुताबिक अब स्नातकोत्तर में उत्तीर्ण होने के लिए 36% के स्थान पर 40% अंक हासिल करने होंगे। यही नहीं अब अंकों की गणना प्रतिशत में ना होकर सीजीपीए अर्थात कम्युलेटिव ग्रेट प्वाइंट एवरेज में होगी। सीजीपीए की गणना करने के लिए फॉर्मूला भी तैयार कर लिया गया है। सीजीपीए के आधार पर छात्रों को ओ अर्थात आउटस्टैंडिंग सहित ए, बी, सी व अन्य ग्रेड दिए जाएंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत फैसला, रविवि में ऑर्डिनेंस बदलाव संबंधित आपातकालीन बैठक

जितनी ज्यादा कक्षा, उतने अधिक क्रेडिट अंक

कक्षा में छात्रों की उपस्थिति को प्रमोट करने के लिए अब क्रेडिट अंक का प्रावधान किया जा रहा है। इसके अंतर्गत घंटे के हिसाब से छात्रों को क्रेडिट अंक दिए जाएंगे। अर्थात छात्र जितने अधिक घंटे कक्षा में रहेंगे उन्हें उतने अधिक क्रेडिट अंक मिलेंगे। ना सिर्फ कक्षा में उपस्थिति बल्कि इंटर्नशिप सहित कई अन्य चीजों के लिए भी क्रेडिट अंक तय किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि सैद्धांतिक परीक्षा के स्थान पर अधिक से अधिक प्रायोगिक कार्यों को प्राथमिकता मिल सके और विद्यार्थी सैद्धांतिक ज्ञान के अलावा प्रायोगिक ज्ञान भी हासिल कर सके।

एक साल के बाद ब्रेक का प्रावधान

वर्तमान में स्नातकोत्तर के छात्रों को लगातार दो वर्षों तक परीक्षा दिलानी होती थी। यदि किसी छात्र द्वारा पढ़ाई बीच में छोड़ दी जाती है, तो उसे पुनः प्रारंभिक कक्षा से शुरुआत करनी पड़ती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। छात्र एक साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रेक ले सकेंगे। इसके बाद यदि वे दोबारा पढ़ाई शुरू करना चाहे तो उन्हें प्रथम सेमेस्टर की जगह सीधे तृतीय सेमेस्टर में प्रवेश दिया जाएगा। एक साल की पढ़ाई करने के बाद छात्रों को पोस्ट ग्रेज्यूएट डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। स्टडी ब्रेक को लेकर भी प्रावधान किए जा रहे हैं। निर्धारित समय-सीमा से अधिक लंबा ब्रेक छात्र नहीं ले सकेंगे
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