कंप्यूटर से बनाई इंसानी तस्वीरों पर लोगों को ज्यादा भरोसा
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ये चेहरे कंप्यूटर से बनाए गए हैं।
ऐसे चेहरे जो धरती पर मौजूद ही नहीं हैं, डिजिटल दुनिया में लोगों को उनपर ज्यादा भरोसा है। रॉयल होलोवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में हुए एक शोध से पता चला है कि कंप्यूटर से बनाई इंसानी तस्वीरें लोगों को ज्यादा विश्वसनीय लगती हैं। इन्हें वास्तविक मानते हैं और इनके प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं।
ऐसी तस्वीरें ज्यादा खूबसूरत न होने पर भी उनकी विश्वसनियता पर कोई सवाल के काल्पनिक होने की शंका नहीं होती है। ये पहचान पाना कि कौन सी तस्वीर सचमुच में मौजूद लोगों की है और कौन सी कंप्यूटर जेनरेटेड अब बहुत मुश्किल है।
इन तस्वीरों को देखने के बाद लोगों का बात करने का तरीका बदलता है
यह शोध करने वाले रॉयल होलोवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के मनोविज्ञान के प्रोफेसर मैनोस साकिरिस बताते हैं- कंप्यूटर जेनरेटेड इन तस्वीरों वाले प्रोफाइल से कनेक्ट होने के बाद लोगों का बातचीत का तरीका बदल जाता है। वे ज्यादा सहज और आत्मीयता के साथ बातचीत करते हैं और बातचीत में बहुत जल्दी ही खुल जाते हैं।
वे कहते हैं- लिंकड्इन पर कंप्यूटर से बनाई तस्वीर वाली फेक प्रोफाइल हाल ही में सुर्खियों में आ गई थी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस प्रोफाइल के जरिए अमेरिका के तमाम बड़े अधिकारियों और कई प्रभावशाली लोगों से आसानी से कनेक्शन रखा गया।
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वास्तविक लग रहे ये चेहरे कंप्यूटर से बनाए गए हैं। वास्तविक और फेक फोटो की पहचान मुश्किल है।
तस्वीरों वाला इंसान मिल नहीं सकता
काउंटर इंटेलिजेंस विशेषज्ञ कहते हैं- कंप्यूटर के जरिए फेक प्रोफाइल बनाकर जासूसी की जाती है। इन तस्वीरों वाला इंसान मिल नहीं सकता जिस वजह से इससे किसी को शक नहीं होता। इस तरह की कंप्यूटर जेनरेटेड तस्वीरें अब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं, लेकिन अक्सर हमें इसका पता नहीं चलता।
कंप्यूटर जेनरेटेड ये तस्वीरें सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर खूब इस्तेमाल की जा रही हैं। मार्केटिंग के लिए भी इनका प्रयोग किया जा रहा है। विज्ञापन में ये बतौर मॉडल पेश की जा रही हैं, लेकिन हकीकत में इनका वजूद ही नहीं है।
इन तस्वीरों को असली मानने वाले लोग ज्यादा भरोसा करने लगते हैं
एक दूसरे शोध में यह भी पता चला है कि जिन चेहरों को लोग वास्तविक मान लेते हैं- उनपर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चल जाता है कि वे वास्तविक नहीं हैं तो उनका विश्वास टूटता है और वे वास्तविक लोगों पर भी भरोसा नहीं कर पाते। हर चीज को शक की नजर से देखते हैं।
वास्तविक चेहरों के तैयार डिजिटल डेटाबेस से नए चेहरे बनाए जाते हैं
वास्तविक लोगों की तस्वीरों का विशाल डिजिटल डेटाबेस तैयार कर लिया गया है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिए इन तस्वीरों को आधार बनाकर ही नए चेहरे तैयार किए जाते हैं।
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