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बोरवेल से कब निकलेगा राहुल? 90 घंटे से चल रहा रेस्क्यू

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के गड्ढे में फंसे राहुल को निकालने रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। 90 घंटे से सेना, NDRF, SDRF व प्रशासन की टीम राहुल को सुरक्षित निकालने में जुटी है।


छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के गड्ढे में फंसे राहुल को निकालने रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। 89 घंटे से टीम लगातार राहुल को सुरक्षित निकालने में लगी है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम 4 दिनों से काम कर रही है। वे राहुल के काफी करीब है, लेकिन बार-बार चट्‌टान बाधा बन रही है। अब राहुल की सही लोकेशन ट्रेस करने VLC (विक्टिम लोकेशन कैमरा) का इस्तेमाल किया जाएगा। इस विशेष कैमरे से दीवार या चट्टानों के उस पार से आने वाली आवाजों को आसानी से सुना जा सकेगा। कैमरे से आवाज सुनकर रेस्क्यू को और आसान बनाया जाएगा।

एनडीआरएफ के जवान इस VLC कैमरे की जांच कर लगाने में जुट गए हैं। रेस्क्यू टीम ने अंतिम कार्यवाही सुरंग के भीतर शुरू कर दी है। बल्ली से एक स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। वहीं वाइब्रेटर से राहुल के नीचे हिस्से के पत्थर को छिलने का काम शुरू किया गया है। एनडीआरएफ की टीम सावधानी से इस काम को कर रही है। बता दें कि पिहरीद गांव में 11 साल का राहुल 80 फीट की गहराई वाले गड्ढे में गिरा है और लगभग 60 फीट में फंसा है। बच्चे को निकालने सेना, NDRF और SDRF की टीम लगी हुई है। रोबोटिक्स टीम को सफलता नहीं मिलने के बाद ड्रीलिंग मशीनों से खुदाई का काम जारी है। लगभग 20 फीट का टनल बनाया गया है, लेकिन भारी पत्थर की वजह से रेस्क्यू काम की गति धीमी हो गई है।

राहुल के जल्दी निकालने की दुआ कर रहे
बिलासपुर से मंगाई गई छोटी ड्रील मशीन से खुदाई की गई। बोरवेल के गड्ढे के करीब पहुंचने अब हाथों से खुदाई हो रही है। एक फीट के आसपास और ड्रीलिंग होनी है। बच्चे की हलचल ने उम्मीद बांध रखी है। कुछ घंटों बाद राहुल के बाहर आने की उम्मीद है। इधर शुक्रवार शाम से कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल, एसडीएम रेना जमील, एडिशनल एसपी अनिल सोनी सहित जिला व पुलिस प्रशासन की टीम गांव में ही मौजूद है। मौके पर भारी भीड़ है। सभी दुआ कर रहे हैं राहुल जल्दी बाहर आए। बोरवेल से निकालने के बाद राहुल को सीधा बिलासपुर ले जाया जाएगा।

सेना, NDRF व SDRF की टीम लगी
बच्चे को पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन दिया जा रहा है। 6 जेसीबी व 4 चैन माउनटेन, 3 फायर ब्रिगेड, हाइड्रा, स्टोन ब्रेकर, 10 ट्रैक्टर, होरिजेंटल ट्रंक मेकर जैसी मशीनों से काम लिया गया। बोरवेल के मानतर गड्ढा किया किया गया। हैवी ड्रील मशीन से पत्थर को तोड़ा गया। बोरवेल में फंसे बच्चे तक रात में जूस व फल भी पहुंचाया गया। बच्चे को सुबह जूस दिया गया। बच्चे को रेस्क्यू करने ओडिशा के कटक, गुजरात के सूरत व आंध्र प्रदेश से एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ राहुल को बोरवेल से निकलने में जुटी हुई है। एक या दो फीट सुरंग की खुदाई और की जानी चाहिए। पत्थरों की वजह से खुदाई में दिक्कत आ रही है।
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