जेल में बंद बीमार रोहिंग्या महिला को लेकर SC में सुनवाई, कोर्ट ने इलाज कराने के दिए निर्देश
जेल में बंद बीमार रोहिंग्या महिला को लेकर SC में सुनवाई, कोर्ट ने इलाज कराने के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा दी गई चिकित्सा सलाह के अनुसार सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किए जाएंगे। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी छोटी बहन एक रोहिंग्या शरणार्थी है जिसके पास यूएनएचसीआर शरणार्थी पहचान पत्र है उसे अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा गया है।
रोहिंग्या समुदाय की महिला को मिले सही इलाज: सुप्रीम कोर्ट।
HIGHLIGHTSछोटी बहन के खिलाफ कोई आपराधिक इतिहास या शिकायत नहीं: याचिकाकर्ता
बीमार महिला को अपने तीन साल बेटे से रखा गया अलग: याचिकाकर्ता
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोहिंग्या समुदाय की महिला (Rohingya woman) को इलाज प्रदान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली में स्थित जीबी पंत और राम मनोहर लोहिया अस्पतालों द्वारा दी गई चिकित्सा सलाह के अनुसार याचिकाकर्ता को आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान की जाए।
सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने याचिकाकर्ता को दिए गए इलाज सहित मेडिकल कागजात कोर्ट के सामने पेश किए।
कोर्ट ने कहा,"हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा दी गई चिकित्सा सलाह के अनुसार सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किए जाएंगे।"
बहन को मनमाने ढंग से किया गया गिरफ्तार: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनकी छोटी बहन के खिलाफ कोई आपराधिक इतिहास या शिकायत नहीं है और उसे अप्रैल 2021 के आसपास एक गुप्त और मनमाने ढंग से 'पिक एंड चूज' प्रक्रिया के माध्यम से उठाया गया था।
याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता की छोटी बहन एक रोहिंग्या शरणार्थी है, जिसके पास यूएनएचसीआर शरणार्थी पहचान पत्र है। उन्होंने आगे बताया कि उनकी बहन को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा गया है और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के उपनगर शहजादा बाग में "सेवा केंद्र" नामक हिरासत केंद्र में रखा गया है।
याचिकाकर्ता का दावा- बीमार बहन को नहीं मिल रही सुविधा
वर्तमान में याचिकाकर्ता की बहन हिरासत केंद्र में है और अपने 3 साल के बेटे से अलग है। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी बहन को न तो दवाएं मिल रही है और न ही गर्म और ठंडा पानी मिल रहा है। वहीं, उसकी बहन को खराब वेंटिलेशन में रखा गया है।
खराब चिकित्सा स्थितियों का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे एचसीवी से संक्रमित पाया गया है और उसे तत्काल और अत्यधिक देखभाल और उपचार की आवश्यकता है। अगर उसे सही इलाज नहीं मिला तो वो लीवर सिरोसिस की शिकार हो सकती है, जिससे उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
छोटी बहन एचसीवी से संक्रमित: याचिकाकर्ता
याचिका में हिरासत केंद्र में उसके अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर आहार का भी उल्लेख किया गया है। खराब चिकित्सा स्थितियों का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे एचसीवी से संक्रमित पाया गया है और उसे तत्काल और अत्यधिक देखभाल और उपचार की आवश्यकता है, जिसके बिना उसे लीवर सिरोसिस भी हो सकता है, जिससे उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
याचिकाकर्ता ने आगे बताया कि उनकी बहन का चिकित्सीय परीक्षण किया गया है और वह पूरी तरह से मानसिक रूप से टूटने के कगार पर है। उसे इस तरह के अमानवीय और अपमानजनक तरीके से रखा जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी बहन को अपनी हिरासत में स्वास्थ्य, गरिमा और मानवीय व्यवहार का अधिकार है। इसके बाद महिला ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि प्रतिवादी प्राधिकारी को उसकी बहन को शहजादा बाग स्थित डिटेंशन सेंटर से रिहा करने का निर्देश दे ताकि वो अपने बच्चे से मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा दी गई चिकित्सा सलाह के अनुसार सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किए जाएंगे। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनकी छोटी बहन एक रोहिंग्या शरणार्थी है जिसके पास यूएनएचसीआर शरणार्थी पहचान पत्र है उसे अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा गया है।
