आंदोलन की राह पर छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारी, केंद्र के समान DA-HRA पर अड़े, दफ्तरों में नहीं होंगे कामकाज
छत्तीसगढ़ के अधिकारी-कर्मचारी प्रशासनिक अव्यवस्था से आक्रोशित हैं। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी संघों की तरफ से 25 से 29 जुलाई तक कलम बंद काम बंद हड़ताल में रहेंगे। प्रदेश का हर सरकारी कर्मचारी आंदोलन में भाग लेकर दफ्तर में होने वाले कामकाज से खुद को अलग रखेगा। लंबित महंगाई व गृह भत्ता को लागू करवाने की मांग रखते हुए छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने सामूहिक अवकाश लेकर आंदोलन में जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के लगभग 5 लाख कर्मचारी आंदोलन में रहेंगे, जिससे सरकारी दफ्तरों में कोई काम नहीं होगा। 2 दिन पहले अवकाश फिर 5 दिन का हड़ताल और फिर दो दिन शनिवार-रविवार को सरकारी छुट्टी है। इस तरह 9 दिनों तक दफ्तर बंद रहेंगे, जिससे जनता की परेशानी बढ़नी तय है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा, महासचिव आरके रिछारिया, सचिव राजेश चटर्जी, कोषाध्यक्ष सतीश मिश्रा, प्रवक्ता बीपी शर्मा, संगठन मंत्री संजय सिंह ने संयुक्त रुप से बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता (DA) व गृह भाड़ा (एचआरए) देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी संघों द्वारा लगातार आवाज बुलंद की जा रही है। मंत्रालय-संचालनालय से लेकर जिला, विकासखंड व तहसील मुख्यालयों में प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला है। अधिकारी-कर्मचारी संघों ने 25 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। कर्मचारी संघों का कहना है कि केंद्र सरकार के समान 34% महंगाई भत्ता देने सीएम भूपेश बघेल व मुख्य सचिव से चर्चा की गई थी, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। इससे कर्मचारी-अधिकारियों में भारी आक्रोश है। आंदोलन को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का समर्थन है, लेकिन आपातकालीन चिकित्सा के कर्मचारी ड्यूटी करेंगे। मंत्रालय, संचालनालय, शिक्षा, राजस्व सहित सभी विभागों का यह आंदोलन पूरे प्रदेश में किया जाएगा। 70 से ज्यादा सरकरी कर्मचारी संगठन इस हड़ताल में शामिल हैं।
फेडरेशन ने दिया था एक माह का अल्टीमेटम
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि कर्मचारियों को 28 माह के एरियर्स की आर्थिक क्षति हो रही है। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 20% गृह भाड़ा दे रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को सिर्फ 10% गृह भाड़ा दिया जा रहा है। डीए और गृह भाड़ा में छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अधिकारियों-कर्मचारियों को 5 से 10 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। शासन को एक महीने का अल्टीमेटम दिया गया था। राज्य शासन ने इस ओर कोई पहल नहीं की, जिसके बाद कर्मचारी संघों ने 25 जुलाई से आंदोलन करने का निर्णय लिया है। राज्य में 1 जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान लागू हो गया था, लेकिन कर्मचारी-अधिकारियों को आज भी छटवें वेतनमान के मूल वेतन पर 10% एवं 7% के दर से एचआरए दिया जा रहा है। जबकि केन्द्र में 18% और 9% है।
छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता 2 वर्ष से लंबित था
छत्तीसगढ़ में जनवरी 2020 से लंबित 4% महंगाई भत्ता, जुलाई 2020 से लंबित 3%, जनवरी 2021 से लंबित 4%, जुलाई 2021 से 3% महंगाई भत्ता एवं जनवरी 2022 से 3% महंगाई भत्ता को मिलाकर कुल लंबित 17% महंगाई भत्ता की मांग कर्मचारी कर रहे थे। सीएम भूपेश बघेल ने 2 मई को 5% महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी किया है। कर्मचारी संघों का कहना है कि कर्मचारियों के लिए महंगाई से राहत पाने का एक ही साधन महंगाई भत्ता होता है। वर्तमान में महंगाई चरम पर है, लेकिन कर्मचारियों का महंगाई भत्ता केंद्र के सामान नहीं है। ऐसे में महंगाई की मार छत्तीसगढ़ के सरकारी सेवकों पर भारी पड़ रही है।
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