फुटवियर विक्रेताओं को सरकार ने दी बड़ी राहत
सरकार ने फुटवियर उद्योग के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए देश में बने और बेचे जाने वाले फुटवियर के लिए बीआईएस के अनुपालन को अनिवार्य करने वाले गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को एक और वर्ष के लिए टाल दिया है।
सरकार ने फुटवियर उद्योग के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए देश में बने और बेचे जाने वाले फुटवियर के लिए बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) के अनुपालन को अनिवार्य करने वाले गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को एक और वर्ष के लिए टाल दिया है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश अब एक जुलाई, 2023 से लागू होगा।
दिल्ली स्थित कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने बीते दिनों इस मामले को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष उठाया था। कैट ने दलील दी थी की देश भर में फुटवियर बनाने वाले छोटे निर्माताओं और व्यापारी हैं जिनके लिए नकदी के अभाव में गुणवत्ता मानकों का पालन करना मुश्किल होगा। कैट ने कहा कि देश की 85 प्रतिशत आबादी सस्ते जूते-चप्पल पहनती है और इसका बड़े पैमाने पर 90 प्रतिशत उत्पादन गरीब लोगों और मोचियों द्वारा घर में बने उद्योग तथा कुटीर उद्योगों में किया जाता है। देश में इन जूते-चप्पलों का अधिकतम उपयोग निम्न और मध्यम आय के वर्ग द्वारा किया जाता है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवान ने कहा,भारत में फुटवियर निर्माण के बड़े हिस्से पर बीआईएस मानकों को लागू करना असंभव है। उन्होंने कहा कि भारत में फुटवियर उद्योग में 85 प्रतिशत निर्माता बहुत छोटे पैमाने के हैं और सरकार द्वारा निर्धारित बीआईएस मानकों का पालन करना असंभव होगा। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के आदेशानुसार, औद्योगिक और सुरक्षात्मक रबड़ के जूते, पीवीसी सैंडल, रबड़ हवाई चप्पल और मोल्डेड रबड़ के जूते जैसे फुटवियर के लिए नए गुणवत्ता मानदंड लागू रहेंगे। यह आदेश निर्यात के लिए बनी वस्तुओं पर लागू नहीं होगा।
सरकार ने फुटवियर उद्योग के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए देश में बने और बेचे जाने वाले फुटवियर के लिए बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) के अनुपालन को अनिवार्य करने वाले गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को एक और वर्ष के लिए टाल दिया है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश अब एक जुलाई, 2023 से लागू होगा।
दिल्ली स्थित कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने बीते दिनों इस मामले को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष उठाया था। कैट ने दलील दी थी की देश भर में फुटवियर बनाने वाले छोटे निर्माताओं और व्यापारी हैं जिनके लिए नकदी के अभाव में गुणवत्ता मानकों का पालन करना मुश्किल होगा। कैट ने कहा कि देश की 85 प्रतिशत आबादी सस्ते जूते-चप्पल पहनती है और इसका बड़े पैमाने पर 90 प्रतिशत उत्पादन गरीब लोगों और मोचियों द्वारा घर में बने उद्योग तथा कुटीर उद्योगों में किया जाता है। देश में इन जूते-चप्पलों का अधिकतम उपयोग निम्न और मध्यम आय के वर्ग द्वारा किया जाता है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवान ने कहा,भारत में फुटवियर निर्माण के बड़े हिस्से पर बीआईएस मानकों को लागू करना असंभव है। उन्होंने कहा कि भारत में फुटवियर उद्योग में 85 प्रतिशत निर्माता बहुत छोटे पैमाने के हैं और सरकार द्वारा निर्धारित बीआईएस मानकों का पालन करना असंभव होगा। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के आदेशानुसार, औद्योगिक और सुरक्षात्मक रबड़ के जूते, पीवीसी सैंडल, रबड़ हवाई चप्पल और मोल्डेड रबड़ के जूते जैसे फुटवियर के लिए नए गुणवत्ता मानदंड लागू रहेंगे। यह आदेश निर्यात के लिए बनी वस्तुओं पर लागू नहीं होगा।
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