'बिना वैज्ञानिक और तर्कसंगत सोच के स्नातकों से समाज को क्या फायदा?' CM सिद्धारमैया का कुलपतियों को खास निर्देश
'बिना वैज्ञानिक और तर्कसंगत सोच के स्नातकों से समाज को क्या फायदा?' CM सिद्धारमैया का कुलपतियों को खास निर्देश
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुलाई। बैठक में राज्य के 32 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में सीएम ने निर्देश दिया है कि स्नातकों को वैज्ञानिक सोच से लैस करने का तरीका ढूंढा जाता है। उन्होंने कहा कि अज्ञानता से भरे स्नातकों का देश राज्य और समाज के लिए क्या फायदा है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुलाई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक
HIGHLIGHTSमुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुलाई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक
मैसूर विश्वविद्यालय की शिक्षा गुणवत्ता पर किया ध्यान केंद्रीत
बेंगलुरु, एएनआई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को स्नातकों को वैज्ञानिक सोच से लैस करने का निर्देश दिया है। साथ ही, पूछा कि वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत सोच के बिना अज्ञानता से भरे स्नातकों का क्या फायदा है।
'अज्ञानता से भरे स्नातकों का क्या फायदा?'
बेंगलुरु के विधान सौध के कॉन्फ्रेंस हॉल में मुख्यमंत्री, सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में बोल रहे थे। सीएम ने कहा, "अज्ञानता से भरे स्नातकों का क्या फायदा है, जो वैज्ञानिक स्वभाव और तर्कसंगत सोच के बिना विश्वविद्यालयों से निकलते हैं? देश, राज्य और समाज के लिए उनका क्या उपयोग है।"
'राज्य और समाज को नहीं होगा फायदा'
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे स्नातकों को तैयार करना चाहिए, जो वैज्ञानिक, बौद्धिक, आर्थिक और सभ्य तरीके से देश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा, "अगर वे अज्ञानता से भरकर बाहर आएंगे, तो वे न तो देश के लिए उपयोगी होंगे और न ही राज्य के लिए और न ही वे अपने भविष्य के लिए उपयोगी होंगे।"
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
मुख्यमंत्री ने चामराजनगर, यादगिरी, हसन, कोप्पला, कोडागु आदि जिलों में छात्रों के नामांकन अनुपात को बढ़ाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक उपाय और अनुसंधान बढ़ाने का भी निर्देश दिया, जहां सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) दर कम है।
मैसूर विश्वविद्यालय पर किया ध्यान केंद्रित
सिद्धारमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी कहा है। यह विश्वविद्यालय राज्य का सबसे पुराना और पहला विश्वविद्यालय है। बैठक में राज्य के 32 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुलाई। बैठक में राज्य के 32 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में सीएम ने निर्देश दिया है कि स्नातकों को वैज्ञानिक सोच से लैस करने का तरीका ढूंढा जाता है। उन्होंने कहा कि अज्ञानता से भरे स्नातकों का देश राज्य और समाज के लिए क्या फायदा है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुलाई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक
HIGHLIGHTSमुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुलाई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक
मैसूर विश्वविद्यालय की शिक्षा गुणवत्ता पर किया ध्यान केंद्रीत
बेंगलुरु, एएनआई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को स्नातकों को वैज्ञानिक सोच से लैस करने का निर्देश दिया है। साथ ही, पूछा कि वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत सोच के बिना अज्ञानता से भरे स्नातकों का क्या फायदा है।
'अज्ञानता से भरे स्नातकों का क्या फायदा?'
बेंगलुरु के विधान सौध के कॉन्फ्रेंस हॉल में मुख्यमंत्री, सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में बोल रहे थे। सीएम ने कहा, "अज्ञानता से भरे स्नातकों का क्या फायदा है, जो वैज्ञानिक स्वभाव और तर्कसंगत सोच के बिना विश्वविद्यालयों से निकलते हैं? देश, राज्य और समाज के लिए उनका क्या उपयोग है।"
'राज्य और समाज को नहीं होगा फायदा'
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे स्नातकों को तैयार करना चाहिए, जो वैज्ञानिक, बौद्धिक, आर्थिक और सभ्य तरीके से देश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा, "अगर वे अज्ञानता से भरकर बाहर आएंगे, तो वे न तो देश के लिए उपयोगी होंगे और न ही राज्य के लिए और न ही वे अपने भविष्य के लिए उपयोगी होंगे।"
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
मुख्यमंत्री ने चामराजनगर, यादगिरी, हसन, कोप्पला, कोडागु आदि जिलों में छात्रों के नामांकन अनुपात को बढ़ाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक उपाय और अनुसंधान बढ़ाने का भी निर्देश दिया, जहां सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) दर कम है।
मैसूर विश्वविद्यालय पर किया ध्यान केंद्रित
सिद्धारमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी कहा है। यह विश्वविद्यालय राज्य का सबसे पुराना और पहला विश्वविद्यालय है। बैठक में राज्य के 32 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
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