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आतंक के गढ़ में रहकर बनाई दुनिया में पहचान, DC ने कश्मीरी खिलाड़ी Jasia Akhtar को लाखों रुपए देकर खरीदा





Jasia Akhtar Delhi Capitals। दक्षिणी कश्मीर में आतंक के गढ़ रहे शोपियां की जासिया अख्तर (Jasia Akhtar) आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। यह वह बेटी है जिसने अपनों की खूब डांट खाई और मार भी पड़ी लेकिन हाथ से न बल्ला छूटने दिया और न ही गेंद।

 दक्षिणी कश्मीर में आतंक के गढ़ रहे शोपियां की जासिया अख्तर (Jasia Akhtar) आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। यह वह बेटी है, जिसने अपनों की खूब डांट खाई और मार भी पड़ी, लेकिन हाथ से न बल्ला छूटने दिया और न ही गेंद।


गरीबी ने पांच साल क्रिकेट से दूर रखा पर दिल क्रिकेट पर ही अटका रहा। बाएं हाथ की इस महिला बल्लेबाज ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उनकी गेंदबाजी भी कमाल की है। वह अपनी मेहनत, हिम्मत और काबिलियत के दम पर महिला प्रीमियर लीग का हिस्सा बनने वाली कश्मीर की पहली बेटी है।

34 वर्षीय जासिया को दिल्ली कैपिटल्स ने 20 लाख रुपये में खरीदा है। उनकी इस कामयाबी पर उनके गांव ब्रारीपोरा में जश्न का माहौल है। बता दें कि वह बांग्लादेश में खेलने वाली जम्मू-कश्मीर की एकमात्र महिला खिलाड़ी है। वह ढाका क्रिकेट लीग में रूपाली बैंक की तरफ से खेल चुकी हैं। गरीब परिवार में जन्मी जासिया बीते दो वर्षों से राजस्थान महिला क्रिकेट टीम का नेतृत्व कर रही हैं।

गांव में लड़कों संग जब गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलती तो लोग यह कहकर भगा देते कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है। जासिया ने इसकी परवाह नहीं की और घंटों खेलती रहती। इससे उसे स्वजन की कभी डांट पड़ती तो कभी मार। इसके बावजूद बल्ले और गेंद से नाता नहीं तोड़ा। 11 वर्ष की उम्र से ही उसने बल्ला थाम लिया था। स्कूलों के क्रिकेट मैचों में हिस्सा लिया।

उसे स्कूल की टीम की कप्तान बना दिया गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर की टीम में चयन हो गया। 2003 से 2006 तक जम्मू कश्मीर के लिए अंडर 13, 14, 15 और अंडर 16 के लिए क्रिकेट खेला। इस बीच, आर्थिक तंगी के कारण पांच वर्षों (2007-2011) तक क्रिकेट से दूरी बनानी पड़ी। इस दौरान घर के खर्चे के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी। समय मिलता तो टीवी पर क्रिकेट मैच देखकर बारीकियां सीखती। घर के हालात कुछ सुधरे तो फिर खेलना शुरू किया। यह किसी सपने से कम नहीं है। मेहनत रंग लाई। अभी यह शुरुआत है। मेरी कोशिश है कि मैं अपनी टीम को सर्वश्रेष्ठ दूं। कोशिश करूंगी कि क्रिकेट में अपना बेहतरीन योगदान देकर न केवल अपना बल्कि देश का नाम रोशन करूं।
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