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चीन नहीं छुपा पाएगा कोरोना का डेटा, स्वास्थ्य मंत्रालय के हाथ लगा फुल प्रूफ सिस्टम

चीन नहीं छुपा पाएगा कोरोना का डेटा, स्वास्थ्य मंत्रालय के हाथ लगा फुल प्रूफ सिस्टम

चीन पर कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर डेटा छुपाने का आरोप हमेशा से लगता आ रहा है, लेकिन भारत ने इसका फुल प्रूफ सिस्टम तैयार कर लिया है. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस (सीबीएचआई) की मदद से चीन पर नजर रखी जा रही है.


चीन नहीं छुपा पाएगा कोरोना का डेटा, स्वास्थ्य मंत्रालय के हाथ लगा फुल प्रूफ सिस्टम

चीन की चतुर चाल से पूरी दुनिया वाकिफ है. जब से कोरोना शुरू हुआ है तब से दुनिया को उसने अंधेरे में रखा है. कोरोना को लेकर डेटा छुपाने का आरोप हमेशा से उसपर लगता आ रहा है, लेकिन भारत ने इसका फुल प्रूफ सिस्टम तैयार कर लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस (सीबीएचआई) की मदद से चीन पर नजर रखी जा रही है.


क्या है हेल्थ इंटेलिजेंस?

हेल्थ इंटेलिजेंस के माध्यम से किसी भी बीमारी के फैलाव और प्रसार के साथ-साथ उसके रोकथाम के क्या उपाय हो सकते हैं, इसपर नजर रखा जाता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वैसे तो यह काफी पुरानी यूनिट है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मनसुख मांडविया ने इस डिपार्टमेंट को काफी एक्टिव किया है. सूत्रों की माने तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का मानना है कि किसी भी बीमारी के रोकथाम के लिए सही ग्राउंड रिपोर्ट का होना बेहद जरूरी है, जिसके लिए हेल्थ इंटेलिजेंस एक कारगर हथियार है.
कैसे काम करता है हेल्थ इंटेलिजेंस?

टीवी9 भारतवर्ष को मिली जानकारी के मुताबिक, सेंट्रल ब्यूरो आफ हेल्थ इंटेलिजेंस में ह्यूमन इनपुट के साथ-साथ कंप्यूटर इनपुट का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. इन दोनों इनपुट को मिलाकर एक कॉमन डेटा तैयार किया जाता है, जिसके आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाती है.
इन देशों पर है नजर

टीवी9 भारतवर्ष को मिली जानकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में हेल्थ इंटेलिजेंस के माध्यम से चीन, यूरोपीय देश, अमेरिका और भारत के अन्य पड़ोसी देशों पर नजर रखी जा रही है. इसमें चीन के लिए एक अलग से कॉलम बनाया गया है, जिसमें चीन में कोरोना से संबंधित हर इनपुट को प्राथमिकता से दर्शाया जा रहा है.
कूटनीतिक वजहों से रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं

हेल्थ इंटेलिजेंस के माध्यम से कई तरह के डेटा, खासतौर पर चीन का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है, जिसके लिए लोकल ह्यूमन इनपुट से लेकर तमाम तरह की जानकारियां जुटाए जा रहे हैं. इसमें सरकार के लिए परेशानी की बात यह है कि इसे कूटनीतिक वजहों से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. इसका इस्तेमाल केवल अपनी जानकारी बढ़ाने और उसके आधार पर रणनीति बनाने के लिए किया जा रहा है.
दिन में तीन रिपोर्ट

हेल्थ इंटेलिजेंस के माध्यम से पूरे 24 घंटे में तीन बार रिपोर्ट तैयार की जाती है. रीयल टाइम डेटा को एनलाइज किया जाता है. सूत्रों की माने तो इसकी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को दी जाती है.
सोशल और विदेशी मीडिया पर नजर

हेल्थ इंटेलिजेंस का एक बड़ा हथियार सोशल मीडिया भी है. इसके माध्यम से चीन से आ रही विजुअल पर पैनी निगाह रखी जा रही है. विजुअल को फिल्टर करने के बाद ह्यूमन और टेक्निकल यूनिट के माध्यम से इसपर और जानकारी जुटाने का काम शुरू होता है. एकबार जब जानकारी पुख्ता हो जाती है, फिर कहीं जाकर उसके आधार पर आगे का रणनीति तैयार किया जाता है.
नए कलेवर में हेल्थ इंटेलिजेंस यूनिट

टीवी9 भारतवर्ष को मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पूरे हेल्थ इंटेलिजेंस यूनिट में काफी बदलाव किया है और इसे काफी सुदृढ़ और सशक्त बनाया है. मौजूदा समय में केवल कोरोना संबंधित जानकारी को लिए दर्जन भर से अधिक स्टाफ के अतिरिक्त कई जानकारियों के लिए लोगों को आउटसोर्स भी किया गया है.
पहले का सीबीएचआई का काम

(सेन्ट्रल ब्यूरो आफ हेल्थ इंटेलिजेंस) किसी भी जगह पर सीबीएचआई अपने वार्षिक प्रकाशन “नेशनल हेल्थ प्रोफाइल” के माध्यम से स्वास्थ्य सांख्यिकी को बनाए रखने और प्रसारित करने के लिए विभिन्न संचारी और गैर-संचारी रोगों, स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन और विभिन्न सरकारी संगठनों / विभागों से स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर प्राथमिक और द्वितीयक डेटा एकत्र करता है. 6 प्रमुख संकेतकों के तहत प्रासंगिक स्वास्थ्य जानकारी जुटाया जाता था, जिसमें जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य की स्थिति, स्वास्थ्य वित्त, स्वास्थ्य अवसंरचना और मानव संसाधन शामिल है.

जानकारी जो सरकार के लिए बेहद जरूरी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जानकारी मिली है कि चीन से नया म्यूटेट किया एक वायरस 16 लोगों को संक्रमित कर सकता है. एक बार वायरस शरीर में घुसने के बाद कितने दिनों में अपना असर दिखाने लगता है, इसपर भी प्रयोग किया जा रहा है. मसलन यह डेल्टा से कितना अलग है. इस वायरस को फिलहाल आइसोलेट किया जा रहा है और उसपर हमारे वैक्सीन कितने कारगर हैं, साथ ही दवाएं कितनी असरदार है, इसपर प्रयोग चल रहा है.
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