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'मध्यस्थता की प्रक्रिया के लिए अहम है स्वतंत्रता व निष्पक्षता', CJI बोले- दुनियाभर में हासिल की जबरदस्त लोकप्रियता

'मध्यस्थता की प्रक्रिया के लिए अहम है स्वतंत्रता व निष्पक्षता', CJI बोले- दुनियाभर में हासिल की जबरदस्त लोकप्रियता

मध्यस्थता सप्ताहांत के उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता ने दुनियाभर में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की है और सीमापार विवादों को सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में वर्तमान में भारतीय मध्यस्थों का काफी कम प्रतिनिधित्व है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 
HIGHLIGHTSCJI ने विविधता और समावेशिता के लिए सक्रिय प्रयास करने की जरूरत पर दिया जोर
CJI ने कहा- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में अभी भारतीय मध्यस्थों का काफी कम प्रतिनिधित्व

 प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मध्यस्थ की तटस्थता, स्वतंत्रता और निष्पक्षता मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया के लिए अहम है और उन्होंने विविधता व समावेशिता के लिए सक्रिय प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया।

दिल्ली मध्यस्थता सप्ताहांत के उद्घाटन सत्र में बोले CJI

दिल्ली मध्यस्थता सप्ताहांत के उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता ने दुनियाभर में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की है और सीमापार विवादों को सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक अनुबंधों में मध्यस्थता समझौते होते हैं और यह वृद्धि ऐसा तटस्थ मंच सृजित करने की क्षमता में निहित है जिसे सभी पक्षकार स्वीकार करने को तैयार रहते हैं।

'अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भारतीय मध्यस्थों का काफी कम प्रतिनिधित्व है'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में वर्तमान में भारतीय मध्यस्थों का काफी कम प्रतिनिधित्व है, ऐसे मामलों में भी जिनमें एक या अधिक पक्ष भारतीय हैं।' उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के कार्य में शामिल वकील, मध्यस्थ, शिक्षाविदों व अन्य लोगों का समूह भारतीयों को शामिल करने का इरादा रखता है।' साथ ही कहा कि उन्हें इस बात का कोई कारण नजर नहीं आता कि बेहद उच्च शिक्षित भारतीय मध्यस्थों को उन विवादों में नियुक्त क्यों नहीं किया जा सकता जिनमें भारतीय पक्ष शामिल नहीं हैं, उसी तरह जैसे यूरोपीय मध्यस्थों को अक्सर उन विवादों में नियुक्त किया जाता है जिनका कोई यूरोपीय कनेक्शन नहीं होता।
महिलाओं को नेतृत्व देना अनजाने भेदभाव से देगा मुक्ति: जस्टिस कोहली

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि महिलाओं को नेतृत्व वाले पदों पर प्रोन्नत करना, सम्मेलनों में प्रमुख वक्ता के रूप में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहन देना और समितियों में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना उनके विरुद्ध अनजाने में किए गए भेदभाव से मुक्ति दिलाने वाले कदम हैं। उन्होंने कहा कि विवाद समाधान के क्षेत्र में समावेशिता व निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए मध्यस्थों के बीच ¨लग आधारित विविधता अनिवार्य है।
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