नारायणपुर में त्रिकोणीय मुकाबला, मतांतरित CPI प्रत्याशी ने बढ़ाई कांग्रेस-बीजेपी की मुश्किलें
नारायणपुर में त्रिकोणीय मुकाबला, मतांतरित CPI प्रत्याशी ने बढ़ाई कांग्रेस-बीजेपी की मुश्किलें
छत्तीसगढ़ विधानसभा को लेकर सभी प्रत्याशियों ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में यहां एक विधानसभा ऐसी भी है जहां मतांतरण को लेकर नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। नारायणपुर विधानसभा से कांग्रेस ने चंदन कश्यप और बीजेपी ने केदार कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। वहीं तीसरे मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में मतांतरितों समुदाय की ओर से सीपीआई के फूलसिंह कचलाम चुनाव मैदान में है।
डिजिटल डेस्क, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा को लेकर सभी प्रत्याशियों ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में यहां एक विधानसभा ऐसी भी है जहां मतांतरण को लेकर नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। नारायणपुर विधानसभा से कांग्रेस ने चंदन कश्यप और बीजेपी ने केदार कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, तीसरे मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में मतांतरितों समुदाय की ओर से सीपीआई के फूलसिंह कचलाम चुनाव मैदान में है।
नारायणपुर विधानसभा के अबूझमाड़ के एड़का गांव खासी चर्चा में है। अबूझमाड़ का यह क्षेत्र लंबे समय तक नक्सलियों के कब्जे में रहा। इसकी वजह से एड़का, गोर्रा सहित यहां के दर्जनों गांव में पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने मतांतरण किया है। एड़का में 200 परिवारों में से करीब 80 परिवार मतांतरित हो गए हैं। पिछले साल एड़का में 31 दिसंबर को मतांतरित और आदिवासी समुदाय के बीच मारपीट की घटना हुई थी।
मारपीट के बाद दो भागों में बंटी नारायणपुर विधानसभा
इस मारपीट घटना ने पूरे नारायणपुर विधानसभा को दो भागों में बांट दिया। एक तरफ आदिवासी हैं तो दूसरी ओर मतांतरित समुदाय हैं। नारायणपुर विधानसभा बस्तर संभाग में आती है, यहां की सभी 12 सीटों को मतांतरण मुद्दा कहीं न कहीं प्रभावित करेगा, इसमें सबसे ज्यादा प्रभाव नारायणपुर में दिखाई दे रहा है।
फूलसिंह की रैली में बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा भीड़ जुटी
नारायणपुर विधानसभा में सीपीआइ के उम्मीदवार फूलसिंह कचलाम के उतरने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय स्थिति में चला गया है। फूलसिंह मिशनरी आश्रम में रहकर पले-बढ़े हैं, जिन्हें मतांतरित लोग समर्थन दे रहे हैं। फूलसिंह के नामांकन रैली में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा भीड़ जुटी थी। इसमें कई पादरी और मतांतरित लोग शामिल हुए थे।
बीजेपी-कांग्रेस दोनों से मतांतरित समुदाय नाराज
वहीं, खड़का गांव के रहने वाले मतांतरित अर्जुन दुग्गा ने कहा कि एड़का में हुए विवाद के बाद मतांतरितों पर कई गांव में ग्राम सभा से बैन लगा दिए गया है। इसके खिलाफ मतांतरितों ने स्थानीय नेताओं से सहायता मांगी तो किसी ने भी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया। मतांतरित मानते हैं कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। इस वजह से बीजेपी और कांग्रेस दोनों से मतांतरित समुदाय नाराज है।
यहीं वजह है कि विधानसभा क्षेत्र के करीब 45-50 हजार मतांतरितों ने सीपीआइ प्रत्याशी कचलाम को समर्थन देने का निर्णय कर लिया है। दुग्गा मानते हैं कि इस बार मतांतरितों के वोट निर्णायक होंगे।
छत्तीसगढ़ विधानसभा को लेकर सभी प्रत्याशियों ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में यहां एक विधानसभा ऐसी भी है जहां मतांतरण को लेकर नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। नारायणपुर विधानसभा से कांग्रेस ने चंदन कश्यप और बीजेपी ने केदार कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। वहीं तीसरे मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में मतांतरितों समुदाय की ओर से सीपीआई के फूलसिंह कचलाम चुनाव मैदान में है।
डिजिटल डेस्क, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा को लेकर सभी प्रत्याशियों ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में यहां एक विधानसभा ऐसी भी है जहां मतांतरण को लेकर नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। नारायणपुर विधानसभा से कांग्रेस ने चंदन कश्यप और बीजेपी ने केदार कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, तीसरे मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में मतांतरितों समुदाय की ओर से सीपीआई के फूलसिंह कचलाम चुनाव मैदान में है।
नारायणपुर विधानसभा के अबूझमाड़ के एड़का गांव खासी चर्चा में है। अबूझमाड़ का यह क्षेत्र लंबे समय तक नक्सलियों के कब्जे में रहा। इसकी वजह से एड़का, गोर्रा सहित यहां के दर्जनों गांव में पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने मतांतरण किया है। एड़का में 200 परिवारों में से करीब 80 परिवार मतांतरित हो गए हैं। पिछले साल एड़का में 31 दिसंबर को मतांतरित और आदिवासी समुदाय के बीच मारपीट की घटना हुई थी।
मारपीट के बाद दो भागों में बंटी नारायणपुर विधानसभा
इस मारपीट घटना ने पूरे नारायणपुर विधानसभा को दो भागों में बांट दिया। एक तरफ आदिवासी हैं तो दूसरी ओर मतांतरित समुदाय हैं। नारायणपुर विधानसभा बस्तर संभाग में आती है, यहां की सभी 12 सीटों को मतांतरण मुद्दा कहीं न कहीं प्रभावित करेगा, इसमें सबसे ज्यादा प्रभाव नारायणपुर में दिखाई दे रहा है।
फूलसिंह की रैली में बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा भीड़ जुटी
नारायणपुर विधानसभा में सीपीआइ के उम्मीदवार फूलसिंह कचलाम के उतरने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय स्थिति में चला गया है। फूलसिंह मिशनरी आश्रम में रहकर पले-बढ़े हैं, जिन्हें मतांतरित लोग समर्थन दे रहे हैं। फूलसिंह के नामांकन रैली में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा भीड़ जुटी थी। इसमें कई पादरी और मतांतरित लोग शामिल हुए थे।
बीजेपी-कांग्रेस दोनों से मतांतरित समुदाय नाराज
वहीं, खड़का गांव के रहने वाले मतांतरित अर्जुन दुग्गा ने कहा कि एड़का में हुए विवाद के बाद मतांतरितों पर कई गांव में ग्राम सभा से बैन लगा दिए गया है। इसके खिलाफ मतांतरितों ने स्थानीय नेताओं से सहायता मांगी तो किसी ने भी अपना रुख स्पष्ट नहीं किया। मतांतरित मानते हैं कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। इस वजह से बीजेपी और कांग्रेस दोनों से मतांतरित समुदाय नाराज है।
यहीं वजह है कि विधानसभा क्षेत्र के करीब 45-50 हजार मतांतरितों ने सीपीआइ प्रत्याशी कचलाम को समर्थन देने का निर्णय कर लिया है। दुग्गा मानते हैं कि इस बार मतांतरितों के वोट निर्णायक होंगे।
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