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महिलाओं के गढ़ में महिला अधिकारी करेंगी गणना, लैंगिक समानता पर दिया जा रहा जोर

महिलाओं के गढ़ में महिला अधिकारी करेंगी गणना, लैंगिक समानता पर दिया जा रहा जोर

मतदान के उपरांत रविवार तीन दिसंबर की सुबह आठ बजे से मतगणना प्रारम्भ हो जाएगी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने महिला वोटर्स की अधिकता वाले कांकेर जिले में नवाचार करते हुए पहली बार मतगणना की कमान महिला हाथों में सौंपी है जिसे उनके द्वारा बखूबी निभाई जाएगी। इसके पहले प्रथम द्वितीय व तृतीय चरण का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
महिला वोटर्स की अधिकता वाले क्षेत्र में महिला गणना अधिकारी करेंगी गिनती

जेएनएन, कांकेर। मतदान के उपरांत रविवार तीन दिसंबर की सुबह आठ बजे से मतगणना प्रारम्भ हो जाएगी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने महिला वोटर्स की अधिकता वाले कांकेर जिले में नवाचार करते हुए पहली बार मतगणना की कमान महिला हाथों में सौंपी है, जिसे उनके द्वारा बखूबी निभाई जाएगी। दूसरी तरफ जेंडर इक्विटी (लैंगिक समानता) को फोकस करते हुए पुरुषों की भांति महिलाओं को बराबरी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

ताकि उनमें आत्मविश्वास और अधिक प्रबल हो और आने वाले समय में अपनी योग्यता और प्रतिभा को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सके। दायित्व निर्वहन में दिक्कत न हो, चार चरणों में दिया प्रशिक्षण ग्राम नाथियानवागांव स्थित शासकीय पॉलिटेक्निक परिसर में सभी 196 महिलाओं को शनिवार को चौथे चरण का प्रशिक्षण दिया गया।

तीनों विधानसभा क्षेत्र के लिए 196 महिला कर्मियों की लगाई गई ड्यूटी

इसके पहले, प्रथम, द्वितीय व तृतीय चरण का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। वहीं ग्राम नाथियानवागांव स्थित शासकीय पालिटेक्निक के मतगणना कक्ष में चौथे व अंतिम चरण प्रशिक्षण कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॅा.शुक्ला की मौजूदगी में दिया गया।

इस दौरान उन्होंने स्वयं मौजूद रहकर महिला मतगणना कर्मियों की न सिर्फ हौसला अफजाई की, बल्कि मतगणना से संबंधित संपूर्ण प्रक्रिया की सरल शब्दों में जानकारी देते हुए बेहतर ढंग से सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन करने प्रेरित व प्रोत्साहित भी किया। निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण व अनिवार्य दायित्व से जहां कई शासकीय सेवक बचना चाहते हैं।

वहीं मतगणना के लिए ड्यूटी लगवाने में महिलाओं में आश्चर्यजनक ढंग से प्रतिस्पर्धा देखी गई। आलम यह रहा कि मतगणना के लिए कम्प्यूटर द्वारा रैंडमाइजेशन के उपरांत जिन महिलाओं की ड्यूटी नहीं लगी, उन्होंने मायूस होकर उच्चाधिकारियों को काल कर बार-बार पूछती रहीं कि उनकी ड्यूटी क्यों नहीं लगाई गई, जबकि प्रशिक्षण में वह लगातार उपस्थित रहीं। निर्वाचन ड्यूटी को लेकर महिलाओं का ऐसा जुनून और जज्बा देख सभी ने उनकी सराहना की।
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