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कांग्रेस में फूटा एक और लेटर बम : प्रदेश महासचिव ने कोषाध्यक्ष पर लगाया करोड़ों के गबन का आरोप

कांग्रेस में फूटा एक और लेटर बम : प्रदेश महासचिव ने कोषाध्यक्ष पर लगाया करोड़ों के गबन का आरोप

प्रदेश महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया के पत्र ने कांग्रेस पार्टी को ऐन चुनाव से पहले असहज स्थिति में ला खड़ा किया है। पत्र में सीधे-सीधे पूर्व सीएम और उनके करीबियों पर आरोप लगाए गए हैं।


रायपुर। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से अंतर्कलह से जूझती दिखाई दे रही है। कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, तो कहीं मंच से ही नेताओं पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट रहा है। अब प्रदेश महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया के पत्र ने पार्टी की सरकार के दौरान शीर्ष पदों पर रहे नेताओं को ही लपेटे में ले लिया है।

दरअसल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर प्रदेश महासचिव अरुण सिंह सिसोदिया ने पार्टी के 5 करोड़ 89 लाख रुपये गबन का आरोप लगाया है। इस पत्र को लेकर सिसोदिया का कहना है कि, हां पार्टी के पैसे को लेकर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है, लेकिन पत्र मिडिया को किसने लीक किया यह मैं नहीं जानता।

टेसू मीडिया लैब को 5 करोड़ 89 लाख के भुगतान का आरोप

पीसीसी चीफ बैज को लिखे पत्र में महासचिव सिसोदिया ने कहा कि, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ने अपने मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनितिक सलाहकार विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी टेसू मीडिया लैब गाजियाबाद को 5 करोड़ 89 लाख रुपए बिना तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम व प्रभारी महामंत्री की जानकारी या अनुमति के भुगतान कर दिया। जबकि कोषाध्यक्ष को कार्यादेश जारी करने की अनुमति नहीं थी। पार्टी बायलाज के अनुसार प्रदेश कार्यकारणी में प्रस्ताव लाकर पास करना आवश्यक है और प्रदेश अध्यक्ष से नोटशीट का एप्रूवल लिया जाना जरूरी है।

संगठन के काम के लिए पैसे नहीं देने और अपनों को अवैध भुगतान का आरोप

सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि, सरकार आने के बाद भी संगठन को किसी प्रकार से आर्थिक सहयोग नहीं दिया जाता था। हमने कई बार बैठक में और प्रभारी कुमारी सैलजा से अनुरोध व मांग करने के बावजूद ब्लाक अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष को 5-10 हजार मासिक तक संगठन का काम करने के लिए नहीं दिया गया। पर अपने परिवार के लोगों को एक कमरे में बैठकर कार्यादेश व गवाह निजी लोगों को बनाकर भुगतान कर दिया गया। साथ ही जो रकम 10 लाख 6 लाख व 3 लाख कुल 19 लाख प्रति माह मुगतान किया गया वो वर्तमान में 10 गुना है यानी प्रति माह 20 लोगों की टीम 3 लाख में काम कर रही है जैसा की आपको पूर्ण विदित है। आपसे अनुरोध है की 5 साल में ही सरकार और सगठन में मनमानी करने वाले गिरोह को पार्टी से बाहर किया जाए व हार के जिम्मेदार लोगों को सक्रिय राजनीति व पार्टी से दूर रखा जाए, तभी पार्टी का उत्थान संभव है।

पूर्व पीसीसी चीफ मरकाम के करीबी रहे सिसोदिया

पार्टी के नेताओं पर 5 करोड़ 89 लाख रुपये गबन का गंभीर आरोप लगाने वाले कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सिसोदिया को पूर्व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के कार्यकाल में चर्चा में आए थे। पार्टी में संगठन और प्रशासन की अलग-अलग जिम्मेदारी संभाल रहे अपने दो बेहद करीबियों को हटाकर पीसीसी चीफ मरकाम ने अकेले सिसोदिया को एक साथ पार्टी के संगठन और प्रशासन की जिम्मेसदारी सौंप दी। इसकी वजह से अचानक सिसोदिया चर्चा में आ गए। सिसोदिया भिलाई के रहने वाले हैं। सिसोदिया पूर्व सैनिक हैं। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भिलाई स्थित केंद्र सरकार के उपक्रम फेरो स्क्रैलप निगम लिमिटेड से कर्मचारी राजनीति की शुरुआत की। इंटक के दुर्ग जिलाध्य्क्ष और प्रदेश सचिव रहे।

ताम्रध्वज साहू के भी करीबी रहे

एक समय सिसोदिया ताम्रध्वज साहू के बेहद करीबी माने जाते थे। मरकाम के पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद सिसोदिया उनके करीब आ गए। इसके बाद संगठन में उनकी भूमिका बढ़ने लगी। मरकाम ने ही उन्हें राजनांदगांव का प्रभारी महामंत्री बनाया था। खैरागढ़ उपचुनाव में सिंह की महत्वंपूर्ण भूमिका रही।

पूर्व सीएम के सलाहकार पर आरोप लगाते हुए दिया था इस्तीफा

एआईसीसी सदस्य और पीसीसी महासचिव सिसोदिया ने इस साल जनवरी में इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ था, लेकिन अपने इस्तीफे में भी उन्होंने पूर्व सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा पर ही आरोप लगाया था। उन्होंने वर्मा पर दबाव बनाने और काम में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था। विधानसभा चुनाव के दौरान सिसोदिया ने वैशाली नगर से टिकट की दावेदारी की थी।

साजिश रचने का भी आरोप

अपने इस्तीफे में सिसोदिया ने कहा था कि, साजिश के तहत मुझे प्रदेश महामंत्री व प्रदेश महामंत्री संगठन- प्रशासन से हटा दिया गया। यह सब कुछ चुनिंदा लोगों के इशारों पर हुआ। वर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि, विधानसभा चुनाव के दौरान बूथ गठन व अन्य डेटा विनोद वर्मा के पास साफ्ट और हार्ड कापी में उपलब्ध है। यह पीसीसी की गोपनीय जानकारी है। इसे सुरक्षित किया जाना चाहिए।
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