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TDS: क्या आपकी सैलरी से भी कटता है टीडीएस, तो जानें कैसे किया जाता है कैलकुलेट

TDS: क्या आपकी सैलरी से भी कटता है टीडीएस, तो जानें कैसे किया जाता है कैलकुलेट

TDS on Salary आपके नियोक्ता द्वारा हर महीने आपके वेतन से टीडीएस काटा जाता है। टीडीएस किस दर से कटेगा यह आपके वेतन पर निर्भर करता है। सैलरी से टीडीएस कटौती की दर 10 से 30 फीसदी तक होती है। अगर आपकी सैलरी से भी टीडीएस कटता है तो आपको पता होना चाहिए कि सैलरी पर टीडीएस कैसे कैलकुलेट किया जाता है। 
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 के तहत सैलरी पर टीडीएस काटा जाता है।

HIGHLIGHTSटीडीएस रेट कितना होगा यह आपके सैलरी पर निर्भर करता है।
आपकी सैलरी पर टीडीएस कटौती की दर 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक होती है।
टीडीएस की गणना कर्मचारी की कुल वार्षिक वेतन आय से छूट की राशि को घटाकर की जाती है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। एंप्लॉयर द्वारा आपकी सैलरी से हर महीने टीडीएस (स्रोत पर कर-कटौती) काटा जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 के तहत सैलरी पर टीडीएस काटा जाता है।

वेतन पर टीडीएस रेट कितना होगा यह आपके सैलरी पर निर्भर करता है। आपके सैलरी के आधार पर आप विभिन्न टैक्स स्लैब दरों में आते हैं। टैक्स स्लैब के मुताबिक, आपकी सैलरी पर टीडीएस कटौती की दर 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक होती है।
अगर आपकी सैलरी से भी टीडीएस कटता है तो आपको यह पता होना चाहिए की आपकी सैलरी से टीडीएस कैसे कैलकुलेट किया जाता है।



कैसे कैलकुलेट किया जाता है टीडीएस?

एंप्लॉयर अपने कर्मचारी के वेतन पर आयकर की 'औसत दर' पर टीडीएस काटता है। टीडीएस कैलकुलेट करने का फॉर्मूला है: औसत आयकर दर = देय आयकर (स्लैब रेट से होती है गणना) को वित्तीय वर्ष के लिए कर्मचारी की अनुमानित आय से डिवाइड किया जाता है।
सैलरी पर टीडीएस की गणना

सैलरी पर टीडीएस की गणना कर्मचारी की कुल वार्षिक वेतन आय से छूट की राशि को घटाकर की जाती है। छूट सीमा आयकर विभाग निर्दिष्ट करता है। वेतन पर टीडीएस की गणना के समय; नियोक्ता को छूट राशि स्वीकृत करने से पहले कर्मचारी से प्रमाण और घोषणा प्राप्त करना होता है।

छूट में हाउस रेंट एलाउंस (HRA), बच्चों की शिक्षा एलाउंस, लीव ट्रैवल एलाउंस इत्यादि शामिल होते हैं।
हर महीने काटा जाता है टीडीएस

चूंकी सैलरी हर महीने दी जाती है इसलिए आपका एंप्लॉयर हर महीने आपकी सैलरी से टीडीएस काटा जाता है। यदि आपका एंप्लॉयर किसी महीने टीडीएस नहीं काटता है तो ऐसी स्थिति में नियोक्ता ही जुर्माना और ब्याज का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है।



टीडीएस कटने का मतलब यह नहीं कि आपका पैसा डूब गया। अगर आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो आप हर वित्त वर्ष के बाद आईटीआर फाइल कर अपना टीडीएस क्लेम कर सकते हैं।
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