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किसी ने मां से लिया दुपट्टा, तो किसी ने बालों के सहारे बचाई लाज



राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) की परीक्षा में जांच के दौरान केरल में लड़कियों की ब्रा उतरवाने की घटना कल सामने आई। एक लड़की के पिता ने कहा कि उसकी बेटी को अपनी मां से दुपट्टा लेना पड़ा। वहीं, दूसरी लड़की ने कहा है कि वह बालों के सहारे किसी तरह परीक्षा के दौरान अपनी लाज बचाई।

'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक लड़की के पिता ने फोन पर बात करते हुए कहा कि उनके लिए यह एक दर्दनाक अनुभव था। उन्हें इस घटना ने स्थानीय पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए मजबूर किया। वह नहीं चाहते हैं कि कोई और लड़की इस तरह के "अपमान" से गुजरे।

लड़की के पिता ने कहा, “मैं एक मामला दर्ज करना चाहता था ताकि भविष्य में किसी भी छात्रा को ऐसी दुर्दशा का सामना न करना पड़े। मेरे बच्चे को इतना कांपते हुए देखना दिल दहला देने वाला था।” पिता ने कहा, ''मैं केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया से संतुष्ट हूं। ऐसा लगता है कि वे मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।"

बालों के सहारे बचाई लाज
आपको बता दें कि यह कथित घटना केरल के कोल्लम जिले के अयूर के एक निजी परीक्षा केंद्र पर हुई। इसी केंद्र पर परीक्षा दे रही एक अन्य लड़की ने आगे आकर इस घटना के बारे में स्थानीय टेलीविजन चैनलों से बात की है। उसने कहा कि चूंकि वह अपनी ब्रा हटाने के बाद खुद को ढकने के लिए कुछ भी जुगाड़ नहीं कर सकती थी, इसलिए उसने अपने बालों का इस्तेमाल करने की कोशिश की।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने विशेष केंद्र में परीक्षा में भाग लेने वाली छात्राओं की गरिमा और सम्मान पर हमले पर “निराशा” व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह उस एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की "दृढ़ता से अनुशंसा" करती है जो परीक्षा आयोजित करने की प्रभारी थी। इस बीच, केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी घटना की जांच का आदेश दिया और कोल्लम ग्रामीण एसपी को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। केंद्रीय मंत्री ने अभी तक इस घटना पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

एनटीए ने आरोपों को किया खारिज
हालांकि, परीक्षा आयोजित करने वाले राष्ट्रीय परीक्षण प्राधिकरण ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि लड़कियों को इनरवियर हटाने के लिए कहा गया था। एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें इसकी कोई शिकायत नहीं मिली है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावों के आधार पर केंद्र अधीक्षक और पर्यवेक्षक से तत्काल रिपोर्ट मांगी गई थी। उन्होंने सूचित किया है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है और शिकायत काल्पनिक है और गलत इरादे से दर्ज की गई है।” हालांकि, शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनटीए घटना की जांच के लिए केरल में एक टीम भेज रहा है। अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि नीट के ड्रेस कोड में इनरवियर को हटाने की जरूरत नहीं है और उम्मीदवारों की तलाशी के दौरान लिंग, संस्कृति और धर्म के प्रति संवेदनशीलता सुनिश्चित करने का ध्यान रखा जाता है।

परीक्षा से पहले जांच के दौरान दिया गया NEET के नियमों का हवाला
लड़की के पिता ने कहा कि कोल्लम परीक्षा केंद्र पर परीक्षा से पहले तलाशी के दौरान उनकी बेटी को एनईईटी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए जांच करने के लिए अनुबंधित एजेंसी द्वारा अपने ब्रा उतारने के लिए कहा गया था। पिता ने कहा कि उसने चेतावनी दी कि अगर उसने इसका पालन नहीं किया तो वह परीक्षा नहीं दे पाएगी। उसने अधिकारियों से उसे एक स्टोल देने का अनुरोध किया। जब उसे बताया गया कि उसके पास कोई दुपट्टा नहीं है तो उसने उन्हें अपनी मां से दुपट्टा लेने के लिए कहा, जो परीक्षा केंद्र के बाहर इंतजार कर रही थी। पिता ने कहा कि जब वह गेट पर पहुंचे तो उनकी बेटी रो रही थी। इसके बार अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने उसके आंसुओं के लिए परीक्षा से पहले की घबराहट को जिम्मेदार ठहराया।

चोली के हुक के कारण बजा अलार्म, कराई जांच
एक अन्य छात्रा के माता-पिता ने कहा कि उनकी बेटी ने भी इसी तरह की बात की है। स्कैनर के माध्यम से जाने के दौरान चोली में हुक लगे होने के कारण अलार्म बजा। इसके बाद छात्रा को एक कमरे में दूसरी तरफ ले जाया गया, जहां एक महिला अधिकारी ने उसे ब्रा को हटाने और एक टेबल पर रखने के लिए कहा। कमरे में कम से कम दो दर्जन अन्य लड़कियां मौजूद थीं।

अलग से कमरा तक नहीं
लड़की के पिता ने कहा कि कोई गोपनीयता नहीं थी और न ही इसके लिए कोई अलग कमरा दिया गया था। परीक्षा समाप्त होने के बाद लड़कियों को उसी कमरे में अपने ड्रेस प्राप्त करने के लिए कहा गया। हालांकि, जब वह अंदर गई तो उसने देखा कि कमरे में भीड़ थी और कपड़ों को एक मेज पर रखा गया था। उसके लिए यह पहचानना मुश्किल हो गया कि कौन सा कपड़ा किस लड़की है। कमरे में मौजूद महिला अधिकारियों में से एक ने लड़कियों को कपड़े को हाथ में लेने के लिए कहा और इसे वापस पहनने की प्रतीक्षा करने के बजाय छोड़ दिया।
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