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Vice President Election: जगदीप धनखड़ से TMC की कभी नहीं बनी! 5 मौके पर जब खुलकर जताई नाराजगी

टीएमसी कई बार धनखड़ पर भाजपा के लिए काम करने के भी आरोप लगा चुकी है। दिसंबर 2020 में तो पार्टी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक मेमोरेंडम भी सौंप दिया था, जिसमें धनखड़ को हटाने की मांग की गई थी।


जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद संभाला था। अब करीब दो साल के बाद धनखड़ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बन गए हैं। उनके नामांकन पर कई प्रतिक्रियाएं दी गईं, लेकिन सबसे खास जवाब तृणमूल कांग्रेस की तरफ से आया। पार्टी ने कहा कि इससे उन्हें 'राहत' मिली है। वहीं, धनखड़ भी राज्य सरकार पर जवाब नहीं देने जैसे कई आरोप लगा चुके हैं। बहरहाल, पश्चिम बंगाल में धनखड़ और टीएमसी और खासतौर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव कई बार हुआ, लेकिन ये 5 मौके चर्चा का विषय बन गए।

पहले यूनिवर्सिटी बुलाया फिर कोई रिसीव करने नहीं पहुंचा
मामला दिसंबर 2019 का है, जब धनखड़ ने राज्य सरकार पर शैक्षणिक संस्थानों का राजनीतिकरण करने के आरोप लगाए थे। तत्कालीन राज्यपाल ने कहा था कि उन्हें कलकत्ता यूनिवर्सिटी में 102 सदस्यीय सीनेट की बैठक में बुलाया गया था, लेकिन वह पहुंचे तो कोई उन्हें रिसीव करने नहीं आया साथ ही कुलपति का कार्यालय बंद था।

उन्होंने कहा था, 'सरकार ने वीसी को चांसलर को नहीं बुलाने के निर्देश दिए थे।' उन्होंने कहा था, 'यह शायद देश में कहीं भी नहीं हुआ कि सरकारी विभाग ने वीसी को यूनिवर्सिटी के प्रमुख और वीसी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार रखने वाले चांसलर की निर्देशिका का पालन नहीं करने के निर्देश दिए हों।'

राज्यभवन के कार्यक्रम में कोई नहीं आया, ममता ने भी बैठक से मुंह मोड़ा
नवंबर 2019 में धनखड़ ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि राजभवन के संविधान दिवस कार्यक्रम में सीएम ममता समेत सरकार से कोई नहीं पहुंचा था। उन्होंने ट्वीट किया था, 'राजभवन संविधान दिवस की योजना एक महीने पहले तैयार की गई थी और माननीय सीएम को पिछले महीने ही व्यक्तिगत तौर पर भागीदारी के साथ जानकारी भेजी गई थी। अन्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया था। हैरानी है कि सरकार से कोई भी नहीं आया।'

जनवरी 2020 में राज्यपाल ने दो लंबित बिलों को लेकर एक बैठक बुलाई थी, लेकिन सीएम बनर्जी नहीं पहुंची थीं। उन्होंने व्यस्तताओं का हवाला देते हुए बैठक से दूरी बनाई थी। इसके बाद अक्टूबर 2020 में धनखड़ ने 'राजनीतिक हत्याओं' पर हैरानी जाहिर की थी और साथ आरोप लगाए कि ममता मौजूदा हालात को लेकर उनके अर्जेंट मैसेज का जवाब नदीं दे रही हैं।

ममता बनर्जी ने ट्विटर पर कर दिया ब्लॉक
जनवरी 2022 में ममता बनर्जी ने धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था। उन्होंने कहा था, 'हर रोज राज्यपाल मेरे प्रशासन को भला बुरा कहते हैं। अनैतिक और असंवैधानिक बयान देते हैं। हमें उनकी बात सुनना पड़ती है, जैसे हम उनके नौकर हों। वह चुनी हुई सरकार को बंधुआ मजदूर समझते हैं। आज मैंने उन्हें ब्लॉक कर दिया। मैं माफी मांगती हूं, लेकिन मुझे ऐसा करना पड़ा। मैंने इस मुद्दे को लेकर कई बार प्रधानमंत्री को लिखा था।'

हेलिकॉप्टर नहीं दिया
पश्चिम बंगाल में हेलिकॉप्टर से जुड़े ऐसे दो वाकये सामने आए, जब राज्य सरकार ने राज्यपाल को दौरे के लिए हेलिकॉप्टर देने से इनकार कर दिया। साल 2019 में मुर्शिदाबाद जाने के लिए धनखड़ ने राज्य सरकार से हेलिकॉप्टर का अनुरोध किया था, जिसका उन्हें जवाब नहीं मिला था। इसके बाद नवंबर 2019 में मुर्शीदाबाद के ही डोमकल जाने के लिए धनखड़ ने हेलिकॉप्टर मांगा, तो सरकार की तरफ से उनका अनुरोध नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद राजभवन की तरफ से बताया गया था कि राज्यपाल सड़क यात्रा करेंगे।

'कुत्ता' कह दिया, हटाने की उठा दी मांग
CBI की तरफ से राज्य सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ विधायक की गिरफ्तारी से टीएमसी खासी नाराज थी। बात मई 2021 की है जब पार्टी के ही एक सांसद ने राज्यपाल को 'सनकी' और 'कुत्ता' तक कह दिया था। पत्रकारों से बातचीत के दौरान कल्याण बनर्जी ने कहा था, 'राज्यपाल ने बगैर राज्य सरकार से चर्चा किए ऐसा प्रतिशोध में किया है। राज्यपाल खून चूसने वाला बन गया है। वह अब भाजपा से 2024 चुनाव से पहले टिकट पाने की कोशिश में है। इसलिए वह जो चाहते हैं टीएमसी के खिलाफ कर रहे हैं। वह राज्यपाल सनकी हैं और खून चूसने वाले हैं। उन्हें यहां एक मिनट भी नहीं रहना चाहिए। वह यहां पागल कुत्ते की तरह घूम रहे हैं।'

जून 2021 में भी टीएमसी विधायक मदन मित्रा ने राज्यपाल को 'कुत्ता' कहा था। उन्होंने कहा था कि धनखड़ चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा था। राज्यपाल को काले झंडे दिखाए जाने को लेकर उन्होंने कहा था, 'धनखड़ किस्मत वाले हैं कि उन्हें काले झंडे में लपेटा नहीं गया। नहीं तो लोग उन्हें काला हाथी समझते। एक कहावत है कि काला कुत्ता भौंकता है। लोग समझते हैं कि धनखड़ काला कुत्ता है, जो भौंकता है। इसलिए वह जहां भी जाते हैं, उन्हें काले झंडे दिखाए जाते हैं।'

हालांकि, मामले केवल इतने ही नहीं है। टीएमसी कई बार धनखड़ पर भाजपा के लिए काम करने के भी आरोप लगा चुकी है। दिसंबर 2020 में तो पार्टी के संसदीय दल के पांच सदस्यों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक मेमोरेंडम भी सौंप दिया था, जिसमें धनखड़ को हटाने की मांग की गई थी। फिलहाल, विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ उपराष्ट्रपति चुनाव में गोवा, गुजरात, राजस्थान और उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकीं मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है।
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