Balaghat Scientist Pride : अंतरिक्ष में भारत के नये युग की शुरुआत से बालाघाट का गौरव भी जुड़ा
रॉकेट लाचिंग में वैज्ञानिक ने निभाई भूमिकाश्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष में देश का पहला निजी रॉकेट लांच 18 नवंबर को किया गया, जिसे विक्रम एस नाम देकर अभियान को प्रारंभ नाम किया गया है। अंतरिक्ष में भारत के इस नये युग की शुरुआत से बालाघाट जिला गौरान्वित हुआ है।
श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष में देश का पहला निजी रॉकेट लांच 18 नवंबर को किया गया, जिसे विक्रम एस नाम देकर अभियान को प्रारंभ नाम किया गया है। अंतरिक्ष में भारत के इस नये युग की शुरुआत से बालाघाट जिला गौरान्वित हुआ है। निजी कंपनी स्काई रूट के इस प्रोजेक्ट को मदद कर पूर्ण करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की मुख्य भूमिका रही है और इस रॉकेट के प्रोजेक्ट निर्माण व डिजाइन से लेकर अनुमति दिलाकर लाचिंग तक में बालाघाट के वैज्ञानिक सौरभ पटले ने जो इसरो अहमदाबाद में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हैं, ने अहम भूमिका निभाकर बालाघाट को गौरन्वित किया है।
जून 2022 में पास आया मिशन, नवंबर में किया लांच
श्रीहरिकोटा से वैज्ञानिक सौरभ पटले ने नईदुनिया से विशेष चर्चा में मोबाइल से बातचीत करते हुए बताया कि निजी कंपनी स्काईरूट का मिशन जून 2022 में इसरो के पास आने के बाद इसको इसरो की समस्त सुविधाएं मुहैया कराने, प्रोजेक्ट का कार्य संभालने, टेस्टिंग व अन्य इसरो सेंटर से टेस्टिंग की अनुमति दिलाने के साथ ही श्रीहरिकोटा से एनडीटी टेस्टिंग व लांच पैड की सुविधा व लांच की अनुमति दिलाने में उन्होंने भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि 17 नवंबर को रॉकेट लांच की अनुमति दिलाई गई, जिसके बाद 18 नवंबर को इसे लांच किया गया है।
इसके पूर्व भी रहे अन्य मिशन में रहे शामिल
इस उपलिब्ध पर उन्होंने बताया कि देश के लिए अंतरिक्ष में नये आयाम गड़ने में उनकी छोटी भूमिका भी उनके रोम-रोम को गौरान्वित कर देती है। इसका एहसास भी बंया करना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि 2014 से इसरो में पदस्थ है और इसके पूर्व वे एसएसएलवी में डिप्टी प्रोजेक्टर मैनेजर के पद पर भी रह चुके हैं। वे सभी देश के 101 जिसमें भारत के 11 रॉकेट शामिल थे, उसमें भी शामिल होने के साथ ही पीएसएलयू सेटेलाइट की 15 लाचिंग व जीएसएलवी की चार लांचिग में अब तक शामिल हो चुके है। उन्होंने बताया कि उनका कार्य निर्माण व डिजाइन निर्माण के कार्य में शामिल होना है।
मिशन स्कूल में प्राथमिक व बालाघाट इंग्लिश स्कूल में 12 तक प्राप्त की शिक्षा
देश के पहले निजी रॉकेट के प्रोजेक्ट से लेकर पूरी प्रक्रिया में शामिल होने पर स्वयं को गौरान्वित महसूस करने वाले सौरभ पटले के पिता देवेन्द्र कुमार पटले व माता इतन बाई पटले भटेरा निवासी ने बताया कि उनकी पांच संतान है जिसमें चार बेटिया व एक बेटा सौरभ है। उन्होंने बताया कि वे लोग मूलत: बालाघाट जिले के सोनझरा के मूल निवासी है और भटेरा में स्थाई रुप से रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि सौरभ की कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक की शिक्षा बालाघाट मिशन स्कूल में पूरी हुई और कक्षा नवमी से लेकर 12 तक बालाघाट इंग्लिश स्कूल में जिसके बाद वे कोटा आईआईटी करने के लिए गया था। यहां पर उसने आईआईटी व आईआईएसटी का एग्जाम दिया जिसमें दोनो में उसका सिलेक्शन हुआ, लेकिन उसने प्राथमिकता आईआईएसटी को दी।
चार साल तक प्राप्त किया शिक्षा फिर हुई नियुक्ति
माता-पिता ने बताया कि आईआईएसटी में सिलेक्शन होने के बाद सौरभ ने 2010 से लेकर 2014 तक इंडियन इंस्टीटयूट स्पेस आफ टेक्नालाजी त्रिवेन्द्रम में शिक्षा प्राप्त की और सितंबर 2014 में विक्रम सारा भाई स्पेस सेंटर इसरो में उनकी पहली नियुक्ति हुई और जून 2022 में इसरो अहमदाबाद में वे असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर नियुक्त हुए है।