रोहिंग्या समुदाय की महिला को मिले सही इलाज: सुप्रीम कोर्ट।
HIGHLIGHTSछोटी बहन के खिलाफ कोई आपराधिक इतिहास या शिकायत नहीं: याचिकाकर्ता
बीमार महिला को अपने तीन साल बेटे से रखा गया अलग: याचिकाकर्ता
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोहिंग्या समुदाय की महिला (Rohingya woman) को इलाज प्रदान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली में स्थित जीबी पंत और राम मनोहर लोहिया अस्पतालों द्वारा दी गई चिकित्सा सलाह के अनुसार याचिकाकर्ता को आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान की जाए।
सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने याचिकाकर्ता को दिए गए इलाज सहित मेडिकल कागजात कोर्ट के सामने पेश किए।
कोर्ट ने कहा,"हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा दी गई चिकित्सा सलाह के अनुसार सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किए जाएंगे।"
बहन को मनमाने ढंग से किया गया गिरफ्तार: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनकी छोटी बहन के खिलाफ कोई आपराधिक इतिहास या शिकायत नहीं है और उसे अप्रैल 2021 के आसपास एक गुप्त और मनमाने ढंग से 'पिक एंड चूज' प्रक्रिया के माध्यम से उठाया गया था।
याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता की छोटी बहन एक रोहिंग्या शरणार्थी है, जिसके पास यूएनएचसीआर शरणार्थी पहचान पत्र है। उन्होंने आगे बताया कि उनकी बहन को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा गया है और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के उपनगर शहजादा बाग में "सेवा केंद्र" नामक हिरासत केंद्र में रखा गया है।
याचिकाकर्ता का दावा- बीमार बहन को नहीं मिल रही सुविधा
वर्तमान में याचिकाकर्ता की बहन हिरासत केंद्र में है और अपने 3 साल के बेटे से अलग है। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी बहन को न तो दवाएं मिल रही है और न ही गर्म और ठंडा पानी मिल रहा है। वहीं, उसकी बहन को खराब वेंटिलेशन में रखा गया है।
खराब चिकित्सा स्थितियों का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे एचसीवी से संक्रमित पाया गया है और उसे तत्काल और अत्यधिक देखभाल और उपचार की आवश्यकता है। अगर उसे सही इलाज नहीं मिला तो वो लीवर सिरोसिस की शिकार हो सकती है, जिससे उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
छोटी बहन एचसीवी से संक्रमित: याचिकाकर्ता
याचिका में हिरासत केंद्र में उसके अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर आहार का भी उल्लेख किया गया है। खराब चिकित्सा स्थितियों का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे एचसीवी से संक्रमित पाया गया है और उसे तत्काल और अत्यधिक देखभाल और उपचार की आवश्यकता है, जिसके बिना उसे लीवर सिरोसिस भी हो सकता है, जिससे उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
याचिकाकर्ता ने आगे बताया कि उनकी बहन का चिकित्सीय परीक्षण किया गया है और वह पूरी तरह से मानसिक रूप से टूटने के कगार पर है। उसे इस तरह के अमानवीय और अपमानजनक तरीके से रखा जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी बहन को अपनी हिरासत में स्वास्थ्य, गरिमा और मानवीय व्यवहार का अधिकार है। इसके बाद महिला ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि प्रतिवादी प्राधिकारी को उसकी बहन को शहजादा बाग स्थित डिटेंशन सेंटर से रिहा करने का निर्देश दे ताकि वो अपने बच्चे से मिल सके।
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