निजी पूंजीगत व्यय के नए दौर से वृद्धि के अगले चरण को मिलेगी गति
निजी पूंजीगत व्यय के नए दौर से वृद्धि के अगले चरण को मिलेगी गति
आरबीआई ने कहा कि चालू कैलेंडर वर्ष में उम्मीद से अधिक वैश्विक आर्थिकी मजबूत वृद्धि हासिल करेगी। हाल के महीनों में यह धारणा मजबूत हुई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि हासिल करेगी और जोखिमों को व्यापक रूप से संतुलित किया गया है। अर्थव्यवस्था ने 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई गति को बरकरार रखा है।
आरबीआई ने कहा कि चालू कैलेंडर वर्ष में उम्मीद से अधिक वैश्विक आर्थिकी मजबूत वृद्धि हासिल करेगी। हाल के महीनों में यह धारणा मजबूत हुई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि हासिल करेगी और जोखिमों को व्यापक रूप से संतुलित किया गया है। अर्थव्यवस्था ने 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई गति को बरकरार रखा है।
निजी पूंजीगत व्यय के नए दौर से वृद्धि के अगले चरण को मिलेगी गति
भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई वृद्धि की रफ्तार को बरकरार रखा है और कारपोरेट क्षेत्र द्वारा पूंजीगत व्यय के नए दौर से वृद्धि के अगले चरण को गति मिलने की उम्मीद है।
2024 में बेहतर होगी अर्थव्यवस्था
आरबीआई के बुलेटिन में 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' पर एक लेख में कहा गया, 'हाल के महीनों में यह धारणा मजबूत हुई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि हासिल करेगी और जोखिमों को व्यापक रूप से संतुलित किया गया है।'
लेख के मुताबिक, उच्च आवृत्ति संकेतकों के आधार पर कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था ने 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई गति को बरकरार रखा है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया, 'कारपोरेट क्षेत्र द्वारा पूंजीगत व्यय के नए दौर की उम्मीद से वृद्धि के अगले चरण को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
जीडीपी की वृद्धि
केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। बुलेटिन में कहा गया है कि मुद्रास्फीति नवंबर-दिसंबर की तुलना में जनवरी में कम हुई है और मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) अक्टूबर 2019 के बाद से सबसे कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) या खुदरा महंगाई के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई वृद्धि की रफ्तार को बरकरार रखा है और कारपोरेट क्षेत्र द्वारा पूंजीगत व्यय के नए दौर से वृद्धि के अगले चरण को गति मिलने की उम्मीद है।
2024 में बेहतर होगी अर्थव्यवस्था
आरबीआई के बुलेटिन में 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' पर एक लेख में कहा गया, 'हाल के महीनों में यह धारणा मजबूत हुई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि हासिल करेगी और जोखिमों को व्यापक रूप से संतुलित किया गया है।'
लेख के मुताबिक, उच्च आवृत्ति संकेतकों के आधार पर कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था ने 2023-24 की पहली छमाही में हासिल की गई गति को बरकरार रखा है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया, 'कारपोरेट क्षेत्र द्वारा पूंजीगत व्यय के नए दौर की उम्मीद से वृद्धि के अगले चरण को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
जीडीपी की वृद्धि
केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। बुलेटिन में कहा गया है कि मुद्रास्फीति नवंबर-दिसंबर की तुलना में जनवरी में कम हुई है और मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) अक्टूबर 2019 के बाद से सबसे कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) या खुदरा महंगाई के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
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