श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष में देश का पहला निजी रॉकेट लांच 18 नवंबर को किया गया, जिसे विक्रम एस नाम देकर अभियान को प्रारंभ नाम किया गया है। अंतरिक्ष में भारत के इस नये युग की शुरुआत से बालाघाट जिला गौरान्वित हुआ है। निजी कंपनी स्काई रूट के इस प्रोजेक्ट को मदद कर पूर्ण करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की मुख्य भूमिका रही है और इस रॉकेट के प्रोजेक्ट निर्माण व डिजाइन से लेकर अनुमति दिलाकर लाचिंग तक में बालाघाट के वैज्ञानिक सौरभ पटले ने जो इसरो अहमदाबाद में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हैं, ने अहम भूमिका निभाकर बालाघाट को गौरन्वित किया है।
जून 2022 में पास आया मिशन, नवंबर में किया लांच
श्रीहरिकोटा से वैज्ञानिक सौरभ पटले ने नईदुनिया से विशेष चर्चा में मोबाइल से बातचीत करते हुए बताया कि निजी कंपनी स्काईरूट का मिशन जून 2022 में इसरो के पास आने के बाद इसको इसरो की समस्त सुविधाएं मुहैया कराने, प्रोजेक्ट का कार्य संभालने, टेस्टिंग व अन्य इसरो सेंटर से टेस्टिंग की अनुमति दिलाने के साथ ही श्रीहरिकोटा से एनडीटी टेस्टिंग व लांच पैड की सुविधा व लांच की अनुमति दिलाने में उन्होंने भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि 17 नवंबर को रॉकेट लांच की अनुमति दिलाई गई, जिसके बाद 18 नवंबर को इसे लांच किया गया है।
इसके पूर्व भी रहे अन्य मिशन में रहे शामिल
इस उपलिब्ध पर उन्होंने बताया कि देश के लिए अंतरिक्ष में नये आयाम गड़ने में उनकी छोटी भूमिका भी उनके रोम-रोम को गौरान्वित कर देती है। इसका एहसास भी बंया करना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि 2014 से इसरो में पदस्थ है और इसके पूर्व वे एसएसएलवी में डिप्टी प्रोजेक्टर मैनेजर के पद पर भी रह चुके हैं। वे सभी देश के 101 जिसमें भारत के 11 रॉकेट शामिल थे, उसमें भी शामिल होने के साथ ही पीएसएलयू सेटेलाइट की 15 लाचिंग व जीएसएलवी की चार लांचिग में अब तक शामिल हो चुके है। उन्होंने बताया कि उनका कार्य निर्माण व डिजाइन निर्माण के कार्य में शामिल होना है।
मिशन स्कूल में प्राथमिक व बालाघाट इंग्लिश स्कूल में 12 तक प्राप्त की शिक्षा
देश के पहले निजी रॉकेट के प्रोजेक्ट से लेकर पूरी प्रक्रिया में शामिल होने पर स्वयं को गौरान्वित महसूस करने वाले सौरभ पटले के पिता देवेन्द्र कुमार पटले व माता इतन बाई पटले भटेरा निवासी ने बताया कि उनकी पांच संतान है जिसमें चार बेटिया व एक बेटा सौरभ है। उन्होंने बताया कि वे लोग मूलत: बालाघाट जिले के सोनझरा के मूल निवासी है और भटेरा में स्थाई रुप से रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि सौरभ की कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक की शिक्षा बालाघाट मिशन स्कूल में पूरी हुई और कक्षा नवमी से लेकर 12 तक बालाघाट इंग्लिश स्कूल में जिसके बाद वे कोटा आईआईटी करने के लिए गया था। यहां पर उसने आईआईटी व आईआईएसटी का एग्जाम दिया जिसमें दोनो में उसका सिलेक्शन हुआ, लेकिन उसने प्राथमिकता आईआईएसटी को दी।
चार साल तक प्राप्त किया शिक्षा फिर हुई नियुक्ति
माता-पिता ने बताया कि आईआईएसटी में सिलेक्शन होने के बाद सौरभ ने 2010 से लेकर 2014 तक इंडियन इंस्टीटयूट स्पेस आफ टेक्नालाजी त्रिवेन्द्रम में शिक्षा प्राप्त की और सितंबर 2014 में विक्रम सारा भाई स्पेस सेंटर इसरो में उनकी पहली नियुक्ति हुई और जून 2022 में इसरो अहमदाबाद में वे असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर नियुक्त हुए है।
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