केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को मिला TMC, NCP समेत कई दलों का साथ, क्या कांग्रेस मिलाएगी 'हाथ'?
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को TMC, NCP समेत कई दलों का साथ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी नेताओं को लामबंद करने में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में वह आज झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेंगे और NCCSA अध्यादेश के विरोध में उनका समर्थन मांगेंगे। अरविंद केजरीवाल अब तक 8 दलों का समर्थन जुटा चुके हैं।
क्या है केजरीवाल की प्लानिंग
बताया जा रहा है कि केजरीवाल चाहते हैं कि केंद्र द्वारा लाए अध्यादेश के राज्यसभा में निरस्त करवा दिया जाए, जिससे वह कानून का रूप नहीं ले पाएगा। इसके बाद वह फिर से दिल्ली के बॉस बन जाएंगे और इसके लिए वह बीते 15 दिनों से कड़ी मशक्कत करते हुए नजर आ रहे हैं।
परसों 2 जून को झारखंड के मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM जी से राँची में मुलाक़ात करूँगा। दिल्ली की जनता के ख़िलाफ़ मोदी सरकार द्वारा पारित अध्यादेश के ख़िलाफ़ उनका समर्थन माँगूँगा।— Arvind Kejriwal
ये दल दे चुके हैं केजरीवाल को समर्थन
दिल्ली के मुख्यमंत्री को अब तक जेडीयू, आरजेडी, टीएमसी, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी, बीआरएस और सीपीआई (एम) के साथ-साथ द्रविड मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने अध्यादेश के खिलाफ उनका साथ देने का वादा किया है।
मोदी सरकार के तानाशाही अध्यादेश के ख़िलाफ़ दिल्लीवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्थन जुटाने आज हैदराबाद आया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के॰ चंद्रशेखर राव जी से मुल़ाकात की।
दिल्ली सरकार के साथ है DMK: केजरीवाल
वहीं, गुरुवार को केजरीवाल ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ साझा प्रेस वार्ता भी की। इस दौरान केजरीवाल ने कहा, ''हमने आज दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा की। यह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने आश्वासन दिया है कि डीएमके AAP और दिल्ली के लोगों के साथ खड़ी रहेगी।
दिल्ली में मोदी सरकार अपनी तानाशाही चला रही है, दिल्ली की जनता के हक़ छीन रही है। आज CPI(M) के वरिष्ठ नेता श्री सीताराम येचुरी जी एवं पार्टी के अन्य नेताओं से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा की। सभी नेताओं का मानना है कि मोदी सरकार दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय कर रही है। CPI(M) ने…
कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते
विपक्षी लों को लामबंद करने की इस कड़ी में केजरीवाल ने कई दलों के नेताओं से मुलाकात की है और दलों के नेताओं ने अध्यादेश के विरोध में केजरीवाल का साथ देने का वादा भी कर दिया है, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। साथ ही केजरीवाल ने इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से भी मिलने का समय मांगा है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार और केंद्र की लड़ाई का फैसला 11 मई को आम आदमी पार्टी सरकार के पक्ष में दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय राजधानी के अफसरों का नियंत्रण केजरीवाल सरकार के हाथ आ गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि सेवाओं से जुड़े विभाग के मामलों पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास हैं। जबकि भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मामले पूर्व की तरह उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में ही रहेंगे।
आम आदमी पार्टी को दिल्ली में तीन बार प्रचंड बहुमत मिला है, दो बार विधानसभा चुनाव में और एक बार एमसीडी में। भाजपा ने बार-बार दिल्ली सरकार को काम करने से रोका है, क्योंकि यह नहीं चाहते कि भाजपा के अलावा में दिल्ली में किसी की सरकार रहे।
क्या है NCCSA अध्यादेश
अध्यादेश की बात करें तो इसमें कहा गया है कि दिल्ली भारत की राजधानी है, जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन है। ऐसे में अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार राष्ट्रपति के अधीन रहेगा। इस अध्यादेश के अनुसार राजधानी में अब अधिकारियों का तबादला और नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) के माध्यम से होगी।
इस अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे। मगर मुख्य सचिव व गृह सचिव इसके सदस्य होंगे। मुख्य सचिव व गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को अनुमोदन करेगी और अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति में अगर कोई विवाद होता है तो आखिरी फैसला दिल्ली के एलजी का मान्य होगा।
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