हेल्थ सप्लीमेंट को सीडीएससीओ के तहत लाने की समीक्षा करेगी समिति, उपभोक्ता की सुरक्षा के उद्देश्य से सरकार ने उठाया कदम
हेल्थ सप्लीमेंट को सीडीएससीओ के तहत लाने की समीक्षा करेगी समिति, उपभोक्ता की सुरक्षा के उद्देश्य से सरकार ने उठाया कदम
अधिकारियों ने कहा कि हेल्थ सप्लीमेंट के अनियंत्रित इस्तेमाल हो रहा है। लोग दवाओं के साथ लंबे समय तक हेल्थ सप्लीमेंट का भी सेवन करते हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। हेल्थ सप्लीमेंट या न्यूट्रास्यूटिकल्स को खाद्य नियामक एफएसएसएआइ के बजाय शीर्ष औषधि नियामक सीडीएससीओ के दायरे में लाने की संभावना तलाशने के लिए सरकार ने समिति का गठन किया है।
अधिकारियों ने कहा कि हेल्थ सप्लीमेंट के अनियंत्रित इस्तेमाल हो रहा है। लोग दवाओं के साथ लंबे समय तक हेल्थ सप्लीमेंट का भी सेवन करते हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। हेल्थ सप्लीमेंट या न्यूट्रास्यूटिकल्स को खाद्य नियामक एफएसएसएआइ के बजाय शीर्ष औषधि नियामक सीडीएससीओ के दायरे में लाने की संभावना तलाशने के लिए सरकार ने समिति का गठन किया है।
हेल्थ सप्लीमेंट को सीडीएससीओ के तहत लाने की समीक्षा करेगी समिति
हेल्थ सप्लीमेंट या न्यूट्रास्यूटिकल्स को खाद्य नियामक एफएसएसएआइ के बजाय शीर्ष औषधि नियामक सीडीएससीओ के दायरे में लाने की संभावना तलाशने के लिए सरकार ने समिति का गठन किया है। उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य ने सरकार ने यह कदम उठाया है। 'न्यूट्रास्यूटिकल्स' वैसे खाद्य पदार्थ होते हैं जो पौष्टिक होने के साथ ही बीमारी की रोकथाम एवं उपचार में भी मददगार होते हैं।
लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है
इस समय खाद्य सुरक्षा और भारतीय मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) न्यूट्रास्यूटिकल्स के उपयोग को नियंत्रित करता है। अधिकारियों ने कहा कि हेल्थ सप्लीमेंट के अनियंत्रित इस्तेमाल हो रहा है। लोग दवाओं के साथ लंबे समय तक हेल्थ सप्लीमेंट का भी सेवन करते हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
कई मुद्दों पर चर्चा के बाद समिति का गठन
सूत्र ने बताया, कई मुद्दों पर चर्चा के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया है। आयुष मंत्रालय के सदस्य सचिव, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव, फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव, एफएसएसएआइ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भारत के औषधि महानियंत्रक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) इस समिति के सदस्य हैं।
एक अन्य सूत्र ने बताया, समिति खाद्य प्रारूपों और दवा प्रारूपों में प्रोबायोटिक/प्रीबायोटिक को विनियमित करने की व्यवहार्यता की पहचान करेगी। समिति इस बात की भी पड़ताल करेगी कि क्या सीडीएससीओ के दायरे में न्यूट्रास्यूटिकल्स और सप्लीमेंट को लाने की आवश्यकता और संभावना है।
समिति करेगी यह काम
समिति न्यूट्रास्यूटिकल नियमों के तहत आने वाली श्रेणियों के लिए मूल्य नियंत्रण की व्यवहार्यता का भी पता लगाएगी। आंकड़ों के अनुसार, भारत में न्यूट्रास्यूटिकल बाजार 2025 के अंत तक 18 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2020 में यह आंकड़ा चार अरब डालर का था।
हेल्थ सप्लीमेंट या न्यूट्रास्यूटिकल्स को खाद्य नियामक एफएसएसएआइ के बजाय शीर्ष औषधि नियामक सीडीएससीओ के दायरे में लाने की संभावना तलाशने के लिए सरकार ने समिति का गठन किया है। उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य ने सरकार ने यह कदम उठाया है। 'न्यूट्रास्यूटिकल्स' वैसे खाद्य पदार्थ होते हैं जो पौष्टिक होने के साथ ही बीमारी की रोकथाम एवं उपचार में भी मददगार होते हैं।
लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है
इस समय खाद्य सुरक्षा और भारतीय मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) न्यूट्रास्यूटिकल्स के उपयोग को नियंत्रित करता है। अधिकारियों ने कहा कि हेल्थ सप्लीमेंट के अनियंत्रित इस्तेमाल हो रहा है। लोग दवाओं के साथ लंबे समय तक हेल्थ सप्लीमेंट का भी सेवन करते हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
कई मुद्दों पर चर्चा के बाद समिति का गठन
सूत्र ने बताया, कई मुद्दों पर चर्चा के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया है। आयुष मंत्रालय के सदस्य सचिव, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव, फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव, एफएसएसएआइ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भारत के औषधि महानियंत्रक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) इस समिति के सदस्य हैं।
एक अन्य सूत्र ने बताया, समिति खाद्य प्रारूपों और दवा प्रारूपों में प्रोबायोटिक/प्रीबायोटिक को विनियमित करने की व्यवहार्यता की पहचान करेगी। समिति इस बात की भी पड़ताल करेगी कि क्या सीडीएससीओ के दायरे में न्यूट्रास्यूटिकल्स और सप्लीमेंट को लाने की आवश्यकता और संभावना है।
समिति करेगी यह काम
समिति न्यूट्रास्यूटिकल नियमों के तहत आने वाली श्रेणियों के लिए मूल्य नियंत्रण की व्यवहार्यता का भी पता लगाएगी। आंकड़ों के अनुसार, भारत में न्यूट्रास्यूटिकल बाजार 2025 के अंत तक 18 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2020 में यह आंकड़ा चार अरब डालर का था।
Labels
Desh
Post A Comment
No comments :