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Shabaash Mithu Review: तापसी पन्नू ने एक्टिंग ग्राउंड पर मारा सिक्सर, खिंची हुई लगती है 'शाबाश मिथु' की कहानी

Shabaash Mithu Review: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज की बायोपिक फिल्म शाबाश मिथु रिलीज हुई है। तापसी पन्नू ने मेन रोल निभाया है, तो चलिए आपको बताते हैं कैसी है फिल्म।


फिल्म: शाबाश मिथु
कास्ट: तापसी पन्नू, विजय राज, इनायत वर्मा, कस्तूरी जगनाम, मुमताज सोरकार,
निर्देशक: सृजित मुखर्जी
कहां देखें- सिनेमाघर
Shabaash Mithu Review: क्रिकेट की दुनिया के कई दिग्गज क्रिकेटर्स जैसे महेंद्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव की बायोपिक फिल्में बन चुकी हैं। अब पर्दे पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज की बायोपिक फिल्म 'शाबाश मिथु' रिलीज हुई है। लोगों को मुंह जबानी 5 पुरुष क्रिकेटर्स के नाम याद होंगे लेकिन महिला क्रिकेटर्स के नाम लेने से पहले सोचना पड़ेगा। महिला क्रिकेट टीम को पहचान दिलाने के लिए पूर्व कप्तान मिताली राज ने काफी मेहनत की। फिल्म का निर्देशन सृजित मुखर्जी ने किया है और मिताली का किरदार एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने निभाया है। महिला क्रिकेटर की जिंदगी पर बनी ये फिल्म कैसी है और इसे देखना चाहिए या नहीं? इसके लिए आप रिव्यू पढ़ लें।

'शाबाश मिथु' की क्या है कहानी

फिल्म 'शाबाश मिथु' की शुरुआत होती है नन्ही बच्ची मिथु (इनायत वर्मा) से जो भरतनाट्यम सीख रही है। उसकी नई सहेली नूरी (कस्तूरी जगनाम) बनती है जो उसे क्रिकेट खेलने के सपने दिखाती है। साथ ही दोनों की दोस्ती पक्की हो जाती है। दोनों को कोच संपत (विजय राज) मिलते हैं, जो क्रिकेट खेलने के सपने को पंख देने का काम करते हैं। लेकिन कुछ पाबंदियां भी आड़े आती रहती है। नूरी अपने पिता के आगे हार मान लेती है और उसका निकाह हो जाता है। मिथु यहां पर पहली बार टूटती है। इसके बाद मिथु क्रिकेट ग्राउंड पर जमकर बल्ला घुमाती है और महिला क्रिकेट टीम की कप्तान भी बनती है। बेहतरीन खेलने के साथ मिताली राज (तापसी पन्नू) महिला क्रिकेट टीम के अधिकार के लिए भी लड़ती रहती हैं। फिल्म 'शाबाश मिथु' खासतौर पर मिताली राज के संघर्ष, कोशिशों और अपनी पहचान के लिए लड़कर जीतने की कहानी है।

सृजित मुखर्जी का निर्देशन

डायरेक्टर सृजित मुखर्जी कई बंगाली फिल्में बना चुके हैं और अब हिंदी फिल्मों में भी वह अपना हाथ आजमा रहे हैं। सृजित मुखर्जी ने शुरू के आधे घंटे में ही कहानी का ताना-बाना बुन दिया था लेकिन फिर भी उनका निर्देशन और पटकथा कमजोर पड़ गया। क्रिकेट पर बनी फिल्में अगर सही से कसी ना जाए तो वो बोरिंग लगने लगती हैं। शाबाश मिथु में बीच में असली क्रिकेट के क्लिप को भी डाल दिया गया है। लेकिन फिर भी इसकी कहानी काफी खिंची हुई लगने लगती है, जो बोर करती है।


एक्टिंग

मुकेश छाबड़ा ने फिल्म में कास्टिंग की है और हमेशा की तरह अच्छी की है। लेकिन जब फिल्म की मुख्य कड़ी कमजोर होने लगे तो बेहतरीन स्टार कास्ट भी डूबती नैया को बचा नहीं पाती। तापसी पन्नू ने मिताली राज के किरदार में खूब मेहनत की है और उन्होंने एक बार फिर अपनी दमदार परफॉर्मेंस दी है। विजय राज आंखों और भाव से ही एक्टिंग कर लेते हैं। फिल्म में छोटी बच्चियां इनायत वर्मा, कस्तूरी जगनाम ने काफी अच्छा काम किया है। इसके अलावा मुमताज सोरकार, बृजेंद्र काला, देवदर्शिनी, शिल्पा मारवाह अन्य स्टार्स ने भी अच्छी परफॉर्मेंस दी है।

कहां रह गई कमी

क्रिकेट पर बनी फिल्में बोरिंग ना हो इसके लिए जरूरी है कि कहानी में रफ्तार बनी रहे। फिल्म 'शाबाश मिथु' फर्स्ट हाफ में अच्छी रहती है लेकिन सेकेंड हाफ आते-आते कहानी स्लो हो जाती है। जहां महसूस होने लगता है कि सही से संपादन नहीं हुआ है और अब फिल्म को खत्म हो जाना चाहिए। आखिरी के 15 मिनट में वर्ल्ड कप दिखाया गया है लेकिन उसमें असली फुटेज लगाकर आधा मैच ऐसे ही दिखाया गया है, यहां पर डायरेक्टर ने बिल्कुल मेहनत नहीं की है। फिल्म के गाने भी कुछ खास नहीं है। अमित त्रिवेदी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। तो वहीं कौसर मुनीर, राघव एम कुमार, स्वानंद किरकिरे के गानों में भी इमोशनल कनेक्ट नहीं आया।
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