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सत्यपाल मलिक की चली गई गवर्नरी


देश के चर्चित राज्यपालों में से एक सत्यपाल मलिक अब रिटायर हो गए हैं। उनका कार्यकाल 3 अक्टूबर को समाप्त हो गया और उन्हें कोई कार्यकाल विस्तार नहीं दिया गया। उनकी जगह पर मेघालय के गवर्नर के तौर पर बीडी मिश्रा ने शपथ ली है। वह फिलहाल अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल हैं और उन्हें मेघालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। बीडी मिश्रा सेना से ब्रिगेडियर के पद पर रिटायर हुए थे। वह 2017 से ही अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल हैं। उन्होंने सत्यपाल मलिक की जगह 4 अक्टूबर को शपथ ली है, जो 3 तारीख को रिटायर हुए हैं। मिश्रा के शपथ ग्रहण समारोह में विधानसभा स्पीकर मेतबाह लिंगदोह और कई अन्य सीनियर कैबिनेट मंत्री मौजूद थे।
मेघालय के सीएम कोरनाड संगमा ने नए राज्यपाल का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा जी को मेघालय के गवर्नर के तौर पर कार्यभार संभालने के लिए बहुत बधाई। उम्मीद है कि आपका मार्गदर्शन और सहयोग मिलेगा। हम इस सुंदर राज्य में आपका हार्दिक स्वागत करते हैं।' सत्यपाल मलिक अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार विरोधी टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहे थे। सत्ता में रहने के बाद भी इस तरह से आंदोलन का समर्थन करने को लेकर काफी चर्चा हुई थी और सत्यपाल मलिक ने कई बार पीएम नरेंद्र मोदी पर भी सीधा हमला बोला था।
बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं सत्यपाल मलिक
सत्यपाल मलिक अगस्त 2020 में मेघालय स्थानांतरित किए जाने से पहले बिहार, जम्मू कश्मीर और गोवा के राज्यपाल रहे थे। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) (डॉ.) बी.डी. मिश्रा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए नियमित व्यवस्था होने तक मेघालय के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभालेंगे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि सत्यपाल मलिक ने सोमवार को अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। सत्यापल मलिक संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के दौरान जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे।
रिश्वत के भी लगाए थे आरोप, सीबीआई कर रही है मामले की जांच
सत्यपाल मलिक को 2017 में बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर के बाद मलिक को गोवा और अंत में मेघालय के राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया था। किसान आंदोलन के समय, केंद्र सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान देने के बाद वह विवादों में घिर गए थे। मलिक ने अपने एक बयान में दावा किया था कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उनके समक्ष दो फाइलें आईं थीं। उन्हें देश के एक प्रमुख व्यापारिक घराने और एक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि द्वारा भारी रिश्वत की पेशकश की गई थी। उनके इस बयान के आधार पर सीबीआई केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
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