जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में घमासान, प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने दिया इस्तीफा
मीर सात साल से जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष थे। साल 2015 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया गया था। मीर ने अपने इस्तीफे का कारण भी बताया है।
एक तरफ जहां जम्मू कश्मीर में भाजपा सहित अन्य क्षेत्रीय पार्टियां सक्रिय नजर आ रही हैं तो वहीं कांग्रेस की गुटबाजी की खबरें लगातार बाहर आ रही थीं। इसी कड़ी में अब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मीर सात साल से जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष थे। साल 2015 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया गया था। मीर ने अपने इस्तीफे का कारण भी बताया है।
दरअसल, गुलाम अहमद मीर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में कहा है कि अनुशासित सिपाही के तौर पर उन्हें उनके उत्तराधिकारी के लिए पार्टी अध्यक्ष की ओर से लिया गया कोई भी फैसला स्वीकार्य होगा। हालांकि कांग्रेस के सूत्रों ने बताया है कि अहमद मीर को पार्टी की तरफ से ही पद छोड़ने के लिए कहा गया था। जबकि मीर ने यह कहा कि उन्होंने चुनाव से पहले अपने पद से इस्तीफा दिया है ताकि पार्टी अपने संगठन को फिर से स्थापित कर सके।
इससे पहले हाल ही में कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए जम्मू से वरिष्ठ नेता रमन भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। वहीं पार्टी के सूत्रों ने बताया कि नए अध्यक्ष के लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए पूर्व मंत्रियों और विधायकों पीरजादा मोहम्मद सईद, विकार रसूल, जीएम सरूरी और गुलाम नबी मोंगा के नाम विचाराधीन हैं। सईद पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं विकार और सरूरी जो जम्मू के मुस्लिम क्षेत्रों से हैं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस लंबे समय से गुटबाजी से जूझ रही है, इसमें एक ग्रुप गुलाम नबी आजाद के प्रति निष्ठा रखता है। आजाद गुट के कई नेताओं ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर में नेतृत्व में बदलाव की अपनी मांग के समर्थन में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान मतभेदों को दूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर में नेतृत्व के संपर्क में है। कांग्रेस सूबे में विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां भी कर रही है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि पिछले दिनों आजाद गुट के कुछ नेताओं की तरफ से पदों से इस्तीफा दिए जाने के बाद हाईकमान ने दो काम किए थे। एक तो नेताओं के त्यागपत्र मंजूर कर लिए थे और दूसरा पार्टी के वरिष्ठ नेता रमण भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनना पार्टी के लिए अहम होगा। वहीं यह भी इंतजार किया जा रहा है कि चुनाव का बिगुल बजने पर गुलाम नबी आजाद की क्या भूमिका होगी।
एक तरफ जहां जम्मू कश्मीर में भाजपा सहित अन्य क्षेत्रीय पार्टियां सक्रिय नजर आ रही हैं तो वहीं कांग्रेस की गुटबाजी की खबरें लगातार बाहर आ रही थीं। इसी कड़ी में अब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मीर सात साल से जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष थे। साल 2015 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया गया था। मीर ने अपने इस्तीफे का कारण भी बताया है।
दरअसल, गुलाम अहमद मीर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में कहा है कि अनुशासित सिपाही के तौर पर उन्हें उनके उत्तराधिकारी के लिए पार्टी अध्यक्ष की ओर से लिया गया कोई भी फैसला स्वीकार्य होगा। हालांकि कांग्रेस के सूत्रों ने बताया है कि अहमद मीर को पार्टी की तरफ से ही पद छोड़ने के लिए कहा गया था। जबकि मीर ने यह कहा कि उन्होंने चुनाव से पहले अपने पद से इस्तीफा दिया है ताकि पार्टी अपने संगठन को फिर से स्थापित कर सके।
इससे पहले हाल ही में कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए जम्मू से वरिष्ठ नेता रमन भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। वहीं पार्टी के सूत्रों ने बताया कि नए अध्यक्ष के लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए पूर्व मंत्रियों और विधायकों पीरजादा मोहम्मद सईद, विकार रसूल, जीएम सरूरी और गुलाम नबी मोंगा के नाम विचाराधीन हैं। सईद पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं विकार और सरूरी जो जम्मू के मुस्लिम क्षेत्रों से हैं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी माने जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस लंबे समय से गुटबाजी से जूझ रही है, इसमें एक ग्रुप गुलाम नबी आजाद के प्रति निष्ठा रखता है। आजाद गुट के कई नेताओं ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर में नेतृत्व में बदलाव की अपनी मांग के समर्थन में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान मतभेदों को दूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर में नेतृत्व के संपर्क में है। कांग्रेस सूबे में विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां भी कर रही है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि पिछले दिनों आजाद गुट के कुछ नेताओं की तरफ से पदों से इस्तीफा दिए जाने के बाद हाईकमान ने दो काम किए थे। एक तो नेताओं के त्यागपत्र मंजूर कर लिए थे और दूसरा पार्टी के वरिष्ठ नेता रमण भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनना पार्टी के लिए अहम होगा। वहीं यह भी इंतजार किया जा रहा है कि चुनाव का बिगुल बजने पर गुलाम नबी आजाद की क्या भूमिका होगी।
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