राष्ट्रपति उम्मीदवार की चर्चा से अचानक गायब हुए केसीआर
राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुधवार को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) शामिल नहीं हुई। ये बात थोड़ी चौंकाने वाली इसलिए भी है क्योंकि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने हाल के दिनों में खुद को राष्ट्रीय भूमिका में पेश करने के हर मौके को भुनाने की कोशिश की है। चाहे वह एक अलग नई 'राष्ट्रीय स्तर' की पार्टी बनाने की घोषणा करना हो या फिर अलग-अलग राज्यों में जाकर गैर-भाजपाई नेताओं से मिलना हो।
लेकिन अब, ममता बनर्जी के 22 राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए एक बैठक के लिए आमंत्रित करने के पत्र ने उनकी योजनाओं को विफल कर दिया है। केसीआर बुधवार को दिल्ली में बैठक में शामिल नहीं हुए और न ही उन्होंने किसी मंत्री या पार्टी के वरिष्ठ नेता को भेजा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केसीआर ने यह अनुमान नहीं लगाया था कि ममता बनर्जी राष्ट्रपति की वार्ता में नेतृत्व करेंगी, जबकि वह खुद को उस भूमिका में देखते हैं। बैठक में कांग्रेस की उपस्थिति केसीआर के दूर रहने का एक और कारण है। दरअसल कांग्रेस पार्टी राज्य में प्रमुख विपक्षी दल है और भाजपा के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, तेलंगाना में एक बड़ी ताकतवर पार्टी बनी हुई है। इसलिए केसीआर राज्य में अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के साथ मंच साझा करते नहीं दिखना चाहेंगे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,पार्टी सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री राहुल गांधी द्वारा राज्य सरकार की आलोचना से विशेष रूप से नाराज थे। दरअसल जब पिछले महीने राहुल गांधी वारंगल में एक जनसभा को संबोधित करने गए थे तो उन्होंने सीएम केसीआर पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मैं तेलंगाना के लोगों से पूछना चाहता हूं कि उन्हें टीआरएस सरकार से क्या मिला। इस सरकार की लापरवाही से आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाएं यहां मेरे साथ बैठी हैं। मैं उन्हें क्या बताऊं... सिर्फ इतना कि कांग्रेस के राज में ऐसा नहीं होगा।'
हाल ही में केसीआर ने "वैकल्पिक एजेंडा" बनाने के प्रयास में कई राजनीतिक नेताओं से मिलने के लिए दौरे शुरू किए थे। अपने प्रमुख के उत्साह से उत्साहित, टीआरएस नेताओं ने पार्टी का नाम बदलने का सुझाव दिया था, जिसे भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) रखा जा सकता है। पिछले कुछ महीनों में केसीआर ने जद (एस) प्रमुख देवेगौड़ा, आप के अरविंद केजरीवाल, द्रमुक के एम के स्टालिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू और हेमंत सोरेन, किसान नेता राकेश टिकैत, सपा के अखिलेश यादव, शिवसेना के उद्धव ठाकरे और राजद के तेजस्वी यादव से मुलाकात की है। इससे पहले, उन्होंने ममता बनर्जी, और वाम नेताओं सीताराम येचुरी, पिनाराई विजयन, माणिक सरकार और डी राजा सहित अन्य लोगों से मुलाकात की थी।
हालांकि, केसीआर अपने दौरे के बाद पिछले महीने के अंत में हैदराबाद लौटने के बाद से चुप हो गए हैं। पूर्व सांसद और राजनीतिक विश्लेषक अरुण कुमार वुंडावल्ली, जिन्होंने रविवार को केसीआर से मुलाकात की, ने कहा कि सीएम ने उनकी छह घंटे की बैठक के दौरान एक राष्ट्रीय पार्टी शुरू करने के बारे में बात नहीं की। सीएम राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर के साथ भी अक्सर बातचीत करते रहे हैं।
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