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मोदी सरकार अब तेजी से पूरी करेगी इन कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया

महामारी के चलते प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया में काफी देरी हो रही है। इसलिए, सरकार ने राज्य द्वारा संचालित बैंकों और बीमा कंपनियों के निजीकरण को नए सिरे से बढ़ावा देने का फैसला किया है।


Privatisation latest news: इस वित्त वर्ष के अंत तक सरकारी तेल रिफाइनर BPCL की बिक्री पर झटका लगने के बाद सरकार अब उन सरकारी कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया को समाप्त कर सकती है जो कि पाइपलाइन में हैं। वहीं, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI), सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपकरण निर्माता बीईएमएल, इंजीनियरिंग परामर्श फर्म पीडीआईएल और देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट उन कंपनियों में से हैं, जहां सरकार की योजना निजीकरण की प्रक्रिया की गति बढ़ाने की है। यह बात टीओआई की एक रिपोर्ट में कही गई है।

नए तरीके से बेचने की प्रक्रिया
महामारी के चलते प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया में काफी देरी हो रही है। इसलिए, सरकार ने राज्य द्वारा संचालित बैंकों और बीमा कंपनियों के निजीकरण को नए सिरे से बढ़ावा देने का फैसला किया है। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने पहले ही कंपनी की पेशकशों को दिखाने के लिए वित्तीय दुनिया और निवेशकों को प्रस्तुतियों सहित रोड शो आयोजित करना शुरू कर दिया है।

65,000 करोड़ रुपये का डिसइनवेस्टमेंट टारगेट
चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित डिसइनवेस्टमेंट टारगेट 65,000 करोड़ रुपये है, जिसे सरकार पूरा करने की उम्मीद में है। कुल टारगेट में से 24,047 करोड़ रुपये सरकारी कंपनियों की संपत्ति की बिक्री से जुटाए गए हैं। हिंदुस्तान जिंक और पारादीप फॉस्फेट में बचे हुए हिस्से की बिक्री से सरकार को इस वित्त वर्ष के लक्ष्य के करीब पहुंचने की संभावना है।
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